दिल्ली के स्वास्थ्य मंत्री सत्येंद्र जैन ने बताया कि राष्ट्रीय राजधानी के अस्पतालों में बुधवार रात तक ब्लैक फंगस के 197 मामले आए थे। उन्होंने बताया कि इनमें वे मरीज भी शामिल हैं जो बाहर से यहां के अस्पतालों में इलाज कराने आए हैं।
जैन ने कहा, 'दिल्ली के अस्पतालों में बुधवार रात तक ब्लैक फंगस के 197 मामले आए थे जिनमें वे मरीज भी शामिल हैं जो इलाज के लिए दूसरे राज्यों से यहां आए हैं। पूरे देश में ब्लैक फंगस या म्यूकोरमाइकोसिस के इलाज में इस्तेमाल एम्फोटेरीसिन-बी इंजेक्शन की कमी है।
उन्होंने कहा कि केंद्र से 2000 इंजेक्शन दिल्ली को मिलने की उम्मीद है जिन्हें इन अस्पतालों को दिया जाएगा। जैन से डॉक्टरों की सलाह के बिना कोविड-19 मरीजों द्वारा स्ट्रॉयड लेने के प्रति आगाह किया।
उन्होंने कहा, 'यह बहुत ही खतरनाक है। स्ट्रॉयड लेने से मरीजों की प्रतिरक्षण क्षमता शून्य हो जाती है। ब्लैक फंगस मिट्टी या घर के अंदर सड़ रहे सामान में पाया जाता है और स्वस्थ व्यक्तियों को प्रभावित नहीं करता, लेकिन क्षीण प्रतिरक्षण क्षमता वालों के इससे संक्रमित होने का अधिक खतरा है।'
ब्लैक फंगस रोगियों के इलाज के लिए बनेंगे विशेष केंद्र दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने कहा कि दिल्ली सरकार के तीन अस्पतालों में ब्लैक फंगस या म्यूकरमाइकोसिस के इलाज के लिए विशेष केंद्र बनाये जाएंगे।
उन्होंने ट्वीट किया, 'ब्लैक फंगस बीमारी की रोकथाम और इलाज के लिए बैठक में कुछ अहम निर्णय लिए। ब्लैक फंगस के इलाज के लिए लोक नायक जयप्रकाश अस्पताल, गुरु तेग बहादुर अस्पताल और राजीव गांधी सुपर स्पेशियलिटी अस्पताल में केंद्र बनाये जाएंगे।'
केजरीवाल ने कहा कि इस बीमारी के इलाज में इस्तेमाल होने वाली दवाओं का पर्याप्त मात्रा में प्रबंध किया जाएगा और बीमारी से बचाव के उपायों को लेकर लोगों में जागरूकता फैलाने का निर्णय लिया गया है।
दिल्ली के अस्पतालों में नोवेल कोरोना वायरस की दूसरी लहर के दौरान संक्रमण से स्वस्थ हुए कुछ लोगों में ब्लैक फंगस की बीमारी के मामले सामने आये हैं। विशेषज्ञों के अनुसार संक्रमितों द्वारा बिना डॉक्टरों की सलाह के घर में स्टेरॉइड का अनावश्यक अधिक इस्तेमाल करने की वजह से इस तरह के मामले आ रहे हैं।
यह फंगल संक्रमण फेफड़ों, साइनस, आंखों और मस्तिष्क को प्रभावित कर सकता है तथा मधुमेह पीड़ितों के लिए घातक हो सकता है। इंद्रप्रस्थ अपोलो अस्पताल में ईएनटी विशेषज्ञ सुरेश सिंह नारुका के अनुसार मधुमेह, किडनी रोग, यकृत रोग, वृद्धावस्था, हृदय संबंधी व्याधियों आदि के कारण जिन लोगों की प्रतिरोधक क्षमता कमजोर होती है, उन्हें म्यूकरमाइकोसिस होने का जोखिम अधिक होता है।
उन्होंने कहा, 'जब ऐसे रोगियों को स्टेरॉइड दिये जाते हैं तो उनकी प्रतिरोधक क्षमता और कम हो जाती है और फंगस का प्रकोप बढ़ जाता है।'
(समाचार एजेंसी भाषा के इनपुट के साथ)