नई दिल्ली: निर्भया मामले में चारों दोषियों को अब से कुछ देर बाद ही फांसी दी जाएगी। इसके लिए तिहाड़ जेल के अंदर बैठकें व प्रक्रिया चल रही है। एक तरह से कहें तो हलचल तेज हो गई है। जेल अधिकारी ने कहा है कि समय से सभी दोषियों को सुबह साढ़े 5 बजे ही फांसी दी जानी है। इसके साथ ही बताया गया है कि मेडिकल जांच में सभी दोषी फिट पाए गए हैं। जांच की प्रक्रिया पूरी होने का आगे की प्रक्रिया हो रही है।
बता दें कि निर्भया मामले में अंतिम याचिका सुप्रीम कोर्ट में खारिज होने के बाद निर्भया की मां ने कहा कि अंतत: अब दोषी को सजा दी जाएगी। मैं देशवासियों और खासकर देश की महिला व बेटियों को इस लंबी में लड़ाई में साथ देने के लिए बधाई देना चाहती हूं।
गौरतलब है कि पांच मार्च को एक निचली अदालत ने मुकेश सिंह (32), पवन गुप्ता (25), विनय शर्मा (26) और अक्षय कुमार सिंह (31) को फांसी देने के लिए नया मृत्यु वारंट जारी किया था। कानूनी भाषा में इसे ब्लैक वॉरंट (Black Warrant) या डेथ वॉरंट (Death Warrant) भी कहा जाता है। यह वह आदेश है जिसके बाद सजा ए मौत पाए किसी बंदी को फांसी के फंदे पर लटकाया जा सकता है।
गुरुवार को निर्भया के दोषियों के लिए 20 मार्च का डेथ वॉरंट पहले ही जारी हो चुका है। गौरतलब है कि 23 वर्षीय छात्रा से 16 दिसंबर की रात दिल्ली की एक चलती बस में छह लोगों ने सामूहिक बलात्कार किया था और उसे सड़क पर फेंकने से पहले बुरी तरह से घायल कर दिया था।
सिंगापुर के एक अस्पताल में 29 दिसंबर 2012 को पीड़िता की मौत हो गई थी। इस घटना के खिलाफ देश भर में रोष छा गया था। राम सिंह नाम के एक आरोपी ने जेल में फंदे से लटक कर आत्महत्या कर ली, जबकि एक किशोर को बलात्कार और हत्या का दोषी ठहराया गया तथा उसे एक बाल सुधार गृह में अधिकतम तीन साल की कैद की सजा दी गई। सभी दोषियों ने हर तिकड़म को अपनाया। वे अंतरराष्ट्रीय न्यायालय में पहुंच गए।
गुरुवार रात को दिल्ली हाई कोर्ट से फांसी पर रोक की मांग वाली याचिका खारिज हो गई, इसके बाद निर्भया के दोषियों के वकील ने सुप्रीम कोर्ट का रुख कर लिया।
निर्भया मामला: फांसी से ठीक तीन घंटे पहले सुप्रीम कोर्ट में सुनवाईनिर्भया मामले के दोषियों के वकील एपी सिंह ने फांसी पर रोक वाली याचिका दिल्ली हाई कोर्ट से खारिज होने के बाद देर रात सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया। सर्वोच्च न्यायालय ने सुनवाई के लिए रात के ढाई बजे का वक्त दिया था। इसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने भी इसे खारिज कर दिया है। बता दें कि दोषियों को साढ़े पांच बजे सुबह फांसी दी जानी है।
देर रात सर्वोच्च न्यायालय में सुनवाई शुरू हुई। दोषियों के वकील ने शीर्ष अदालत से कहा कि क्या उसके मुवक्किल पवन का बयान दर्ज करने के लिए फांसी को दो-तीन दिनों के लिए टाला जा सकता है?