कोरोना संक्रमण के बीच राजस्थान में परीक्षाएं तो हो जाएंगी, लेकिन शिक्षा-सत्र कैसे सुधरेगा?

By प्रदीप द्विवेदी | Published: June 4, 2020 05:30 AM2020-06-04T05:30:33+5:302020-06-04T05:30:33+5:30

सीएम गहलोत की अध्यक्षता में उच्च शिक्षा और तकनीकी शिक्षा के अधिकारियों के साथ मुख्यमंत्री निवास पर हुई बैठक में उन्होंने कहा कि विश्वविद्यालयों में स्नातक एवं स्नातकोत्तर पाठ्यक्रमों के अन्तिम वर्ष की परीक्षाएं सबसे पहले कराई जाएं.

Exam will be held in Rajasthan amid Corona pandemic, but how will the education session improve? | कोरोना संक्रमण के बीच राजस्थान में परीक्षाएं तो हो जाएंगी, लेकिन शिक्षा-सत्र कैसे सुधरेगा?

राजस्थान में उच्च शिक्षण संस्थानों की परीक्षाएं। (प्रतीकात्मक तस्वीर)

Highlightsराजस्थान के विभिन्न विश्वविद्यालयों, उनसे सम्बद्ध महाविद्यालयों, टेक्नीकल यूनिवसिर्टिज और पॉलिटेक्नीक कॉलेजों की परीक्षाएं जुलाई के दूसरे सप्ताह में शुरू कराने का निर्णय लिया है. सीएम अशोक गहलोत ने इसके लिए उच्च शिक्षा और तकनीकी शिक्षा विभाग के अधिकारियों को समुचित व्यवस्थाएं करने के निर्देश भी दिए हैं.

जयपुरः राजस्थान सरकार ने कोविड-19 महामारी के कारण कुछ समय के लिए स्थगित की गई राज्य के विभिन्न विश्वविद्यालयों, उनसे सम्बद्ध महाविद्यालयों, टेक्नीकल यूनिवसिर्टिज और पॉलिटेक्नीक कॉलेजों की परीक्षाएं जुलाई के दूसरे सप्ताह में शुरू कराने का निर्णय लिया है. सीएम अशोक गहलोत ने इसके लिए उच्च शिक्षा और तकनीकी शिक्षा विभाग के अधिकारियों को समुचित व्यवस्थाएं करने के निर्देश भी दिए हैं. सम्बन्धित विश्वविद्यालय और तकनीकी विश्वविद्यालय इन परीक्षाओं की तिथियों का विस्तृत कार्यक्रम जारी करेंगे.

प्राप्त जानकारी के अनुसार सीएम गहलोत की अध्यक्षता में उच्च शिक्षा और तकनीकी शिक्षा के अधिकारियों के साथ मुख्यमंत्री निवास पर हुई बैठक में उन्होंने कहा कि विश्वविद्यालयों में स्नातक एवं स्नातकोत्तर पाठ्यक्रमों के अन्तिम वर्ष की परीक्षाएं सबसे पहले कराई जाएं तथा प्रथम एवं द्वितीय वर्ष के विद्यार्थियों को प्रोविजनल रूप से अगले वर्ष में क्रमोन्नत कर दिया जाए. बाद में परिस्थितियां अनुकूल होने पर स्नातक पाठ्यक्रमों के प्रथम एवं द्वितीय वर्ष तथा स्नातकोत्तर पाठ्यक्रमों के प्रथम वर्ष की परीक्षाएं भी कराई जाएं.

एक नजर में यह निर्णय सही है, लेकिन इसमें से किन्तु-परन्तु हटाया जाना चाहिए. इसकी खास वजह यह है कि समय-समय पर परीक्षाओं में देरी आदि के कारण ही लंबे समय तक शिक्षा सत्र लड़खड़ाते रहे हैं. या तो समय पर शिक्षा सत्र प्रारंभ नहीं हो पाते हैं, या फिर परीक्षाएं समय पर नहीं हो पाती हैं. 

यही नहीं, कॉलेज चुनावों के चलते शिक्षा सत्र केवल कागजों में व्यवस्थित चलता नजर आता है. वैसे विधानसभा, लोकसभा चुनावों सहित विभिन्न स्थानीय चुनावों में भी इन शिक्षा केन्द्रों की सक्रिय भूमिका बहुत बढ़ गई है, लिहाजा कई वर्षों से महाविद्यालय-विश्वविद्यालय शिक्षा के केन्द्र कम और सियासत के केन्द्र ज्यादा नजर आते हैं.

कोरोना संकट ने शिक्षा के क्षेत्र में सुधार का अवसर दिया है. यदि सरकार चाहे तो न केवल शिक्षा सत्र और पाठ्यक्रम को व्यवस्थित कर सकती है, बल्कि कॉलेज इलैक्शन पर रोक लगा कर इन शिक्षा केन्द्र को सियासत से मुक्त भी करा सकती है.

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