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बचके रहना रे बाबा?, पुरुषों के फेफड़ों में महिलाओं की तुलना में वायु प्रदूषकों का जमाव ज्यादा, 5 वर्षों में किए गए अध्ययन में खुलासा

By लोकमत न्यूज़ डेस्क | Updated: December 19, 2025 10:58 IST

अध्ययन के अनुसार, बैठे रहने के दौरान पुरुषों में पीएम 2.5 का फेफड़ों में जमाव महिलाओं की तुलना में करीब 1.4 गुना और पीएम 10 का जमाव लगभग 1.34 गुना अधिक पाया गया।

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ठळक मुद्देशोधकर्ताओं ने 2019 से 2023 के बीच दिल्ली के 39 वायु गुणवत्ता निगरानी केंद्रों के आंकड़ों का विश्लेषण किया।अध्ययन में पुरुषों और महिलाओं के बीच फेफड़ों में प्रदूषक कणों के जमाव में स्पष्ट अंतर पाया गया। पीएम 2.5 और पीएम 10 दोनों के लिए पुरुषों के फेफड़ों में जमाव महिलाओं की तुलना में करीब 1.2 गुना अधिक दर्ज किया गया।

नई दिल्लीः दिल्ली के पुरुषों के फेफड़ों में महिलाओं की तुलना में वायु प्रदूषकों का जमाव ज्यादा हो रहा है। यह बात पांच वर्षों में किए गए एक अध्ययन में सामने आई है। ‘रेस्पिरेटरी डिपोजिशन ऑफ पार्टिकुलेट मैटर इन दिल्ली: ए फाइव-ईयर असेसमेंट ऑफ एक्सपोज़र पैटर्न्स एंड हेल्थ रिस्क्स’ शीर्षक से यह अध्ययन नेताजी सुभाष प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय (एनएसयूटी), दिल्ली और नोएडा स्थित एक पर्यावरण परामर्श संस्था के शोधकर्ताओं द्वारा किया गया। शोधकर्ताओं ने 2019 से 2023 के बीच दिल्ली के 39 वायु गुणवत्ता निगरानी केंद्रों के आंकड़ों का विश्लेषण किया।

अध्ययन में पुरुषों और महिलाओं के बीच फेफड़ों में प्रदूषक कणों के जमाव में स्पष्ट अंतर पाया गया। अध्ययन के अनुसार, बैठे रहने के दौरान पुरुषों में पीएम 2.5 का फेफड़ों में जमाव महिलाओं की तुलना में करीब 1.4 गुना और पीएम 10 का जमाव लगभग 1.34 गुना अधिक पाया गया।

चलने के दौरान पीएम 2.5 और पीएम 10 दोनों के लिए पुरुषों के फेफड़ों में जमाव महिलाओं की तुलना में करीब 1.2 गुना अधिक दर्ज किया गया। शोधकर्ताओं ने बताया कि पुरुषों में सांस लेने की क्षमता अधिक होने के कारण उनके फेफड़ों में प्रदूषित हवा की ज्यादा मात्रा में प्रवेश करती है।

अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मान्य वैज्ञानिक मॉडल का उपयोग करते हुए शोधकर्ताओं ने यह आकलन किया कि हवा में मौजूद प्रदूषण के बजाय वास्तव में कितने कण फेफड़ों के विभिन्न हिस्सों में पहुंचकर जमा होते है। शोध में यह भी पाया गया कि दिल्लीवासियों में सूक्ष्म कणों का फेफड़ों में जमाव, भारत के राष्ट्रीय वायु गुणवत्ता मानकों की तुलना में करीब 10 गुना और विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) के मानकों की तुलना में लगभग 40 गुना अधिक है।

राष्ट्रीय परिवेशी वायु गुणवत्ता मानकों के अनुसार, पीएम 2.5 की दैनिक सीमा 60 माइक्रोग्राम प्रति घनमीटर और पीएम 10 की 100 माइक्रोग्राम प्रति घनमीटर निर्धारित है, जबकि डब्ल्यूएचओ की सीमाएं इससे कहीं सख्त हैं। अध्ययन में पाया गया कि बैठने की तुलना में चलने के दौरान फेफड़ों में प्रदूषक कणों का जमाव दो से तीन गुना अधिक होता है।

सभी वर्गों में चलते समय पुरुषों में यह स्तर सबसे अधिक पाया गया। अध्ययन में यह भी सामने आया कि शाम के समय यात्रा के दौरान प्रदूषण का असर और बढ़ जाता है। सुबह की तुलना में शाम के समय पीएम 2.5 का फेफड़ों में जमाव 39 प्रतिशत और पीएम 10 का 23 प्रतिशत अधिक दर्ज किया गया।

प्रदूषण नियंत्रण के कड़े उपायों के बावजूद दिल्ली की वायु गुणवत्ता बिगड़ती जा रही 

दिल्ली में बृहस्पतिवार को धुंध की चादर छा गई, जिससे पूरे शहर में दृश्यता कम हो गई और वायु प्रदूषण की स्थिति और खराब हो गई। चौबीस घंटे का औसत एक्यूआई 'बहुत खराब' श्रेणी में रहा और इसका स्तर एक दिन पहले के 334 से बढ़कर 373 हो गया। यह जानकारी आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार है।

केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) के समीर ऐप के अनुसार शहर में स्थित 40 वायु गुणवत्ता निगरानी केंद्रों में से 15 केंद्रों पर वायु गुणवत्ता 'गंभीर' दर्ज की गई। आनंद विहार में सबसे अधिक 441 एक्यूआई दर्ज किया गया जो 'गंभीर-प्लस' श्रेणी में आता है जबकि 24 केंद्रों पर वायु गुणवत्ता 'अत्यंत खराब' दर्ज की गई। सीपीसीबी के अनुसार, सुबह के समय वायु गुणवत्ता सूचकांक (एक्यूआई) 358 था। 

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