पिछले 5 सालाों में हिन्दू-मुस्लिम के नाम पर सैकड़ों मॉब लिंचिंग की घटनाएं, भागवत बोले-स्वयंसेवक नहीं होते हैं शामिल
By लोकमत न्यूज़ डेस्क | Published: October 8, 2019 11:17 AM2019-10-08T11:17:02+5:302019-10-08T11:17:02+5:30
एक वेबसाइट में छपी रिपोर्ट के मुताबिक साल 2014 से साल 2018 तक गोरक्षा के नाम पर 87 मामलों में 50 फीसदी शिकार मुसलमान हुए थे।
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के स्थापना दिवस के दिन नागपुर में विजयादशमी उत्सव मना रहा है। इस दौरान स्वयं सेवकों को संबोधित करते हुए मॉब लिंचिंग को लेकर मोहन भागवत ने कहा कि सामाजिक हिंसा की कुछ घटनाओं को भड़काने के रूप में ब्रांडिंग की जाती है। वास्तव में हमारे देश, हिंदू समाज को बदनाम करने और कुछ समुदायों में भय पैदा करने के लिए यह सब किया जा रहा है। स्वयंसेवक मॉब लिंचिंग में शामिल नहीं होते हैं। विजयदशमी के मौके पर यहां के रेशमीबाग मैदान में ‘शस्त्र पूजा’ के बाद स्वयंसेवकों को संबोधित करते हुए भागवत ने कहा, ‘लिंचिग’शब्द की उत्पत्ति भारतीय लोकाचार से नहीं हुई, ऐसे शब्द को भारतीयों पर ना थोपे। वहीं, केन्द्र की मोदी सरकार की ओर से जून 2019 में संसद को बताया गया था कि राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (NCRB) के मुताबिक देश में मॉब लिंचिंग की घटनाएं नहीं हुई हैं। लेकिन मॉब लिंचिंग के डाटा कुछ और ही हकीकत बयां करते हैं। आइए नजर डाले मॉब लिंचिंग के डाटा पर।
गोरक्षा के नाम पर 50 फीसदी शिकार मुसलमान
एक वेबसाइट में छपी रिपोर्ट के मुताबिक साल 2014 से साल 2018 तक गोरक्षा के नाम पर 87 मामलों में 50 फीसदी शिकार मुसलमान हुए थे। जबकि 20 प्रतिशत मामलों में शिकार हुए लोगों की धर्म जाति मालूम नहीं चल पाई। वहीं ग्यारह फीसदी दलितों को ऐसी हिंसा का सामना करना पड़ा।
2015 से लेकर 2018 तक 134 मामले मॉब लिंचिंग के सामने आ चुके हैं
2015 से लेकर 2018 तक मॉब लिंचिंग के 134 मामले हो चुके हैं। इनमें दलितों के साथ हुए अत्याचार भी शामिल हैं।
गोरक्षा के नाम पर मॉब लिंचिंग
-2012 से अब तक 86 गोरक्षा के नाम पर मॉब लिंचिंग
-2012 से 2018 तक - 33 लोगों की हत्या मॉब लिंचिंग में गोरक्षा के नाम पर हुई है।
-2014 में 3 मामले, जिसमें 11 लोग जख्मी हुए।
-2015 में 12 मामले , जिसमें 10 लोगों की हत्या हुई, 48 लोग जख्मी हुए।
-2016- 24 मामले, 8 लोगों की मौत
-2017- 37 मामले, पांच मौत
-2018- 9 मामले , पांच मौत, 16 घायल