वीडियो: जमीन पर फायरिंग करते समय बाघिन के पांव में लगे छर्रें, गोली चलाने वाले वन आरक्षी पर मुकदमा हुआ दर्ज
By भाषा | Published: November 17, 2022 04:34 PM2022-11-17T16:34:12+5:302022-11-17T16:46:00+5:30
बताया जा रहा है कि बाघिन के शव की पोस्टमार्टम रिपोर्ट में भी उसके यकृत और गुर्दे के क्षतिग्रस्त होने का जिक्र है। यही नहीं उसके यकृत में सेही के कांटे भी मिले हैं जबकि उसका पेट बिल्कुल खाली था।
देहरादून: उत्तराखंड के कॉर्बेट बाघ अभयारण्य में कालागढ़ वन प्रभाग के तहत मरचूला बाजार में घूम रही बाघिन की मौत उसकी दाई जांघ में छर्रे लगने से हुए रक्तस्राव के कारण होने की पुष्टि के बाद गोली चलाने वाले वन आरक्षी के खिलाफ मामला दर्ज कर लिया गया है।
वन्य जीव संरक्षण अधिनियम 1972 के खिलाफ मामला हुआ दर्ज
उत्तराखंड के मुख्य वन्यजीव प्रतिपालक समीर सिन्हा ने गुरुवार को बताया कि वन आरक्षी धीरज सिंह पर वन्य जीव संरक्षण अधिनियम 1972 की प्रासंगिक धाराओं के तहत मामला दर्ज किया गया है। उन्होंने बताया कि आरोपी को फिलहाल कालागढ़ वन प्रभाग के उप प्रभाग सोना नदी की सेन्धी खाल स्थित पलेन रेंज से सम्बद्ध किया गया है।
क्या है पूरा मामला
वन अधिकारियों के अनुसार, करीब 10-11 साल की बाघिन सोमवार देर रात मरचूला में आबादी वाले और बाजार क्षेत्र में घूम रही थी और वनकर्मी उस पर लगातार नजर रखे हुए थे। इस दौरान उसने कई बार वनकर्मियों एवं वहां मौजूद लोगों पर हमला भी किया।
उन्होंने बताया कि पहले तो वन दारोगा मोहन चन्द भट्ट ने 312 बोर की सरकारी राइफल से हवा में गोलियां चलाकर बाघिन को खदेड़ने की कोशिश की लेकिन जब बाघिन रिहायशी इलाके में घरों में घुसने लगी, तो वन आरक्षी धीरज ने जन सुरक्षा को देखते हुए नीचे जमीन की ओर गोलीबारी की, जिसके कारण छर्रे बाघिन की दायीं जांघ में लग गए।
अल्मोड़ा के मरचूला बाजार में आधी रात काे एक बाघ पहुंच गया। जहां बंद गाड़ी से उस पर फायरिंग की गई। वहीं सुबह क्षेत्र में एक बाघ मृत मिला, जिसकी गोली लगने से मौत हुई है। चर्चा है कि जिस बाघ पर रात में गोली चलाई गई, मृत बाघ वही है। pic.twitter.com/jIE5sTDT8I
— skand shukla (@skandshukla1) November 15, 2022
बाघिन के शव की पोस्टमार्टम में क्या निकला
ऐसे में बाघिन के शव की पोस्टमार्टम रिपोर्ट में भी उसके यकृत और गुर्दे के क्षतिग्रस्त होने का जिक्र है। उसके यकृत में सेही के कांटे भी मिले हैं जबकि उसका पेट बिल्कुल खाली था।
बाघिन के दांत घिस जाने से नहीं कर पा रही थी शिकार- दावा
रिजर्व के निदेशक धीरज पांडेय ने बताया कि बाघिन के कैनाइन (मांस खाने में मदद करने वाले लंबे) दांत बिल्कुल घिस गए थे और संभवत: इसी वजह से वह अपने प्राकृतिक आवास में शिकार नहीं कर पा रही होगी और तभी उसने आबादी की तरफ रुख किया होगा।