यूपी में आर्म्स एक्ट के तहत हुई सबसे अधिक सजा, 10520 मामलों में दोषियों को मिली सजा
By राजेंद्र कुमार | Published: May 11, 2023 08:00 PM2023-05-11T20:00:38+5:302023-05-11T20:00:38+5:30
सूबे के अभियोजन निदेशालय के अनुसार, बीते तीन सालों के अंदर तकरीबन 30 हजार मामलों में अपराधियों को उनके गुनाहों की सजा न्यायालयों से दिलाई गई है और आर्म्स एक्ट के तहत हुई यूपी में अदालत ने अपराधियों को सबसे अधिक सजा सुनाई है।
लखनऊ:उत्तर प्रदेश केंद्र सरकार की 32 योजनाओं के क्रियान्वयन में देश में पहला स्थान पाने वाला राज्य है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व में यूपी प्रधानमंत्री आवास योजना, स्वच्छ भारत मिशन में शौचालयों का निर्माण, सौभाग्य योजना, प्रधानमंत्री जनधन योजना, मनरेगा का क्रियान्वयन, कोरोना जांच और टीकाकरण जैसे महत्वपूर्ण कार्यक्रमों में यूपी अव्वल प्रदेश बनकर उभरा है और अब उत्तर प्रदेश अदालतों के जरिए अपराधियों को सजा दिलाने के मामले में भी अव्वल राज्य बनने की दिशा में बढ़ चला है।
सूबे के अभियोजन निदेशालय के अनुसार, बीते तीन सालों के अंदर तकरीबन 30 हजार मामलों में अपराधियों को उनके गुनाहों की सजा न्यायालयों से दिलाई गई है और आर्म्स एक्ट के तहत हुई यूपी में अदालत ने अपराधियों को सबसे अधिक सजा सुनाई है। सूबे के अभियोजन निदेशालय द्वारा जारी किए गए आंकड़ों में यह दावा किया गया है।
इन आंकड़ों के अनुसार वर्ष 2020 से 2022 तक पॉक्सो एक्ट में 4078, रेप के केस में 1218, क्राइम अगेंस्ट वूमेन एंड चिल्ड्रेन केस में 8646, हत्या के केस में 2387, दहेज हत्या के केस में 1152, लूट के केस में 1141, गोवंश हत्या के केस में 279 और आर्म्स एक्ट के केस में 10520 मामलों में सजा दिलाई गई है।
अभियोजन निदेशालय की ओर से रिकॉर्ड स्तर पर अपराधियों को उनके किये की सजा दिलाने के लिए कई केंद्र और राज्य सरकारी से अवार्ड भी मिला है। अभियोजन निदेशालय के अफसरों का कहना है कि सूबे में माफिया और शातिर अपराधियों के खिलाफ की जा रही कार्रवाई के तहत पुलिस अब तक 184 बदमाशों को ढेर कर चुकी है। वहीं एक बहुत बड़ी संख्या ऐसे अपराधियों की भी है, जिन्हें न्यायालय में पुलिस की प्रभावी पैरवी से बेदम कर दिया गया है।
सूबे में अभियोजन निदेशालय के एडीजी आशुतोष पांडेय के अनुसार, पिछले तीन साल में कोर्ट में प्रभावी पैरवी और शत-प्रतिशत गवाहों की गवाही कराकर अपराधियों को सजा दिलाने में शानदार कार्य हुआ है। निदेशालय ने कोर्ट में प्रभावी पैरवी के जरिये वर्ष 2020 में पॉक्सो के तहत जहां 535 मामलों में सजा दिलाई।
वहीं वर्ष 2022 में 2313 मामलों में सजा दिलाई गई। इसी तरह रेप के मामले में वर्ष 2020 में 177 मामलों में सजा दिलाई गई, तो वहीं वर्ष 2022 में 671 मामलों में सजा दिलाई गई। क्राइम अगेंस्ट वूमेन एंड चिल्ड्रेन के मामलों में वर्ष 2020 में 1048 मामलों में सजा दिलाई गई जबकि वर्ष 2022 में 5351 मामलों में सजा दिलाई गई, जबकि हत्या के केस में वर्ष 2020 में 420 मामलों में दोषियों को सजा दिलाई गई।
2022 में 1180 मामलों में सजा दिलाई गई थी. इसी प्रकार अभियोजन निदेशालय ने दहेज हत्या के केस में वर्ष 2020 में 182 मामलों और वर्ष 2022 में 572 मामलों में सजा दिलाई है। लूट के केस में वर्ष 2020 में 177 मामलों में और वर्ष 2022 में 745 मामलों में सजा दिलाने में निदेशालय के अधिकारी सफल हुए हैं। गोवंश के प्रकरणों में वर्ष 2020 में 29 मामलों और वर्ष 2022 में 200 मामलों में सजा दिलाई गई।
वहीं पिछले तीन वर्ष में सबसे अधिक आर्म्स एक्ट के मामलों में सजा दिलाई गई है. आर्म्स एक्ट के मामले में वर्ष 2020 में 1960 मामलों में और वर्ष 2022 में 6373 मामलों में सजा दिलाई गई। कुल मिलाकर अब तक आर्म्स एक्ट के केस में 10520 मामलों में सजा दिलाई जा चुकी है। आशुतोष पांडेय का कहना है कि अभियोजन निदेशालय को पूरे देश में कम समय में अपराधियों को सजा दिलाने, ई ऑफिस और ई प्रॉसीक्यूशन पोर्टल पर देश में अच्छा प्रदर्शन करने पर अवार्ड, प्रमाण पत्र से सम्मानित किया गया है।