दिल्ली हाईकोर्ट ने यूजीसी से पूछा, कोरोना काल में कैसे होगी फाइनल ईयर की परीक्षाएं

By भाषा | Published: July 22, 2020 08:41 PM2020-07-22T20:41:41+5:302020-07-22T20:41:41+5:30

यूजीसी की तरफ से ही पेश हुए वकील अपूर्व कुरुप ने कहा कि स्नातक के अंतिम वर्ष के छात्रों के लिये पूर्व प्रदर्शन के आधार पर कोई विकल्प नहीं है और उन्हें समयबद्ध परीक्षा में बैठना ही होगा।

Can final year examination be based on MCQ, Open Choices, Assignments and Presentations? - Delhi HC asks UGC to clarify | दिल्ली हाईकोर्ट ने यूजीसी से पूछा, कोरोना काल में कैसे होगी फाइनल ईयर की परीक्षाएं

दिल्ली हाईकोर्ट ने यूजीसी से पूछा, कोरोना काल में कैसे होगी फाइनल ईयर की परीक्षाएं

Highlightsकोर्ट ने यूजीसी से ये बताने को कहा कि क्या एमसीक्यू, असाइनमेंट, प्रेजेंटेशन आदि के विकल्प अंतिम वर्ष के छात्रों के लिए उपलब्ध हैं.हाईकोर्ट ने अगली सुनवाई के लिए 24 जुलाई की तारीख तय की।

दिल्ली हाईकोर्ट ने बुधवार को विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) से स्पष्ट करने को कहा कि क्या विश्वविद्यालयों की अंतिम वर्ष की परीक्षाएं प्रश्नों, खुले विकल्प, असाइनमेंट और प्रस्तुतिकरणों के आधार पर कराई जा सकती हैं। न्यायमूर्ति प्रतिभा एम सिंह ने यूजीसी से अप्रैल में जारी उसके दिशानिर्देशों का महत्व बताने को कहा जिनमें किसी कॉलेज द्वारा अंतिम वर्ष की परीक्षाओं के लिए इस्तेमाल किये जा सकने वाले तरीके का उल्लेख है।

यूजीसी द्वारा छह जुलाई को जारी किये गए दिशानिर्देशों में परीक्षा कराने के सिर्फ तीन तरीकों- ऑनलाइन, ऑफलाइन या दोनों का मिलाजुला रूप का जिक्र है। उच्च न्यायालय ने कहा कि दुनिया भर के विश्वविद्यालयों से इतर दिल्ली विश्वविद्यालय अपने छात्रों की मदद नहीं कर रहा। उच्च न्यायालय ने अगली सुनवाई के लिए 24 जुलाई की तारीख तय की।

यूजीसी की तरफ से पेश हुए सॉलिसीटर जनरल तुषार मेहता ने उच्च न्यायालय को आश्वासन दिया कि इस मामले में मानव संसाधन विकास मंत्रालय और यूजीसी में कोई आंतरिक अलग राय नहीं है। यूजीसी ने सुनवाई के दौरान दलील दी कि दिशानिर्देश अंतिम वर्ष के परीक्षार्थियों के आंतरिक मूल्यांकन की अनुमति नहीं देते क्योंकि इससे प्रणाली की विश्वसनीयता पर प्रश्नचिह्न खड़ा होता है।

उच्च न्यायालय दिल्ली विश्वविद्यालय द्वारा स्नातक पाठ्यक्रमों के अंतिम वर्ष के परीक्षार्थियों के लिए खुली किताब आधारित परीक्षा (ओपन बुक एक्जाम) कराने के फैसले को चुनौती देने वाली याचिका पर सुनवाई कर रहा था। इस तरह की परीक्षा में लंबा समय लगता है। दिल्ली विश्वविद्यालय ने दलील दी कि वे ऑनलाइन परीक्षाएं करा रहे हैं क्योंकि यूजीसी के दिशानिर्देशों के अनुसार अंतिम वर्ष की परीक्षाएं कराना अनिवार्य है।

याचिकाकर्ता अनुपम की तरफ से पेश हुए वकील आकाश सिन्हा ने कहा कि जिस तरह से परीक्षाएं करायी जा रही हैं वो उसे चुनौती दे रहे हैं और कहा कि परीक्षा के लिये कोई वैकल्पिक माध्यम होना चाहिए और यूजीसी के दिशानिर्देश के मुताबिक खुली किताब आधारित परीक्षा ही एक मात्र विकल्प नहीं है।

उन्होंने कहा, “जब हम ऑनलाइन कहते हैं तो हमारा आशय समय आधारित परीक्षा से है। जब लोग असाइनमेंट घर ले जाते हैं तो उसके पवित्रता कायम नहीं रहती।” इस पर न्यायमूर्ति सिंह ने कहा, “आप पूर्वानुमान नहीं लगा सकते कि छात्र नकल करेंगे। तीन घंटे पर्याप्त नहीं है, छात्र नकल कहां से करेंगे। खुली किताब आधारित परीक्षा में कई समस्याएं हैं।” 

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