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सावधान! पेशाब में जलन, दर्द, खून, बदबू, 15 लक्षण दिखने पर हो जायें सतर्क, हो सकती है ये गंभीर बीमारी

By उस्मान | Updated: January 9, 2020 15:21 IST

डब्ल्यूएचओ के अनुसार, यह समस्या किसी भी उम्र में हो सकती है। 50 फीसदी महिलाओं को अपने जीवनकाल में इस समस्या से गुजरना पड़ता है।

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मूत्र पथ संक्रमण को आम भाषा में यूटीआई भी कहते हैं। इस बीमारी में पेशाब संबंधित कोई भी अंग जैसे किडनी, मूत्राशय, मूत्रनली कुछ भी प्रभावित हो सकता है। यह पेशाब से संबंधित अंगों में होनेवाला इंफेक्शन है। इसलिए ऐसे लक्षण दिखाई दें तो तुरंत इसका उपचार शुरू कर दें, ताकि यह इंफेक्शन किडनी तक ना पहुंचे, वरना समस्या गंभीर हो सकती है।  

यूटीआई के लक्षण

डब्ल्यूएचओ के अनुसार, यह समस्या किसी भी उम्र में हो सकती है। 50 फीसदी महिलाओं को अपने जीवनकाल में इस समस्या से गुजरना पड़ता है। बैक्टीरिया द्वारा इन अंगों के प्रभावित होने से मरीज को पेशाब में परेशानी, दर्द, जलन, बार-बार पेशाब का आना, पेशाब में दुर्गंध आना, पेशाब का रंग बदलना, कमर दर्द, बुखार, जी मचलना, थकान या कमजोरी महसूस होना, पेशाब में खून आना, हमेशा थकान महसूस होना, बुखार या ठंड लगना, पीठ या निचले हिस्से में दर्द या दबाव महसूस होना जैसे लक्षण महसूस हो सकते हैं। इस तरह के लक्षण दिखने पर तुरंत डॉक्टर से मिलने में भलाई है क्योंकि यह समस्या एक बार ठीक होने के बाद भी दोबारा हो सकती है।

यूटीआई के प्रकार

सिस्टिटिस (मूत्राशय): आपको ऐसा महसूस हो सकता है कि आपको बहुत पेशाब करने की आवश्यकता है, या जब आप पेशाब करते हैं तो दर्द महसूस हो सकता है। आपको पेट के निचले हिस्से में दर्द और पेशाब धुंधला या खूनी पेशाब भी हो सकता है।पायलोनेफ्राइटिस (गुर्दे): यह आपके ऊपरी पीठ या पक्ष में बुखार, ठंड लगना, मतली, उल्टी और दर्द पैदा कर सकता है।मूत्रमार्गशोथ (मूत्रमार्ग): जब आप पेशाब करते हैं तो यह एक निर्वहन और जलन पैदा कर सकता है।

यूटीआई के कारण

इस बीमारी के कई कारण हो सकते हैं जिसमें ई-कोली बैक्टीरिया प्रमुख है। यह बैक्टीरिया आंतों में पाए जाते है। ये मलद्वार से निकलकर मूत्रमार्ग, मूत्राशय, मूत्र वाहिनी और किडनी में इंफेक्शन फैला सकते है। मूत्र मार्ग और मलद्वार पास होने के कारण महिलाओं में यूरिन इंफेक्शन अधिक होता है।

 

यौन संबंध के दौरान साफ-सफाई का ख्याल नहीं रखने से भी बैक्टीरिया मूत्र नली में संक्रमण पैदा कर सकते हैं। योनि में महिलाओं द्वारा लगाए जाने वाले डायाफ्राम से भी यह इन्फेक्शन हो सकता है। इनके अलावा डायबिटीज, मोटापा, गर्भावस्था, जेनेटिक भी यूरिन इंफेक्शन का कारण हो सकते हैं।

कुछ महिलाओं को उनके जीन की वजह से यूटीआई होने की अधिक संभावना है। उनके मूत्र पथ का आकार दूसरों को संक्रमित होने की अधिक संभावना बनाता है। डायबिटीज से पीड़ित महिलाओं को अधिक जोखिम हो सकता है क्योंकि उनकी कमजोर प्रतिरक्षा प्रणाली उन्हें संक्रमण से लड़ने में सक्षम बनाती हैं। 

अन्य स्थितियां जो आपके जोखिम को बढ़ा सकती हैं उनमें हार्मोन परिवर्तन, मल्टीपल स्केलेरोसिस, और कुछ भी जो मूत्र प्रवाह को प्रभावित करता है, जैसे कि गुर्दे की पथरी, एक स्ट्रोक और एक रीढ़ की हड्डी की चोट आदि शामिल हैं।

यूटीआई से बचने के उपाय

कुछ सावधानियों को ध्यान में रखकर यूरिन इंफेक्शन से बचा जा सकता है। जैसे- पर्याप्त मात्रा में पानी पीना चाहिए। पेशाब महसूस होने पर तुरंत जायें। मलत्याग या मूत्रत्याग के बाद आगे से पीछे की तरफ धोना ना भूलें। बाथटब के बजाय शॉवर या मग्गे बाल्टी से नहाएं। यौन संबंध से पहले तथा बाद में साफ सफाई का ध्यान रखें। कॉटन अंडरवियर या पेंटी पहनें। नायलोन अंडरवियर या टाइट जीन्स का उपयोग करने से नमी बनी रहती है जिसके कारण बेक्टिरिया पनप सकते है।

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