कनाडा की सुप्रीम कोर्ट ने कहा, 'यौन संबंघ के दौरान बिना साथी की जानकारी के कंडोम हटाना अपराध की श्रेणी में आता है'
By आशीष कुमार पाण्डेय | Published: July 30, 2022 07:31 PM2022-07-30T19:31:11+5:302022-07-30T19:34:42+5:30
कनाडा की सुप्रीम कोर्ट ने एक यौन संबंध केस की सुनवाई करते हुए कहा कि अगर कंडोम की सहमति के परिस्थिति में स्थापित किये गये यौन संबंध में गैर-सहमति से कंडोम को हटाया जाता है को वह निश्चित ही यौन अपराध की श्रेणी में आएगा।
ओटावा:कनाडा की सुप्रीम कोर्ट ने एक केस की सुनवाई के बाद महत्वपूर्ण आदेश देते हुए कहा कि यौन संबंध के दौरान बिना साथी की जानकारी या सहमति के कंडोम हटाना यौन अपराध की श्रेणी में आता है। समाचार पत्र 'द न्यूयॉर्क टाइम्स' की रिपोर्ट के अनुसार कनाडा की सुप्रीम कोर्ट ने यह निर्णय एक ऐसे मामले में है, जिसमें साल 2017 में ऑनलाइन के माध्यम से जुड़ने वाले दो लोगों को शामिल किया गया था कि क्या वो यौन संबंध बनाने के लिए आकर्षित होते हैं और इसके लिए एक-दूसरे से मुलाकात करते हैं।
इस प्रयोग में शामिल होने वाली महिला का नाम उजागर हुआ है। उसने कंडोम के साथ सेक्स के लिए अपनी सहमति दी थी। लेकिन यौन संबंध स्थापित करने के दौरान उसके पुरुष साथी ने कंडोम नहीं पहना था। जिस बात का पता महिला को नहीं था और उस कारण महिला को एचआईवी निवारक इलाज से गुजरना पड़ा।
इस मामल में महिला के साथ बिना कंडोम संसर्ग करने वाले आरोपी पुरुष रॉस मैकेंजी किर्कपैट्रिक पर महिला साथी को धोखा देने और उसका यौन उत्पीड़न का केस दर्ज किया गया। हालांकि मामले में सुनवाई करते हुए निचली अदालत के जज ने किर्कपैट्रिक के इस तर्क को स्वीकार करते हुए उस पर लगे सभी आरोपों को खारिज कर दिया कि शिकायतकर्ता ने यौन संबंध बनाते समय उसके द्वारा कंडोम पहनने में विफल रहने के बावजूद यौन संबंध स्थापित करने के लिए अपनी सहमति दी।
लेकिन निचली अदालते के फैसले को ब्रिटिश कोलंबिया कोर्ट ऑफ अपील ने पलट दिया। जहां निचली अदालत के फैसले को चुनौती दी गई थी। जिसके बाद आरोपी किर्कपैट्रिक ने ब्रिटिश कोलंबिया कोर्ट ऑफ अपील के फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी। जिसने पिछले नवंबर में इस संबंध में सभी पक्षों की दलीलों को सुना।
न्यूयार्क टाइम्स के मुताबिक अदालत ने 5-4 के वोट से इस मामले में फैसला सुनाते हुए कहा कि "बिना कंडोम के यौन संबंध स्थापित करना कंडोम के साथ सेक्स किये जाने से तुलना में मौलिक और गुणात्मक रूप से अलग शारीरिक कार्य है।
अदालत ने कहा, "जब यौन संबंध बनाते समय कंडोम के उपयोग की बात स्पष्ट तौर पर कही गई थी तब उस संबंध में अप्रासंगिक, गौण या आकस्मिक नहीं हो सकता है।" अदालत के इस तर्क पर आरोपी किर्कपैट्रिक के वकील ने कहा कि कोर्ट इस आदार पर तो कोर्ट आपराधिक संहिता की नई व्याख्या कर रहा है, जो पूरे देश में मानक स्थापित करेगी। इस तर्क से तो यौन सहमति के नियमों को काफी हद तक बदलाव हो जाएगा और इस कारण यह लगभग एक बाध्यकारी दस्तखत वाले कांट्रेक्ट की तरह हो जाएगा।
वहीं ब्रिटिश कोलंबिया की ओर से पेश हुए वकील फिल कोटे ने कोर्ट में कहा, "वैसे तो कनाडा में सहमति को हर पल प्रमुखता दी जाती है लेकिन इस निर्णय से यौन गतिविधि के समय सहमति एक प्रमुख तत्व बन जाएगा। फिर चाहे वो इस मामले के से एक दिन पहले या एक सप्ताह पहले भी स्थापित यौन संबंध हैं, वो भी इसके दायरे में आ जाएंगे।"
उन्होंने आगे कहा, "अगर इस आदेश को हर किसी के लिए और विशेष रूप से पुरुषों के लिए नैतिक नियमों से जोड़ कर देखा जाएगी तो ऐसा में आपको यह भी सुनिश्चित करना होगा कि जल्दबाजी में स्थापित किये गये यौन संबंधों के दौरान भी इसकी सहमति लेना आवश्यक हो जाता है। लेकिन कई बार यौन संबंध बनाते समय दुर्भाग्य से ऐसा नहीं होता है।"
इस संबंध में अलबर्टा विश्वविद्यालय में महिला अध्ययन और सेक्स सहमति के विशेषज्ञ लिसे गोटेल ने कहा, "दुनिया में किसी भी देश में इस मामले में कानून स्पष्ट नहीं हैं कि अगर कंडोम के साथ यौन संबंध की सहमति के बाद स्थापित हुए यौन संबंधों के दौरान अगर अचानक उसे हटा लिया जाए तो क्या यह यौन हमला या रेप माना जाएगा।"
वही कनाडा की सुप्रीम कोर्ट का स्पष्ट मानना है कि अगर कंडोम की सहमति के परिस्थिति में स्थापित किये गये यौन संबंध में गैर-सहमति से कंडोम को हटाया जाता है को वह निश्चित ही यौन अपराध की श्रेणी में आएगा।"
इस मामले में कुछ अध्ययन सामने आये हैं, जो बताते हैं कि पिछले एक दशक में कंडोम के उपयोग का प्रतिरोध व्यापक हो गया है और पुरुषों के साथ यौन संबंध बनाने वाली महिलाओं ने कई बार सहमति के बिना पुरुष साथी द्वारा कंडोम हटाने की बात कही है।