नई शिक्षा नीति में भी मेडिकल और इंजीनियरिंग में दाखिले प्रवेश परीक्षा से ही होंगे, एनटीए कराएगा आयोजन
By एसके गुप्ता | Published: August 3, 2020 05:47 PM2020-08-03T17:47:02+5:302020-08-03T17:47:02+5:30
शिक्षा मंत्रालय के वरिष्ठ अधिकारियों ने कहा है कि मेडिकल और इंजीनियरिंग में दाखिले के लिए नेशनल टेस्टिंग एजेंसी प्रवेश परीक्षा का आयोजन करती है।
नई दिल्ली।नई शिक्षा नीति को लेकर यह सवाल खड़े हो रहे हैं कि मेडिकल और इंजीनियरिंग की दाखिला प्रक्रिया में क्या बदलाव आएंगे? केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय के वरिष्ठ अधिकारियों ने लोकमत से कहा है कि मेडिकल और इंजीनियरिंग में दाखिले के लिए नेशनल टेस्टिंग एजेंसी प्रवेश परीक्षा का आयोजन करती है। आगे भी दाखिले के लिए प्रवेश परीक्षा एनटीए ही लेगी। कोर्स स्ट्रक्चर में बड़ा बदलाव यह होगा कि छात्र मल्टी डिसीप्लनरी कोर्स पढ़ सकेंगे। ऐसा नहीं होगा कि छात्र अगर इंजीनियरिंग का है तो वह म्यूजिक या साहित्य नहीं पढ़ सकता। अगर मेडिकल का छात्र है तो वह इंजीनियरिंग के कोर्स भी पढ़ सकेगा। इससे छात्रों की सोच बहुआयामी बनेगी और शोधकार्यों में उन्हें मदद मिलेगी।
अधिकत्तम फीस तय कर कैपिंग कर दी जाएगी
केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने लोकमत से कहा कि मेडिकल शिक्षा में सुधार के लिए हाल ही में नेशनल मेडिकल कमीशन का गठन किया गया है। जिससे मेडिकल संस्थानों को नियमन में परेशानी न हो। इसके अलावा हायर एजुकेशन कमीशन ऑफ इंडिया (एचईसीआई) के तहत यूजीसी, एआईसीटीई और एनसीटीई को मर्ज किया जाएगा। साथ ही भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद, वेटनरी काउंसिल ऑफ इंडिया, आर्किटेक्चर काउंसिल, फार्मेसी काउंसिल ऑफ इंडिया, व्यावसायिक शिक्षा और प्रशिक्षण परिषद आदि नियामक संस्थाएं भी एचईसीई में समाहित होंगी।
अधिकारी ने आगे कहा कि जहां तक फीस कैपिंग की बात है तो सभी को शिक्षा मिल सके। इसके लिए इंजीनियरिंग और मेडिकल शिक्षा में अधिकत्तम फीस तय कर कैपिंग कर दी जाएगी। वंचित श्रेणी के छात्र भी मेडिकल और इंजीनियरिंग में पढ़ सकें इसके लिए स्कॉलरशिप योजनाएं चलाई जाएंगी।
प्रतिस्पर्धा बढेगी, संस्थानों का शैक्षणिक स्तर सुधरेगा
एआईसीटीई के चेयरमैन प्रो. अनिल डी सहस्त्रबुद्धे ने लोकमत से कहा कि नई शिक्षा नीति में हायर एजुकेशन कमीशन ऑफ इंडिया (एचईसीआई) के गठन की बात है। इसके गठन का बिल संसद में किस रूप में पारित होगा यह भी देखना जरूरी होगा। जहां तक इंजीनियरिंग कोर्सेज में बदलाव की बात है तो अभी सेमेस्टर बेस्ड पढ़ाई होती है। जिन्हें अधिक रोजगारोन्मुख बनाने की जरूरत है। एनईपी में विश्व के 100 बेहतरीन रैंकिंग वाले विदेशी विश्वविद्यालयों के कैंपस भारत में खोलने की बात है। इससे प्रतिस्पर्धा बढेगी, संस्थानों का शैक्षणिक स्तर सुधरेगा।
उन्होंने कहा कि जहां तक फोर ईयर कोर्स की बात है तो विदेशों में चार वर्षीय डिग्री कोर्स होता है। यहां से तीन साल की ग्रेजुएशन करके विदेशों में पढाई के लिए जाने वाले छात्रों को वहां दोबारा अंडरग्रेजुएट में दाखिला लेकर एक से दो साल की पढ़ाई करनी होती है। तब जाकर उन्हें ग्रेजुएट माना जाता है। फोर ईयर डिग्री कोर्स होने से भारतीय उच्च शिक्षा अंतरराष्ट्रीय मानकों के अनुरूप हो जाएगी।