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Covid-19 vaccine: रूस की दुनिया की पहली कोविड-19 वैक्सीन पर AIIMS ने क्या कहा, भारत कब आएगी रूसी वैक्सीन

By उस्मान | Updated: August 12, 2020 10:32 IST

Coronavirus vaccine in India: रूस ने दुनिया की पहली कोविड-19 वैक्सीन की घोषणा कर दी है, जानिये भारत में कब तक आ सकता है टीका

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ठळक मुद्देरूस ने दुनिया की पहली कोविड-19 वैक्सीन बनाने की घोषणा करके पूरी दुनिया को चौंका दिया एम्स निदेश ने कहा टीके की सुरक्षा और प्रभावशीलता का आकलन जरूरीपरीक्षण पूरा हुए बिना टीके की घोषणा पर वैज्ञानिकों को संदेह

रूस ने मंगलवार को दुनिया की पहली कोविड-19 वैक्सीन बनाने की घोषणा करके पूरी दुनिया को चौंका दिया है। इस टीके को 'स्पुतनिक वी' (Sputnik V) नाम से जाना जाएगा। रूस ने कोरोना वायरस वैक्सीन के सार्वजनिक उपयोग के लिए मंजूरी दी है। 

रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन की इस घोषणा के बाद से विशेषज्ञ चौंक गए हैं। ऑल इंडिया इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज (एम्स) दिल्ली के निदेशक डॉक्टर रणदीप गुलेरिया ने कहा कि रूस द्वारा विकसित कोविड-19 वैक्सीन की सुरक्षा और प्रभावशीलता का आकलन करने की आवश्यकता है यदि यह सफल है।

गुलेरिया ने कहा, 'यदि रूस का टीका सफल रहा है, तो हमें गंभीर रूप से देखना होगा कि क्या यह सुरक्षित और प्रभावी है। वैक्सीन का कोई दुष्प्रभाव नहीं होना चाहिए और यह अच्छी प्रतिरक्षा और सुरक्षा प्रदान करने वाला होना चाहिए। भारत में वैक्सीन के बड़े पैमाने पर उत्पादन की क्षमता है। 

पुतिन का दावा-वायरस के खिलाफ प्रभावी है टीका

पुतिन ने कहा कि टीका कोविड-19, वायरस के कारण होने वाली बीमारी के खिलाफ 'स्थायी प्रतिरक्षा' प्रदान करता है। उन्होंने यह भी कहा कि उनकी अपनी बेटियों में से एक को टीका लगा और बाद में उसे बेहतर महसूस हुआ। 

गैमलेया रिसर्च इंस्टीट्यूट ने बनाया टीका

बताया जा रहा है कि इस वैक्सीन को मॉस्को के गैमलेया रिसर्च इंस्टीट्यूट ऑफ एपिडेमियोलॉजी एंड माइक्रोबायोलॉजी द्वारा बनाया गया है और इसे पंजीकरण के बाद सार्वजनिक उपयोग के लिए अनुमति मिल गई है।

वैज्ञानिकों को क्यों है संदेह

दुनियाभर में अनेक वैज्ञानिक इस कदम को संदेह की दृष्टि से देख रहे हैं और तीसरे चरण के परीक्षण से पहले टीके का पंजीकरण करने के निर्णय पर सवाल उठा रहे हैं। किसी भी टीके का तीसरे चरण का परीक्षण आम तौर पर हजारों लोगों पर महीनों तक चलता है।  

जर्मनी के तुबिंगन में यूनिवर्सिटी हॉस्पिटल के पीटर क्रेम्सनर ने कहा, 'आमतौर पर आपको वैक्सीन की मंजूरी देने से पहले बड़ी संख्या में लोगों की जांच की आवश्यकता होती है। ऐसे में अगर इस टीके का लोगों पर सही तरह परीक्षण नहीं हुआ है तो यह एक बड़ी लापरवाही है। 

अमेरिकी संक्रामक रोग के अधिकारी डॉक्टर एंथोनी फौसी ने कहा कि उन्होंने ऐसा कोई सबूत नहीं सुना है कि यह टीका व्यापक उपयोग के लिए तैयार था। मुझे गंभीरता से संदेह है कि उन्होंने यह साबित कर दिया है कि टीका सुरक्षित और प्रभावी है।

भारत में कब आएगी रूसी वैक्सीन

इस टीके को उपलब्ध होने में देर हो सकती है, खासकर रूस के बाहर के लोगों के लिए। वैक्सीन का उत्पादन शुरू होने की संभावना है। बताया जा रहा है कि टीके की पहले खेप तैयार है और जल्द ही रूसी प्रांतों में भेज दिया जाएगा जो पहले डॉक्टरों और स्वास्थ्य सेवा श्रमिकों को दिया जाएगा जो संक्रमण के उच्च जोखिम में हैं।

हालांकि रूस में एक साल में केवल 1.5 मिलियन खुराकों का उत्पादन करने की क्षमता है, जो एक अपर्याप्त मात्रा है। यह देखते हुए कि तत्काल वैश्विक मांग अरबों खुराक की है। नतीजतन, रूस की अन्य देशों में मांग को पूरा करने की क्षमता गंभीर रूप से सीमित दिख रही है। 

हालांकि, रूस ने कहा है कि इसने वैक्सीन की सालाना 500 मिलियन खुराक का उत्पादन करने के लिए अंतरराष्ट्रीय समझौतों में प्रवेश किया था। उसने यह भी कहा है कि उसे विदेशों से वैक्सीन की 1 बिलियन खुराक के लिए अनुरोध प्राप्त हुए थे।

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