गुदा से खून बहने की समस्या को अक्सर बवासीर समझ लिया जाता है लेकिन गुदा से जुड़े कई रोग हैं जिसमें यह समस्या हो सकती है। ऐसा ही एक रोग फिशर भी है। इस रोग को गुदचीर के नाम से भी जाना जाता है। फिशर में गुदा के आसपास के हिस्से में एक चीर या दरार जैसी स्थिति बन जाती है।
यह समस्या अक्सर तब होती है, जब आप मल त्याग के दौरान कठोर या बड़ा मल त्याग करते हैं। आमतौर पर मल त्याग के साथ दर्द और खून बहना इसके लक्षण हैं। आप गुदा क्षेत्र में दर्द और ऐंठन भी महसूस कर सकते हैं।
फिशर की समस्या बच्चों में बहुत आम है लेकिन किसी भी उम्र के लोगों को यह रोग हो सकता है। फिशर के ज्यादातर मामले सरल उपचार के साथ बेहतर होते हैं, जैसे कि फाइबर का सेवन बढ़ाने या गर्म पानी की सिकाई लेना। हालांकि स्थिति गंभीर होने पर आपको सर्जरी की भी आवश्यकता हो सकती है।
फिशर के लक्षण
फिशर रोग के लक्षणों में मल त्याग के दौरान दर्द, कभी-कभी तेज दर्द होना, मल त्याग के बाद दर्द जो कई घंटों तक रह सकता है, मल त्याग के दौरान खून आना, गुदा के आसपास की त्वचा में दिखाई देने वाली दरार, गुदा के पास की त्वचा पर एक छोटी गांठ बनना आदि शामिल हैं। मल त्याग के दौरान तेज दर्द होने या खून आने पर आपको तुरंत डॉक्टर से मिलना चाहिए।
फिशर के कारण
फिशर की समस्या आमतौर पर कब्ज के कारण होती है। हालांकि यह समस्या बड़ा मल निकलने, गंभीर दस्त की समस्या, गुदा मैथुन, प्रसव के कारण भी हो सकती है जोकि इस रोग के कम सामान्य कारण हैं। इनके आलावा यह समस्या क्रोहन रोग या अन्य सूजन आंत्र रोग, गुदा कैंसर, एचआईवी, टीबी और सिफलिस आदि के कारण भी हो सकती है।
फिशर का घरेलू इलाज
सिट्ज बाथइसके लिए आपको एक टब में गर्म पानी भरकर कुछ देर के लिए बैठना होता है जिससे गुदा क्षेत्र की सिकाई हो सके। यह थोड़ा कठिन होता है लेकिन इससे आराम भी जल्दी मिलता है। आमतौर पर यह सिफारिश की जाती है कि एक समय में लगभग 10 या 15 मिनट के लिए एक सिटज़ बात का उपयोग किया जाना चाहिए।
फाइबर का सेवन बढ़ा देंउचित मात्रा में फाइबर खाने का कारण यह है कि यह मल को बहुत कठोर (कब्ज) या बहुत अधिक तरल (दस्त) होने से बचाने में मदद करता है। इसके लिए आपको चोकर अनाज, बीन्स मूंग, काला चना गेहूं, मटर, चने, मसूर की दाल, कद्दू के बीज, सोयाबीन, छोले, सभी तरह की दाल और चोकर वाले आटे की रोटियां आदि का सेवन करना चाहिए।
ज्यादा पानी पियेंनिर्जलित होने से कब्ज की समस्या बढ़ सकती है। पानी मल को नरम और आसान रखने में मदद कर सकता है। इसके लिए रोजाना आठ गिलास पानी पीना चाहिए, बच्चों के लिए अपने डॉक्टर से बात करें।
भोजन में फलों का सेवनआपको अपने भोजन में सलाद व सब्जियों का प्रचुर मात्रा में नियमित सेवन करना चाहिए। आप छाछ (मट्ठे) और दही का नियमित सेवन कर सकते हैं। इसके अलावा अत्यधिक मिर्च, मसाले, जंक फूड, मांसाहार का परहेज करें।
ओलिव ऑयलइसमें प्राकृतिक रेचक गुण होते हैं जो मल त्याग को आसान बनाने में मदद कर सकता है। इसमें एंटी-इंफ्लेमेटरी गुण भी होते हैं। एक कटोरी में समान मात्रा में जैतून का तेल, शहद और मोम मिलाकर गर्म करें और ठंडा होने पर प्रभावित क्षेत्र पर लगाएं।
एलो वेराएलो वेरा में दर्द निवारक गुण होते हैं और फिशर के लक्षणों को कम कर सकते हैं। इसके लिए एलोवेरा जेल और इस जेल को प्रभावित क्षेत्र पर लगाएं और कुछ समय के लिए आराम करें। बेहतर परिणाम के लिए इसे बार-बार इस्तेमाल करें।