भारत के पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी की तंदरुस्ती की दुआ इस समय पूरा देश कर रहा है। वे दिल्ली के AIIMS अस्पताल में भर्ती हैं और जिंदगी और मौत की जंग लड़ रहे हैं। उनका इलाज कर रहे डॉक्टरों के मुताबिक उनकी हालत बेहद गंभीर है और किसी भी तरह का सुधार देखने को नहीं मिल रहा है। एक-एक करके कई रिश्तेदार और राजनीतिक दिग्गज उनसे मिलने अस्पताल पहुंच रहे हैं। अटल बिहारी वाजपेयी इस समय 93 साल के हैं और कई तरह की बीमारियों से जूझ रहे हैं जिनमें से डायबिटीज, मूत्रमार्ग में संक्रमण (UTI) और किडनी की बीमारी से पीड़ित हैं। उनका इलाज कर रहे डॉक्टरों के मुताबिक उनकी हालत बेहद गंभीर है और उन्हें जीवन रक्षक प्रणाली life support system पर रखा गया है। डॉक्टरों के अनुसार, उनके स्वास्थ्य में किसी भी तरह का सुधार देखने को नहीं मिल रहा है। दिल्ली के मशहूर फिटनेस एक्सपर्ट इमरान खान बता रहे हैं कि डायबिटीज और यूटीआई जैसी गंभीर बीमारियों से बचने के लिए आपको क्या-क्या योगासन करने चाहिए।
डायबिटीज कंट्रोल करने के लिए योगासन 1) प्राणायामभ्रामरी और भास्रिका प्राणायाम डायबिटीज के लिए ज्यादा लाभकारी होते हैं। भ्रामरी प्राणायाम करने से मन, मस्तिष्क और तंत्रिका तंत्र को फायदा होता है। भास्रिका प्राणायाम खून में ऑक्सीजन लेवल को बढाता है और कार्बन डाइऑक्साइड के लेवल को कम करता है। ज्यादा तेजी से सांस को अंदर-बाहर करना, गहरी सांस लेना अच्छे से सीखना चाहिए।
2) सूर्य नमस्कारडायबिटीज रोगियों के लिए यह योगा सबसे आसान और लाभकारी है। इस योगा को करने से रक्त का संचार शरीर में अच्छे से होता है। इस आसन को एक मिनट में 4 बार आराम-आराम से करना चाहिए।
3) मुद्रासन जमीन पर बैठकर दाएं हाथ की हथेली को पहले नाभि पर रखें और बाएं हाथ की हथेली को दाएं हाथ पर रखें। फिर सांस बाहर निकालते हुए आगे झुककर सामने की तरफ देखते हुए ठोढी को जमीन पर टिकाइए। सांस अंदर भरते हुए वापिस आइए। इस क्रिया को करते समय 4-5 बार दोहराएं करें।
4) मेडिटेशनध्यान करने से तनाव कम होता है, दिमाग शांत और एकाग्रचित्त होता है। मेडिटेशन प्रतिदिन करने से इंसुलिन हार्मोन की अनियमितता ठीक होती है जो कि मधुमेह के रोगी के लिए बहुत जरूरी है।
5) सर्वांगासनयह योगा करने से गले के आसपास पाई जाने वाली थॉयराइड और पैराथाइराइड ग्रंथियों पर असर होता है। इससे ग्रंथियों में रक्तसंचार सुचारु हो जाता है। इस योग को करने के लिए आराम से किसी चटाई पर लेटकर दोनों हाथ फैला लीजिए, फिर धीरे-धीरे दोनों पैरों को उपर कीजिए, फिर हाथों से कमर को पकडकर पूरे शरीर को हवा में कीजिए और शरीर का पूरा भाग गर्दन पर हो जाने दीजिए। अपने पैरों को सीधा रखिए।
यूटीआई UTI से बचने के लिए योगासनमूत्र मार्ग में संक्रमण या यूरिनरी ट्रैक्ट इन्फेक्शन (UTI) गुप्तांगों में होने वाली दुनिया की दूसरी सबसे बड़ी समस्या है। यह समस्या पुरुषों और महिलाओं दोनों में पाई जाती है। पुरुषों में डायबिटीज और महिलाओं में मासिक धर्म के बंद होने के बाद इस बीमारी का खतरा बढ़ जाता है। इसके अलावा सेक्स के दौरान एक संक्रमित व्यक्ति से दूसरे को होता है। ऐसा माना जाता है कि ज्यादा देर तक पेशाब को रोके रहने से भी इस संक्रमण की संभावना बढ़ जाती है। अधिक मात्रा में पेशाब होने के कारण शरीर से आहार के पोषक तत्व निकलने लगते हैं, जिससे रोगी शारीरिक रूप से कमजोरी महसूस करता है। इसका प्रमुख कारण पिटय़ूटिरी ग्रंथि तथा किडनी में दोष उत्पन्न होना है। योग के अभ्यास से इस समस्या का समाधान सरलता से किया जा सकता है। इससे राहत पाने के लिए आपको वज्रासन, सुप्त वज्रासन, जानुशिरासन, सर्वागासन, राजकपोतआसन, धनुरासन, पवनमुक्तासन, मंडूक तथा अर्धमत्स्येन्द्रासन का अभ्यास करना चाहिए।
इस तरह करें योगासन घुटने के बल जमीन पर बैठ जाइए। यह वज्रासन है। वज्रासन में बैठ कर दोनों हाथों को पीछे जमीन पर रखिए। धीरे-धीरे हाथों के सहारे धड़ को जमीन पर रखने का प्रयास कीजिए। प्रयास कीजिए कि सिर का ऊपरी हिस्सा जमीन पर रहे, जिससे रीढ़ जमीन से ऊपर उठ जाए। हाथों को पेट पर रखिए। इस स्थिति में आरामदायक समय तक रुक कर पूर्व स्थिति में आइए।
किडनी की बीमारियों से बचने के लिए योगासन
1) प्राणायामग्रंथियों के दोष, मानसिक अशांति, मानसिक आघात तथा नाड़ी एवं पाचन तंत्र को सशक्त करने से किडनी के रोगों में आराम मिलता है। साथ में महाबंध के अभ्यास से इस रोग में चमत्कारी परिणाम मिलता है।
2) धनुरासनसंस्कृत शब्द धनुष का अर्थ है घुमावदार या मुड़ा हुआ? इस आसन को करने से शरीर की आकृति खींचे हुए धनुष के समान हो जाती है, इसीलिए इसको धनुरासन कहते हैं। इसे करने के लिए पहले मकरासन में लेट जाएं। मकरासन अर्थात पेट के बल लेट जाएं। ठोड़ी को भूमि पर टिका दें। हाथ कमर से सटे हुए और पैरों के पंजे एक-दूसरे से मिले हुए। तलवें और हथेलियां आकाश की ओर रखें। घुटनों को मोड़कर दाहिने हाथे के पंजे से दाहिने पैर और बाएं हाथ के पंजे से बाएं पैर की कलाई को पकड़ें। सांस लेते हुए पैरों को खींचते हुए ठोड़ी-घुटनों को भूमि पर से उठाएं तथा सिर और तलवों को समीप लाने का प्रयास करें। जब तक आप सरलता से सांस ले सकते हैं इसी मुद्रा में रहें। फिर सांस छोड़ते हुए पहले ठोड़ी और घुटनों को भूमि पर टिकाएं। फिर पैरों को लंबा करते हुए पुन: मकरासन की स्थिति में लौट आएं।