मुन्ना शुक्ला बिहार के अंडरवर्ल्ड डॉन से बाहुबली विधायक तक, जिसके लिए जेल में नाचती थीं डांसर
By लोकमत न्यूज़ डेस्क | Published: July 18, 2019 10:19 AM2019-07-18T10:19:11+5:302019-07-18T10:19:11+5:30
उत्तर बिहार के अंडरवर्ल्ड डॉन का खिताब मुन्ना शुक्ला को विरासत में ही मिला है। ये कहना बिल्कुल गलत नहीं होगा कि मुन्ना शुक्ला अपनी पारिवारिक पृष्टभूमि की वजह से ही जुर्म की दुनिया में कुख्यात होते चले गए।
यूपी और बिहार की राजनीति में हमेशा से ही आपराधिक छवि वाले लोगों और नेताओं का बोलबाला रहा। फिर वो चाहे यूपी के हरिशंकर तिवारी, मुख्तार अंसारी या राजा भईया हो या बिहार के सांसद शहाबुद्दीन या सूरजभान सिंह हो और जब इन सारे बाहुबली नेताओं की बात हो तो उसमें बिहार के मुजफ्फरपुर के दबंग नेता और पूर्व विधायक मुन्ना शुक्ला उर्फ विजय कुमार शुक्ला के नाम को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता है। उत्तर बिहार के अंडरवर्ल्ड डॉन का खिताब मुन्ना शुक्ला को विरासत में ही मिला है। ये कहना बिल्कुल गलत नहीं होगा कि मुन्ना शुक्ला अपनी पारिवारिक पृष्ठभूमि की वजह से ही जुर्म की दुनिया में कुख्यात होते चले गए।
अंडरवर्ल्ड से था मुन्ना शुक्ला और उनके भाईयों का कनेक्शन
मुन्ना शुक्ला के पिता रामदास शुक्ला मुजफ्फरपुर के वकील थे। मुजफ्फरपुर में ही वे ही अपने परिवार के साथ रहते थे। चार भाइयों में मुन्ना शुक्ला तीसरे नंबर पर हैं। सबसे बड़े भाई कौशलेंद्र उर्फ छोटन शुक्ला थे। उनसे छोटे अवधेश उर्फ भुटकुन शुक्ला थे। तीसरे नंबर पर मुन्ना शुक्ला हैं। उनसे छोटे भाई का नाम ललन शुक्ला उर्फ मारू मर्दन शुक्ला है। मुत्रा के बड़े भाई छोटन शुक्ला जुर्म के दुनिया के बादशाह माने जाते थे। छोटन का आपराधिक सफर कॉलेज से शुरू हुआ। फिर वो ठेकेदारी में आये। उत्तर बिहार के हर बड़े ठेके पर छोटन शुक्ला ने कब्जा किया। इसके साथ ही वो अंडरवर्ल्ड में वर्चस्व बनाए रखने की जंग में भी शामिल रहे। यही वजह थी कि 1994 उनकी हत्या कर दी गई थी। छोटन शुक्ला की हत्या का आरोप बाहुबली और बिहार के पूर्व मंत्री बृजबिहारी प्रसाद पर लगा था।
पहली बार डीएम के मर्डर केस में आया मुन्ना शुक्ला का नाम
मुन्ना शुक्ला के भाई छोटन शुक्ला की हत्या के विरोध में प्रदर्शन के दौरान गोपालगंज के डीएम जी कृष्णैया की भीड़ ने पीट-पीट कर हत्या कर दी। ये कांड बिहार और पूरे देश में चर्चित हुआ और यही वो पहली घटना थी, जब अधिकारिक तौर पर मुन्ना शुक्ला का नाम इस केस में आया। भाई की हत्या के बाद उनकी विरासत को संभालने का पूरा दमोदार मुन्ना पर आ गया और उसने वैसा ही किया। धीरे-धीरे उसने अपने गैंग में कई लोगों को शामिल किया और कानून की नजर से बचकर वो गैर-कानूनी काम करता है। उसके लिंक बिहार के बाहुबली नेता सूरजभान सिंह से भी हुये और देखते देखते मुन्ना का मुजफ्फरपुर के सारे ठेकेदारी पर मानो एकछत्र राज हो गया।
बिहार के पूर्व मंत्री बृज बिहारी प्रसाद की हत्या नाम आया
