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COVID-19 effect: कोरोना लॉकडाउन में बढ़ने लगा आंखों की गंभीर बीमारी Myopia खतरा, जानिये इसके कारण और लक्षण

By उस्मान | Updated: June 17, 2021 14:24 IST

कोरोना वायरस लॉकडाउन के दौरान बच्चों में इसके अधिक मामले देखने को मिले हैं

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ठळक मुद्देलॉकडाउन के दौरान बच्चों में इसके अधिक मामले देखने को मिले हैं साल 2020 में तीन गुना बढ़ गए इसके मामलेजानिये इस विकार के लक्षण और कारण क्या हैं

कोरोना वायरस की वजह से पिछले कई महीनों से लगे लॉकडाउन के दौरान बहुत से लोगों में आंखों से जुड़ी समस्या मायोपिया (myopia) के मामले देखने को मिले हैं, खासकर बच्चों में यह समस्या ज्यादा देखने को मिली है।

इसकी वजह यह है कि इस दौरान लोग अपने घरों में थे जिस वजह से वो अपना ज्यादातर समय मोबाइल, टीवी, लैपटॉप और कंप्यूटर देखने में बिता रहे थे।

डीडब्ल्यू डॉट कॉम की एक रिपोर्ट के अनुसार, नीदरलैंड और चीन के हालिया अध्ययनों से पता चलता है कि कोरोना वायरस की वजह से लगे लॉकडाउन की वजह से विशेष रूप से बच्चों में मायोपिया के मामले बढ़ गए हैं। इसे quarantine myopia बताया जा रहा है।

120,000 से अधिक चीनी स्कूली बच्चों के डेटा से पता चला है कि छह से आठ वर्ष की आयु के बच्चों में पिछले वर्षों में उनकी उम्र के बच्चों की तुलना में 2020 में मायोपिया होने की संभावना तीन गुना अधिक थी।  

मायोपिया क्या है ?

मायोपिया आंखों से जुड़ी एक ऐसी समस्या है जिसमें हमें दूर की चीजें साफ नहीं दिखाई देती। साइंस की भाषा में समझें तो अगर, कोई ऑबजेक्ट 2 मीटर या 6.6 फीट की दूरी पर मौजूद है, तो वह हमें धुंधली दिखाई देता है।

एक्सपर्ट्स का मानना है कि यह स्थिति बच्चों के लिए भयावह है क्योंकि वो कम उम्र में दूर की वस्तुओं को देखने में सक्षम नहीं होना का शिकार हो जा रहे हैं। 

ज्यादातर मामलों में यह स्थिति प्राथमिक विद्यालय में शुरू होती है और जैसे-जैसे बच्चा बड़ा होता है, यह बढ़ता जाता है। जितनी जल्दी यह शुरू होता है, उतना ही गंभीर होता जाता है। 

यदि छह से 10 वर्ष की आयु के बीच eyeball बहुत अधिक बढ़ जाता है, तो इसका मतलब है कि बच्चे को दूर की वस्तुओं को देखने में कठिन समय लगता है। इस स्थिति से आंख के अंदर उच्च दबाव के कारण मोतियाबिंद, या जीवन में बाद में अंधेपन का खतरा भी बढ़ जाता है।

मायोपिया के कारण क्या हैं ?

ऐसा माना जाता है कि इस गंभीर समस्या के लिए खराब जीवनशैली एक बड़ा कारण है. असंतुलित, आहार के कारण बच्चों के शरीर को वो पोषक तत्व नहीं मिल पा रहे हैं, जिनकी उन्हें जरूरत होती है। ऊपर से दिनचर्या का बड़ा हिस्सा मोबाइल, लैपटॉप और टीवी ने ले लिया है। ऐसे में मायोपिया को पैर फैलाने की जगह मिल जाती है।

मायोपिया की पहचान कैसे करें

यदि कोई मायोपिया का शिकार है, तो उसे सड़क के संकेतों को पढ़ने और दूर की वस्तुओं को स्पष्ट रूप से देखने में कठिनाई होगी। इस दौरान आपको पास के काम करने जैसे पढ़ने और कंप्यूटर के उपयोग में किसी प्रकार की कोई समस्या नहीं होगी। 

मायोपिया के लक्षण

मायोपिया के अन्य लक्षणों में स्क्विंटिंग, आंखों का तनाव और सिरदर्द शामिल हैं। वाहन चलाते समय व खेल खेलते समय थकान महसूस करना भी निकट दृष्टिदोष का एक लक्षण हो सकता है।

मायोपिया होने पर क्या करें ?

अगर आप चश्मे या कॉन्टेक्ट लेंस का प्रयोग करते हैं, बावजूद इसके आप इन लक्षणों का अनुभव करते हैं, तो आपको चिकित्सक से मिलना चाहिए। साथ ही इलाज की दिशा में आगे बढ़ना चाहिए। क्योंकि, देरी भविष्य के लिए नुक्सान-देह हो सकती है।

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