फैकल्टी के प्रोफेसर अध्यापन के दौरान नहीं कर सकेंगे फुल टाइम कोर्स में अध्ययन:SC

By भाषा | Published: August 18, 2018 08:47 PM2018-08-18T20:47:27+5:302018-08-18T20:48:33+5:30

अदालत ने कहा, ‘‘विश्वविद्यालय/संस्थान और मान्यता देने वाले प्राधिकारियों को इस बात को अवश्य सुनिश्चित करना चाहिये कि किसी भी शिक्षक/प्रोफेसर को विश्वविद्यालय/कॉलेज की पूर्व अनुमति हासिल किये बिना पूर्णकालिक कोर्स करने की इजाजत नहीं दी जाए।’’

Faculty cannot pursue full time course while teaching: Madras HC | फैकल्टी के प्रोफेसर अध्यापन के दौरान नहीं कर सकेंगे फुल टाइम कोर्स में अध्ययन:SC

फैकल्टी के प्रोफेसर अध्यापन के दौरान नहीं कर सकेंगे फुल टाइम कोर्स में अध्ययन:SC

चेन्नई, 18 अगस्त: संकाय सदस्य के तौर पर काम करते हुए किसी शिक्षक या प्रोफेसर के पूर्णकालिक कोर्स करने के दस्तूर की निंदा करते हुए मद्रास उच्च न्यायालय ने साफ कर दिया कि विश्वविद्यालय या संबंधित कॉलेज की पूर्व अनुमति के बिना इसकी इजाजत नहीं दी जा सकती।

अदालत ने कहा, ‘‘विश्वविद्यालय/संस्थान और मान्यता देने वाले प्राधिकारियों को इस बात को अवश्य सुनिश्चित करना चाहिये कि किसी भी शिक्षक/प्रोफेसर को विश्वविद्यालय/कॉलेज की पूर्व अनुमति हासिल किये बिना पूर्णकालिक कोर्स करने की इजाजत नहीं दी जाए।’’

अदालत ने कहा, ‘‘अन्यथा यह गलत संकेत देगा और सुविधा के लिये छात्र को प्रोफेसर बनने को कहा जा सकता है ताकि संख्या दिखाई जा सके और संस्थान एआईसीटीई से मान्यता हासिल कर सकता है और साथ ही उन्हें पूर्णकालिक पाठ्यक्रम करने की अनुमति दे सकता है। यह प्रथा अनुचित है।’’

न्यायमूर्ति एस वैद्यनाथन ने परीक्षा नियंत्रक के फैसले को बरकरार रखते हुए अपने हालिया आदेश में यह टिप्पणी की। परीक्षा नियंत्रक ने उन सारी परीक्षाओं को अमान्य कर दिया था जिसमें एस ए पॉलीटेक्निक कॉलेज की एक महिला संकाय सदस्य भी शामिल हुयी थी।

याचिकाकर्ता पी शनमुगावल्ली ने कहा कि उन्होंने अन्ना विश्वविद्यालय में दो वर्षीय मेकैनिकल इंजीनियरिंग पाठ्यक्रम में दाखिला लिया और कॉलेज में व्याख्याता के तौर पर नियुक्त हो गईं। चारों सेमेस्टर परीक्षा में बैठने के लिये उन्हें छुट्टी के लिये आवेदन दिया था।

उन्हें 2015 में पद से मुक्त कर दिया गया था और इस आधार पर नियमों के कथित उल्लंघन के लिये कारण बताओ नोटिस जारी किया गया था कि वह पाठ्यक्रम की पढ़ाई करने के दौरान पूर्णकालिक संकाय सदस्य के तौर पर काम कर रही थीं।

याचिकाकर्ता ने अपने जवाब में कहा कि उन्हें सेमेस्टर परीक्षाओं में बैठना है। परीक्षा नियंत्रक ने अप्रैल 2017 में उन सारी परीक्षाओं को अमान्य ठहरा दिया था, जिसमें याचिकाकर्ता बैठी थी। इसके बाद शनमुगावल्ली ने उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाया। उच्च न्यायालय ने उनकी याचिका खारिज कर दी।

Web Title: Faculty cannot pursue full time course while teaching: Madras HC

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