1994 से 1998 के बीच मुन्ना शुक्ला के ऊपर गोपालगंज के डीएम जी कृष्णैया की हत्या के अलावा कई शिकायतें दर्ज हो गई थी। जिसमें सबसे बड़ा आरोप था राबड़ी देवी की सरकार में मंत्री रहे बृज बिहारी प्रसाद की हत्या का। 3 जून 1998 को इलाज के लिए बृज बिहारी प्रसाद पटना के इंदिरा गाँधी आयुर्विज्ञान संस्थान में भर्ती थे। रात आठ बजे के वक्त वह वहां के पार्क में ठहल रहे थे, जब 6 से 7 हमलावरों ने उन्हें गोलियों से भून डाला था। पुलिस ने इस मामले में मोकामा के पूर्व विधायक सूरज भान सिंह और मुन्ना शुक्ला को आरोपी बनाया गया था। 1998 के जून महीने में हुए इस हत्याकांड को लेकर उस समय भारी बवाल मचा था और बाद में इस मामले की जांच cbi को सौंपी गई थी।
अपराध को छिपाने के लिए ली राजनीति की शरण
इस घटना के बाद मुन्ना शुक्ला ने अपनी आपराधिक रसूख को बढ़ाने और छिपाने के लिए राजनीति की शरण ली और बन गए बाहुबली विधायक। 1999 में मुन्ना किसी आपराधिक मामले में हाजीपुर जेल में बंद थे। जेल में रहते हुए ही 1999 में बतौर निर्दलीय उम्मीदवार चुनावी मैदान में उतरा लेकिन हार गया। अगले ही साल 2000 में फिर चुनाव हुआ। समता पार्टी ने उनकी विधवा भाभी किरण शुक्ला को टिकट दिया था। लेकिन चुनाव मुन्ना लड़ना चाहते थे। मुन्ना की खातिर उनकी भाभी किरण चुनावी मैदान से हट गईं। जेल में बंद मुन्ना निर्दलीय ही चुनाव लड़े और जीत गये।
मुन्ना शुक्ला का राजनीतिक सफरनामा
लोकसभा चुनाव 2004 में भी मुन्ना ने जेल से चुनाव लड़ा लेकिन करारी शिकस्त का सामना करना पड़ा। इस वक्त मुन्ना शुक्ला जेल में बृजबिहारी प्रसाद की हत्या की हत्या के मामले में बंद थे। 2005 में मुन्ना शुक्ला को फिर विधानसभा चुनाव के लिए लोजपा ने लालगंज सीट से टिकट दिया। जिसमें मुन्ना जीत गये। लोजपा सुप्रीमो की हठ के कारण विधानसभा भंग हुआ। लोजपा का सुपड़ा साफ कर मुन्ना शुक्ला ने 2005 में ही जदयू का दामन थामा और उसके टिकट पर विधानसभा चुनाव लड़ा और फिर जीत गये। 2009 में जदयू ने लोकसभा चुनाव में राजद के कद्दावर डा. रघुवंश प्रसाद सिंह के खिलाफ फिर मुन्ना शुक्ला को मैदान में वैशाली लोकसभा सीट से उतारा। मजबूती से लड़े मगर उन्हें मुंह की खानी पड़ी। बाद में ब्रृजबिहारी प्रसाद की हत्या के मामले में दोषी पाए जाने के बाद उनके चुनाव लड़ने पर रोक लगा दी गई थी। हालांकि पटना हाईकोर्ट ने बृजबिहारी हत्याकांड के सभी अभियुक्तों को 25 जुलाई 2014 को बरी कर दिया। जेल में बंद मुन्ना शुक्ला ने 2010 में वैधानिक अड़चन के कारण अपने बजाए अपनी पत्नी अनु को चुनाव मैदान में उतारा। पत्नी ने चुनाव जीत लिया।
जेल में डांसर को बुलाकर डांस देखने का आरोप
फिलहाल मुन्ना शुक्ला जेल में सजा काट रहे हैं। कहा जाता है कि मुन्ना शुक्ला का अंडरवर्ल्ड में नाम उनके भाईयों के साथ अनायस ही जुड़ा था। कुछ घटनाओं के बाद वो अपनी राजनीति में लगे हुये थे। अंडरवर्ल्ड से जुड़े किसी बड़ी घटना में मुन्ना शुक्ला का नाम बाद में कहीं नहीं आया। मुन्ना शुक्ला जेल में भले ही बंद हो लेकिन इनकी दबंगई की कहानिया आम हैं। कोई कहता है पार्टियां उन्हें डर से टिकट दे देती है, तो कोई बताता है कि मुन्ना जेल में डांस देखते थे, जिसकी तस्वीरे भी अखबार में आ चुकी है। तो कभी आधी उम्र में पीएचडी की डिग्री हासिल करने की खबर को लेकर भी वो चर्चा में रहे।