इंदौरः देश में रेल की पटरियों पर वर्ष 2016 से 2019 के बीच कुल 56,271 लोगों की मौत हुई, जबकि चार साल की इस अवधि में 5,938 लोग पटरियों पर घायल हो गये।
सूचना के अधिकार (आरटीआई) के तहत यह जानकारी हासिल हुई है। हालांकि, आरटीआई जवाब में इसका विशिष्ट ब्योरा नहीं दिया गया है कि ये लोग रेल पटरियों पर किस तरह हताहत हुए। मध्य प्रदेश के नीमच निवासी आरटीआई कार्यकर्ता चंद्रशेखर गौड़ ने बताया कि उन्हें रेलवे बोर्ड से सूचना के अधिकार के तहत जानकारी मिली है कि रेल पटरियों पर वर्ष 2016 में 14,032, 2017 में 12,838, 2018 में 14,197 और 2019 में 15,204 लोगों की मौत हुई।
आंकड़ों के विश्लेषण से पता चलता है कि पिछले साल 2019 में औसत आधार पर हर दिन करीब 42 लोगों ने रेल पटरियों पर दम तोड़ा। आरटीआई जवाब के मुताबिक वर्ष 2016 में 1,343, 2017 में 1,376, 2018 में 1,701 और 2019 में 1,518 व्यक्ति रेल पटरियों पर घायल हुए।
रेलवे बोर्ड ने गौड़ को आरटीआई कानून 2005 के तहत भेजे पत्र में कहा, "ये आंकड़े प्रदेशों की राजकीय रेल पुलिस (जीआरपी) से प्राप्त सूचनाओं के आधार पर रेलवे बोर्ड के सुरक्षा निदेशालय में जमा किये गये हैं।"
पत्र में यह भी कहा गया, "रेल पटरियों पर पुलिस की व्यवस्था राज्य सरकारों का विषय है। इसलिये रेल परिसरों और चलती गाड़ियों में अपराध की रोकथाम और जांच भी राज्यों का ही दायित्व है जिसका निर्वहन वे जीआरपी के माध्यम से करते हैं।"
रेलवे बोर्ड के जवाब पर आरटीआई कार्यकर्ता ने कहा, "देश में रेल पटरियों पर हर साल बड़ी संख्या में लोगों के मरने और घायल होने के सरकारी आंकड़े बेहद चिंताजनक हैं। रेलवे को जीआरपी और राज्य सरकारों के अन्य विभागों की मदद से पटरियों पर खतरनाक क्षेत्रों की पहचान कर ऐसी घटनाओं पर रोक लगाने के प्रयास तेज करने चाहिये।"
एक और खुलासा हुआ है कि मेंटेनेंस के चलते साल-दर-साल निरस्त होने वाली गाड़ियों की संख्या लगातार बढ़ती जा रही है। बीते नौ माह में कुल 2,251 ट्रेनें रद्द हो चुकी हैं। सूचना के अधिकार के जरिए सामने आए तथ्य से पता चलता है कि देश में पांच साल और नौ महीने में मेंटेनेंस के चलते कुल 6,531 ट्रेनों को रद्द किया गया। सबसे ज्यादा गाड़ियां बीते नौ माह में रद्द हुईं। इस अवधि में 2,251 गाड़ियां रद्द हुई। अगर इसे पूरे साल में परिवर्तित करें तो यह आंकड़ा लगभग 3,000 के करीब होगा।