Nirbhaya Case: दोषियों को सजा-ए-मौत के बाद संयुक्त राष्ट्र ने दी भारत को सलाह, जानें क्या कहा
By भाषा | Published: March 21, 2020 12:04 PM2020-03-21T12:04:48+5:302020-03-21T12:04:48+5:30
निरभ्या के दोषियों की फांसी पर प्रतिक्रिया देते हुए संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंतोनियो गुतारेस के प्रवक्ता स्टीफन दुजारिक ने कहा कि वैश्विक संगठन सभी देशों से मौत की सजा का इस्तेमाल बंद करने या इस पर प्रतिबंध लगाने की अपील करता है।
संयुक्त राष्ट्रः संयुक्त राष्ट्र ने सभी देशों से मौत की सजा के इस्तेमाल को रोकने या इस पर प्रतिबंध लगाने की अपील की है। निर्भया सामूहिक बलात्कार एवं हत्याकांड के चार दोषियों को भारत में फांसी दिए जाने के एक दिन बाद यह अपील की गई है। सनसनीखेज सामूहिक बलात्कार और हत्याकांड के सात साल बीत जाने के बाद मामले के चार दोषियों - मुकेश सिंह (32), पवन गुप्ता (25), विनय शर्मा (26) और अक्षय कुमार सिंह (31) को नयी दिल्ली की तिहाड़ जेल में शुक्रवार सुबह साढ़े पांच बजे फांसी दे दी गई थी।
फांसी पर प्रतिक्रिया देते हुए संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंतोनियो गुतारेस के प्रवक्ता स्टीफन दुजारिक ने कहा कि वैश्विक संगठन सभी देशों से मौत की सजा का इस्तेमाल बंद करने या इस पर प्रतिबंध लगाने की अपील करता है। दुजारिक ने नियमित संवाददाता सम्मेलन के दौरान शुक्रवार को कहा, “ हमारा रुख स्पष्ट है कि हम सभी राष्ट्रों से मौत की सजा का इस्तेमाल बंद करने या इस पर प्रतिबंध लगाने का आह्वान करते हैं।” देश को हिला देने वाले 16 दिसंबर, 2012 के वीभत्स सामूहिक बलात्कार एवं हत्याकांड ने देश भर में आक्रोश का माहौल पैदा कर दिया था। यह पहली बार था जब चार लोगों को दक्षिण एशिया के सबसे बड़े जेल परिसर, तिहाड़ जेल में एक साथ फांसी पर लटकाया गया।
फांसी के बाद निर्भया के दोषियों की माताओं का बुरा हाल, नहीं थम रहे थे आंसू
फांसी की सजा पाए निर्भया मामले के चार दोषियों में शामिल विनय शर्मा और पवन गुप्ता की माताएं शुक्रवार को अपने घरों में चुप और उदास दिखीं। दक्षिण दिल्ली के झुग्गी इलाके रविदास कैंप से कुछ ही किलोमीटर दूर तिहाड़ जेल में इनके बेटों को सुबह 5:30 बजे फांसी दी गई और ये दोनों अपने घरों के बाहर बेटों के शव का इतंजार करती रहीं। ये दोनों दोषी उन छह लोगों में शामिल थे, जिन्होंने 16 दिसंबर 2012 को एक 23 वर्षीय युवती से बलात्कार किया था, जिसके करीब एक पखवाड़े बाद उसकी मौत हो गई। शुक्रवार दोपहर को रविदास कैंप इलाके में पुलिसबल तैनात दिखा। पड़ोसियों ने भी गुस्सा जाहिर किया। कालोनी में जाने वाले मुख्य संकरे रास्ते को ठेलों से बंद किया गया था और पड़ोस के लोग सुरक्षात्मक रूप से दोनों महिलाओं के आसपास खड़े थे। पवन की मां आसमान को ताक रही थी और उसके आंसू बह रहे थे।
विनय की मां भी उसके बगल में चुप बैठी थी और लंबे समय से उनके पड़ोस में रहने वाले लोग सांत्वना दे रहे थे। शोकाकुल मां के बगल में बैठी एक महिला ने कहा, '' इतने साल कोई हमारा दुख जानने नहीं आया, अब क्यों आ रहे हैं।'' इस कालोनी में एक नाबालिग समेत चार दोषियों के घर हैं। इनमें से एक दोषी राम सिंह ने कथित तौर पर तिहाड़ जेल में आत्महत्या कर ली थी जबकि नाबालिग को बाल सुधार गृह में कुछ समय रखा गया था। राम सिंह और मुकेश सिंह की विधवा मां इलाका छोड़कर राजस्थान चली गई थी।