छत्तीसगढ़ की प्राथमिक शालाओं में स्थानीय बोली-भाषाओं में होगी पढ़ाई: CM भूपेश बघेल
By भाषा | Published: January 26, 2020 04:45 PM2020-01-26T16:45:42+5:302020-01-26T16:45:42+5:30
मुख्यमंत्री ने कहा कि बस्तर के निर्दोष आदिवासी परिवारों को आपराधिक प्रकरणों की त्रासदी से मुक्त कराने के लिए गठित जस्टिस ए के पटनायक समिति की सिफारिश के आधार पर पहले चरण में 313 लोगों की मुक्ति का मार्ग प्रशस्त हुआ है, जो उनके लिए बहुत बड़ी आर्थिक और सामाजिक राहत भी है।
छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने राज्य में आगामी शिक्षा सत्र से प्राथमिक शालाओं में छत्तीसगढ़ी, गोंडी, हल्बी, भतरी, सरगुजिया, कोरवा, पांडो, कुडुख और कमारी बोलियों में पढ़ाई की व्यवस्था करने की रविवार को घोषणा की। बघेल ने गणतंत्र दिवस के अवसर पर बस्तर संभाग के मुख्यालय जगदलपुर के लालबाग परेड मैदान में आयोजित मुख्य समारोह में ध्वजारोहण कर परेड की सलामी ली।
इस अवसर पर मुख्यमंत्री ने जनता के नाम अपने संदेश में कहा कि गणतंत्र की सफलता की कसौटी जनता से सीख कर, उनकी भागीदारी से, उनके सपनों को पूरा करने में है। बघेल ने कहा, ‘‘गणतंत्र दिवस के अवसर पर मैं नई पीढ़ी को जागरूक और सशक्त बनाने के संबंध में यह घोषणा करता हूं कि आगामी शिक्षा सत्र से राज्य की प्राथमिक शालाओं में स्थानीय बोली-भाषाओं-- छत्तीसगढ़ी, गोंडी, हल्बी, भतरी, सरगुजिया, कोरवा, पांडो, कुडुख, कमारी आदि-- में पढ़ाई की व्यवस्था की जाएगी।’’
उन्होंने कहा कि राज्य के सभी स्कूली बच्चों को संविधान के प्रावधानों से परिचित कराने के लिए प्रार्थना के समय संविधान की प्रस्तावना का वाचन, उस पर चर्चा जैसे कार्यक्रम आयोजित किए जायेंगे। छत्तीसगढ़ की महान विभूतियों की जीवनी पर परिचर्चा जैसे आयोजन किए जाएंगे।
भारतीय संविधान की गौरवगाथा को याद किया जाएगा। बघेल ने कहा, ‘‘संविधान निर्माता डॉ भीम राव आंबेडकर ने कहा था कि यह तथ्य मुझे व्यथित करता है कि भारत ने पहले भी एक बार स्वतंत्रता खोई है। यदि राजनीतिक दल पंथ को देश के ऊपर रखेंगे तो हमारी स्वतंत्रता एक बार फिर खतरे में पड़ जाएगी और संभवतया हमेशा के लिए समाप्त हो जाए।’’ उन्होंने कहा, ‘‘आज का दिन यह रेखांकित करने का भी है कि पंडित जवाहर लाल नेहरू ने साम्प्रदायिकता को अपने समय की सबसे खतरनाक प्रवृत्ति के रूप में चिन्हित किया था। इसलिए उन्होंने धर्मनिरपेक्ष समाज और पंथनिरपेक्ष राष्ट्र की मजबूत नींव डालने के लिए पंथनिरपेक्ष संविधान पर जोर दिया था।’’
उन्होंने कहा, ‘‘सात दशकों में भारत ने विकास की जो ऊंचाइयां हासिल की हैं, उसका सबसे बड़ा कारण हमारे संविधान की वह शक्ति है, जो तमाम विविधताओं के बीच भारत को सम्पूर्ण प्रभुत्व-सम्पन्न समाजवादी, पंथ निरपेक्ष, लोकतंत्रात्मक गणराज्य बनाती है।’’ मुख्यमंत्री ने कहा कि देश के ताजा हालात किसी से छिपे नहीं हैं। तमाम प्रतिगामी ताकतों और हरकतों के बीच छत्तीसगढ़ एक बार फिर यह साबित करने में सफल हुआ है कि ‘हमें जोड़ना आता है, हमें रचना आता है, हमें बनाना आता है।’ उन्होंने कहा कि हमने जनता से मिले अधिकार, जनता को ही सौंपने की दिशा में अनेक निर्णय लिए हैं। बड़ी पंचायतों के परिसीमन से 704 नई पंचायतें गठित हुई जिनमें से 496 अनुसूचित क्षेत्रों में है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि बस्तर के निर्दोष आदिवासी परिवारों को आपराधिक प्रकरणों की त्रासदी से मुक्त कराने के लिए गठित जस्टिस ए के पटनायक समिति की सिफारिश के आधार पर पहले चरण में 313 लोगों की मुक्ति का मार्ग प्रशस्त हुआ है, जो उनके लिए बहुत बड़ी आर्थिक और सामाजिक राहत भी है। आगे भी यह समिति सैकड़ों लोगों को न्याय दिलाएगी। बघेल ने कहा कि हमने किसानों को प्रति क्विंटल धान के लिए 2500 रूपए देने, अल्पकालीन ऋण माफी का वायदा निभाया है।
बघेल ने कहा कि सबको निःशुल्क उपचार की सुविधा देने के लिए हमने प्रदेश में दो नई योजनाएं लागू की हैं-‘डॉ. खूबचन्द बघेल स्वास्थ्य सहायता योजना’ एवं ‘मुख्यमंत्री विशेष स्वास्थ्य सहायता योजना’। इन योजनाओं से 50 हजार से लेकर 20 लाख रूपए तक निःशुल्क उपचार की सुविधा राशन कार्ड के माध्यम से मिलेगी। उन्होंने कहा कि भगवान राम के वनवास काल से जुड़ी आस्थाओं का सम्मान करते हुए ‘राम वनगमन पर्यटन परिपथ’ के विकास का निर्णय लिया गया है।