पिता बना हैवान, नाबालिग बेटी के साथ एक साल तक करता रहा रेप, हाईकोर्ट ने ठुकराई गर्भवती पीड़िता के 23 हफ्ते के भ्रूण को गिराने की याचिका, जानिए पूरी घटना
By आशीष कुमार पाण्डेय | Published: January 25, 2024 01:49 PM2024-01-25T13:49:37+5:302024-01-25T13:52:29+5:30
राजस्थान के जयपुर में एक कलयुगी पिता ने रिश्ते को तार-तार करते हुए अपनी 11 साल की नाबालिग बच्ची को हवस का शिकार बनाया।
जयपुर:राजस्थान में एक शख्स ने पिता के नाम पर बट्टा लगाते हुए ऐसी वारदात को अंजाम दिया, जिसे सुनकर लोगों का सिर शर्म से झुक जा रहा है। जी हां, एक कलयुगी पिता ने रिश्ते को तार-तार करते हुए अपनी ही 11 साल की नाबालिग बच्ची को हवस का शिकार बनाया और उसके साथ एक साल तक रेप किया।
इस घिनौनी करतूत के कारण पीड़िता गर्भवती हो गई लेकिन राजस्थान हाईकोर्ट ने उसकी ओर से दायर गर्भपात की याचिका को इस कारण से ठुकरा दिया है क्योंकि बच्ची के गर्भ में पल रहा भ्रूण 32 हफ्तों का हो गया था। कोर्ट ने अपने आदेश में कहा कि गर्भपात से बच्ची के शरीर को प्रतिकूल नुकसान हो सकता है, इसलिए उसे बच्चे को जन्म देना चाहिए।
समाचार वेबसाइट इंडिया टुडे के अनुसार पुलिस ने जयपुर में एक व्यक्ति को अपनी नाबालिग बेटी से बलात्कार के आरोप में गिरफ्तार किया है। इस जघन्य वारदात की रिपोर्ट उस वक्त लिखी गई, जब 11 वर्षीय पीड़िता ने अपने मामा को पूरी घटना की जानकारी दी। जिसके बाद आरोपी पिता के खिलाफ पुलिस ने पॉक्सो एक्ट सहित विभिन्न धाराओं में एफआईआर दर्ज की।
इस पूरे घटना सामने हैरानी वाली बात यह है कि वारदात की सच्चाई लोगों के सामने उस वक्त उजागर हुई, जब नाबालिग आठ महीने की गर्भवती थी। बताया जा रहा है कि आरोपी पिता ने एक साल पहले अपनी पत्नी को अपने बेटे के साथ उसके मायके भेज दिया था और उसके बाद लगभग एक साल तक वह अपनी बेटी को हवस का शिकार बनाता रहा।
नाबालिग बेटी ने पिता के इस अत्याचार के बारे में घर से आसपास रह रहे लोगों से बताने का प्रयास किया, लेकिन वो बता नहीं सकी क्योंकि आरोपी पित ने जान से मारने की धमकी दी थी लेकिन जब बाद में पीड़िता की तबीयत बिगड़ी तो आरोपी पिता उसे उसकी मां के पास ननिहाल में छोड़ गया।
ननिहाल में लड़की ने अपने मामा को तबियत खराब होने की वजह बताई, जिसके बाद महिला के परिजन नाबालिग को लेकर थाने गये और आरोपी पिता के खिलाफ केस दर्ज कराया।
इस बीच, राजस्थान हाईकोर्ट ने बलात्कार पीड़िता की 32 सप्ताह के भ्रूण के गर्भापात की इजाजत देने वाली याचिका को यह कहते हुए खरिज कर दिया है कि इतनी उन्नत अवस्था में गर्भपात नाबालिग के जीवन को "खतरे में" डाल सकता है। इसके साथ अदालत ने यह भी कहा कि संविधान के अनुच्छेद 21 के तहत पूर्ण विकसित भ्रूण को भी जीवन का अधिकार है।
अपने आदेश में जस्टिस अनूप कुमार ढांड की बेंच ने कहा कि अदालत के पास आने में बच्चे की देरी ने गर्भावस्था को समाप्त करने के उसकी याचिका को खारिज करने का बल दे रहा है। मेडिकल बोर्ड के बयान को ध्यान में रखते हुए याचिका को अस्वीकार किया जाता है।