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Coronavirus: क्या 'टेस्टोस्टेरोन' लेवल पुरुषों में संक्रामक रोगों को बदतर बनाता है ?

By उस्मान | Updated: April 16, 2021 13:18 IST

जानिये टेस्टोस्टेरोन लेवल का पुरुषों में क्या प्रभाव पड़ता है

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ठळक मुद्देटेस्टोस्टेरोन लेवल से पुरुषों में कोरोना का खतरा कितना ? क्या महिलाओं को कोरोना का जोखिम कम है ? कोरोना के मामले में इम्यून सिस्टम कितना सहायक

कोरोना वायरस इंसान को कई तरह से प्रभावित कर रहा है। ऐसा भी माना जा रहा है कि मेल सेक्स हार्मोन 'टेस्टोस्टेरोन' का इम्यून सिस्टम पर एक गहरा प्रभाव पड़ता है, जो पुरुषों को कोरोना वायरस के लिए अधिक संवेदनशील बनाता है। चलिए जानते हैं इस सिद्धांत में कितनी सच्चाई है। 

द कन्वर्सेशन की एक रिपोर्ट के अनुसार, वैज्ञानिक प्रमाणों से पता चलता है कि एस्ट्रोजन (फीमेल हार्मोन) इम्यूनिटी सिस्टम में सुधार कर सकता है औरइम्यून बूस्ट कर सकता है जबकि टेस्टोस्टेरोन इम्यून को कम कर देता है। नतीजतन पुरुषों के मुकालबे महिलाएं कम संक्रमित हो सकती हैं और टीकाकरण के लिए काफी मजबूत प्रतिरक्षा प्रतिक्रियाएं दे सकती हैं। 

हाई टेस्टोस्टेरोन लेवल वाले पुरुषों में इम्यून सिस्टम कमजोर हो सकता है और ऐसे पुरुषों में वार्षिक फ्लू टीकाकरण के लिए सबसे कम एंटीबॉडी प्रतिक्रियाएं  उत्पादन होती हैं।

शोधकर्ताओं ने सिंगल इम्यून सिस्टम फंक्शन और इंडिविजुअल इम्यून सेल टाइप को लेकर इम्यून सिस्टम पर टेस्टोस्टेरोन के प्रभाव का अध्ययन किया। इम्यून सिस्टम कई अलग-अलग कोशिकाओं, अंगों और ऊतकों की एक जटिल व्यवस्था है, जो संक्रमण के लिए एक विस्तृत प्रतिक्रिया को निर्देशित करता है।

इनेट इम्यूनिटी का अर्थ है कि यह एक फ्रंटलाइन रक्षा है, जो अधिक सामान्य है। यह किसी भी संक्रमण को लक्षित करती है और उसे धीमा करती है। 

इसी तरह एडेप्टिव इम्यूनिटी अधिक जटिल है। यह विशिष्ट एंटीबॉडी बनाने से पहले संक्रमण को पहचानने में अधिक समय लेता है। खतरा हो जाने के बाद, यह  रोगजनक की प्रतिक्रियाओं को तेज, अधिक कुशल और शक्तिशाली बनाती है।

एक संक्रमण कितना गंभीर हो सकता है, इसका एक प्रमुख कारक यह है कि क्या किसी व्यक्ति को अंतर्निहित बीमारी है या नहीं। हालांकि यह समझा नहीं जा सकता है कि बीमारी के दौरान होने वाले टेस्टोस्टेरोन के कम स्तर से पुरुषों में अधिक गंभीर संक्रमण विकसित होने की संभावना होती है या नहीं। 

यह हाल ही में देखा गया है कि कोरोना पुरुषों में गोनाड के कामकाज में बदलाव करके टेस्टोस्टेरोन लेवल को कम करता है। चीजों को जटिल बनाना उम्र का प्रभाव है। बीमारियों उम्र के साथ बढ़ जाती है। दोनों जेंडर में कोरोना के लिए आयु एक प्रमुख जोखिम कारक है। 

पुरुषों की उम्र बढ़ने के दौरान उनका टेस्टोस्टेरोन लेवल भी कम हो जाता है। इससे बुजुर्ग पुरुषों में संक्रमण की गंभीरता भी बढ़ जाती है। ऐसा टेस्टोस्टेरोन लेवल का कम होना ही एक बड़ा कारण है। 

उदाहरण के लिए, कम टेस्टोस्टेरोन लेवल वाले जिन लोगों को क्रोनिक किडनी की बीमारी थी, उन्हें अधिक   टेस्टोस्टेरोन वाले पुरुषों की तुलना में संक्रमण के कारण अस्पताल जाने की अधिक संभावना थी। हालांकि कोरोना के मामले में यह प्रासंगिक यह हो सकता है कि इनमें से अधिकांश संक्रमण श्वसन संक्रमण थे।

यह इम्यून सिस्टम को कैसे प्रभावित करता है, यह पता लगाने के लिए विभिन्न स्वास्थ्य स्थितियों और उम्र वाले पुरुषों में विभिन्न प्रकार के जन्मजात और अनुकूली प्रतिरक्षा दोनों के विभिन्न कार्यों पर टेस्टोस्टेरोन के प्रभावों को देखना आवश्यक होगा। 

इस तरह की जांच फिलहाल मौजूद नहीं है। तो अभी यह निष्कर्ष निकालना ठीक नहीं होगा कि टेस्टोस्टेरोन प्रतिरक्षा प्रणाली को प्रभावित कर सकता है। पुरुषों में कोरोना जैसी संक्रामक बीमारियों की गंभीरता का प्रभाव कई अन्य कारकों पर निर्भर करता है।

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