बच्चे को बिना वजह नाक, मुंह और गुदा से खून आता है? उसे हो सकती है यह खतरनाक बीमारी
By उस्मान | Published: April 17, 2018 11:45 AM2018-04-17T11:45:25+5:302018-04-17T16:18:03+5:30
World Haemophilia Day: हीमोफिलिया होने पर शरीर में खून का थक्का बनाने वाले इस प्रोटीन की कमी होने की वजह से खून के थक्के बनने की प्रक्रिया धीमी हो जाती है, जिसके कारण, चोट लगने पर खून जम नहीं पाता और वह असामान्य रूप से बहता रहता है।
खून में मुख्य 12 तरह के क्लोटिंग फैक्टर होते हैं। इन क्लोटिंग फैक्टर का काम, बहते हुए खून को जमाना होता है। हीमोफिलिया होने पर शरीर में खून का थक्का बनाने वाले इस प्रोटीन की कमी होने की वजह से खून के थक्के बनने की प्रक्रिया धीमी हो जाती है, जिसके कारण, चोट लगने पर खून जम नहीं पाता और वह असामान्य रूप से बहता रहता है। इस बीमारी पर तब तक लोगों का ध्यान नहीं जाता, जब तक कि उन्हें किसी कारण से गंभीर चोट न लगे और उनमें रक्त का बहना न रुकें। यह एक जेनेटिक बीमारी होती है। हीमोफीलिया बीमारी दो तरह की होती है- हीमोफीलिया ए और हीमोफीलिया बी।
हीमोफिलिया की बीमारी कैसे होती है
यह एक जेनेटिक बीमारी है। दोषपूर्ण जीन के बच्चों के अंदर जाने से वे इस बीमारी का शिकार हो जाते हैं। लेकिन कभी-कभी शिशु के जन्म से पहले यदि जीन में कोई बदलाव आ जाए, तो भी वह बच्चा इस का शिकार हो जाता है। इस प्रक्रिया को म्यूटेशन कहा जाता है। ऐसा बहुत दुर्लभ मामलों में ही होता है। इस प्रकार के हीमोफिलिया को अक्वायर्ड हीमोफिलिया कहते हैं। यदि गर्भवती महिला कैंसर की शिकार हो या उसने कुछ ऐसी दवाइयों का सेवन किया हो तो उससे पैदा होने वाले शिशु को इस प्रकार का हीमोफिलिया हो सकता है।
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हीमोफीलिया ए क्या है
हीमोफिलिया ए से पीड़ित लोगों के रक्त में प्लाज्मा प्रोटीन, फैक्टर VIII बहुत कम मात्रा में होता है। यदि फैक्टर VIII, सामान्य स्तर का, 5 से 40 फीसदी ही है, तो इसे माइल्ड हीमोफिलिया कहते हैं। यदि फैक्टर VIII, सामान्य स्तर का 1 से 5 फीसदी ही है, तो इसे मॉडरेट हीमोफिलिया कहते हैं। यदि फैक्टर VIII, सामान्य स्तर से 1 फीसदी से भी कम है, तो इसे सीवियर हीमोफिलिया कहते है। यदि रोगी के शरीर में इसकी बहुत ज्यादा कमी हो जाये तो लक्षण और गंभीर हो जाते हैं। शिशुओं और छोटे बच्चों में हीमोफिलिया ए की पहचान हो जाती है।
हीमोफीलिया ए के लक्षण
यदि कोई व्यक्ति हीमोफिलिया ए सी पीड़ित है, तो उसकी मसल्स और जोड़ों में रक्तस्राव हो सकता है और साथ ही दर्द भी महसूस हो सकता है। कभी-कभी सूजन और सूजन वाली जगह को छूने पर गर्माहट का भी एहसास हो सकता है। इसके अलावा बिना किसी कारण नाक से खून निकलना, मूत्र या मल में खून आना, शरीर में चोट के बड़े निशान का बनना इसके लक्षण हैं।
हीमोफीलिया बी क्या है
हीमोफिलिया बी से पीड़ित बच्चों को यदि छोटी से भी चोट लग जाए तो सामान्य लोगों की तुलना में, ऐसे बच्चों में बहुत ज्यादा रक्तस्त्राव होता है और खून जल्दी नहीं जम पाता और कभी-कभी तो स्थिति बहुत ही गंभीर भी हो जाती है। इस बीमारी के मरीज को जीवन भर संभलकर रहना पड़ता है।
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हीमोफिलिया बी के लक्षण
हीमोफिलिया के दो मुख्य लक्षण हैं, पहला सामान्य की तुलना में ज्यादा रक्तस्त्राव और आसानी से खरोच लगना। इसके अलावा बिना किसी वजह के नाक से खून निकलना, छोटी सी चोट से भी बहुत ज्यादा खून निकलना, मुंह में कट लग जाने पर या दांत निकलवाने के बाद, बहुत देर तक खून निकलना, एक बार खून बंद होने के थोड़ी देर बाद फिर से खून निकलना, पेशाब या मल में खून आना आदि भी इसके लक्षण हैं।
हीमोफिलिया से बचाव के तरीके
चोट लगने की स्थिति में खून जमाने और घाव भरने के लिए मुंह से खाने वाली दवाएं और चोट वाली जगह पर लगाने की दवाएं आदि भी दी जाती हैं। मांसपेशियों और हड्डियों की मजबूती के लिए नियमित व्यायाम करें। यह आपकी सामान्य तंदुरूस्ती के लिए भी जरूरी है और आपके जोड़ों को भी स्वस्थ रखने और उनमें इंटर्नल ब्लीडिंग से बचाव में लाभदायक होगा।अगर आपका बच्चा बाहर खेल रहा है या साइकल चलाना सीख रहा है अथवा चला रहा है तो आपको सावधानी बरतने की जरूरत है। खेलते समय हेलमेट, एल्बो और नी पैड्स एवं प्रोटेक्टिव जूते पहनाकर रखें।
(फोटो- पिक्साबे)