हेपेटाइटिस बी (Hepatitis B) एक संक्रामक बीमारी है। इस बीमारी के कारण लीवर में सूजन और जलन पैदा होती है। हेपेटाइटिस बी एचआईवी से अधिक खतरनाक है। यह रोग कई कारणों से फैलता है। यह बीमारी हेपेटाइटिस बी वायरस से फैलती है। यह रक्त और शरीर के तरल पदार्थों से फैलता है। यह एक ऐसी खतरनाक बीमारी है जिसके लक्षण आसानी से समझ में नहीं आते हैं।
ऐसा माना जाता है कि संक्रमित सूई का इस्तेमाल या फिर ब्लेड या फिर असुरक्षित यौन संबंध से यह वायरस फैलता है। यह संक्रमित मां से उसके गर्भ में पल रहे बच्चे को भी हो सकता है। इसके अलावा ब्लड ट्रांसफ्यूजन या ऑर्गन ट्रांसप्लांट करते समय ठीक से जांच न करने पर भी हेपेटाइटिस बी होता है।
इस बात का ध्यान रखें कि गले मिलने से, हाथ मिलाने से, खांसी या छींकने से हेपेटाइटिस बी नहीं होता है। माना जाता है कि यह वायरस एचआईवी वायरस से 50 से 100 गुना अधिक संक्रमित होता है। इसके कारण मरीज की मौत भी हो सकती है।
हेपेटाइटिस बी के संकेत और लक्षणइस बीमारी के होने पर आपको जोड़ों में दर्द, पेट में दर्द, उल्टी, थकान, कमजोरी महसूस होना, बुखार, भूख में कमी, सिरदर्द, मल और पेशाब का रंग बदलना, आंखों में पीलापन जैसे लक्षण महसूस हो सकते हैं।
इलाज है बहुत मुश्किलअगर यह कहें कि हेपेटाइटिस का इलाज आज भी मुश्किल है तो कुछ गलत नहीं होगा। क्योंकि आज भी इस रोग का सही टीका उपलब्ध नहीं है। यह वायरस कई लाख लोगों को अब तक संक्रमित कर चुका है जिसका इलाज वैज्ञानिकों के पास स्थायी तौर पर अब तक नहीं है। इस वायरस से लड़ने के लिए अब तक कोई टीका तैयार दुनिया के वैज्ञानिक नहीं कर पाए हैं।
लीवर कैंसर से भी होता है यह रोगहेपेटाइटिस बी एक वायरल संक्रामक रोग है जो हेपेटाइटिस बी वायरस के कारण फैलता है। कई बार हेपेटाइटिस बी से जुड़ी बीमारी में ज्यादा तकलीफ नहीं है जिस कारण लंबे समय तक इस बीमारी का पता नहीं चलता। इस कारण हर साल कई लोग इस बीमारी के कारण मर जाते हैं। हेपेटाइटिस बी के वायरस के कारण लीवर भी खराब हो जाता है।
हेपेटाइटिस बी से बचने के घरेलू उपायआंवलाविटामिन सी से भरपूर होता है जो लीवर को हर तरह से फायदा पहुंचाता है। इसमें पाए जाने वाले एंटी-ऑक्सीडेंट हमारे शरीर से टोक्सिन को हटाने में मदद करते हैं, और लीवर हमारे शरीर की वह जगह है जहाँ सबसे अधिक मात्रा में टोक्सिन पाया जाता है।
मुलेठी पाउडरआयर्वेद में बहुत पहले से नान एल्कोहल फैटी लीवर सम्बंधित बीमारियों के उपचार के लिए हो रहा है। मुलेठी पाउडर हमारे लिवर को बहुत फायदा पंहुचाती है। एक बड़ा चम्मच मुलेठी पाउडर में दो चम्मच शहद मिलाकर प्रतिदिन खाएं। हेपेटाइटिस के उपचार में यह भी बेहद फायदेमंद है। इसके साथ ही लिकोरिस की जड़ को पानी में उबालकर उसकी चाय भी बनाई जा सकती है।
लहसुनशरीर से विषाक्त पदार्थो को साफ़ करने में मदद करता है। लहसुन में भारी मात्रा में सेलेनियम पाया जाता है, जो की लीवर को स्वस्थ रखने में मदद करता है और रक्त को साफ करता है। ऐसे में रोजाना सुबह खाली पेट लहसुन की एक से दो कली चबाएं। साथ ही खाना बनाने में भी लहसुन का प्रयोग मसाले के रूप में जरूर करें।
हल्दीएंटी-ऑक्सीडेंट्स से भरपूर होती है। हल्दी का एंटीवायरल एक्शन हेपेटाइटिस बी के वायरस को बढ़ने से रोकता है। हल्दी को इस्तेमाल करने का सबसे आसान और अच्छा उपाय है कि इसे खाना बनाते वक्त मसालों के साथ मिलाकर खाएं या दूध में चुटकीभर हल्दी मिलाकर रोज पिएं। इससे आप लिवर संबंधी रोगों से बचे रहेंगे।
काली गाजरविटामिन से भरपूर काली गाजर से खून की कमी पूरी होती है तथा रक्त संचार सुधरता है। हेपेटाइटिस में भी गाजर को सलाद के रूप में खाने से बहुत फायदे होते हैं। हरी चाय में एंटीऑक्सीडेंट के गुण भरी मात्रा में पाए जाते है। जिससे लीवर की सफाई में मदद होती है तथा लीवर अच्छे से काम करता है। हेपेटाइटिस के उपचार और बचाव के लिए ग्रीन टी को अपनी दिनचर्या में शामिल करें।