अल्जाइमर रोग से पीड़ित लोगों और स्वस्थ लोगों के बीच अंतर की पहचान करने के लिए की गई प्रायोगिक रक्त जांच के विभिन्न शोधों में एकदम सही परिणाम मिले हैं। इससे डिमेंशिया के इस सबसे सामान्य रूप की पहचान का एक सरल तरीका जल्द ही सामने आने की उम्मीद जगी है। अल्जाइमर की पहचान के लिए इस तरह की जांच विकसित करने की लंबे समय से कोशिशें चल रही थीं।
अधिक सत्यापन की जरूरतहालांकि वैज्ञानिकों का कहना है कि यह जांच अभी व्यापक रूप से इस्तेमाल के लिए तैयार नहीं है तथा इसके और अधिक सत्यापन की आवश्यकता है। सामने आए परिणाम बताते हैं कि अल्जाइमर की सरल जांच के लिए किए जा रहे प्रयास सही दिशा में हैं।
जांच में अल्जाइमर से पीड़ित लोगों तथा वे लोग जो डिमेंशिया अथवा इसके किसी भी अन्य प्रकार से पीड़ित नहीं हैं उनके बीच अंतर की पहचान की गई और यह परिणाम 89 फीसदी से 98 फीसदी तक सही रहा।
जांच के आये बेहतर परिणामअल्जाइमर एसोसिएशन की मुख्य विज्ञान अधिकारी मारिया कैरिलो ने कहा, 'यह बहुत बढ़िया है। हमने पहले के प्रयासों में इतनी सटीकता पहले कभी नहीं देखी।'
यूएस नेशनल इंस्टीट्यूट ऑन एजिंग में न्यूरोसाइंस विभाग के प्रमुख डॉ. एलिजर मासलिया ने कहा, 'ये आंकड़े उत्साहजनक हैं।' उन्होंने कहा कि नई जांच पहले की पद्धतियों से कहीं अधिक संवेदनशील और भरोसेमंद मालूम होती है, हालांकि इसके बड़ी तथा भिन्न आबादियों पर परीक्षण करने जरूरत है।
इन परिणामों पर अल्जाइमर्स एसोसिएशन इंटरनेशनल कॉन्फ्रेंस में भी बात हुई। अमेरिका में 50 लाख से अधिक लोग अल्जाइमर से पीड़ित हैं। इस रोग के लिए जो दवाएं दी जाती हैं वे लक्षणों को अस्थायी तौर पर कम करती हैं लेकिन मस्तिष्क क्षय को कम नहीं करती।
स्मरण शक्ति और सोचने-समझने की क्षमता कमजोर कर देता है रोगवर्तमान में इस रोग की पहचान स्मरण शक्ति और सोचने-समझने की क्षमता के आधार पर होती है, लेकिन इसके सटीक परिणाम नहीं मिलते। अधिक भरोसेमंद जांच स्पाइनल फ्ल्यूड टेस्ट तथा मस्तिष्क का स्कैन करके होती है, लेकिन इनमें चीर-फाड़ की जरूरत होती है तथा ये महंगे भी होते है। ऐसे में खून की साधारण जांच से इस रोग का पता लगाना एक बड़ा कदम होगा।