झारखंड में ‘काला हीरा’ के ‘काला कारोबार’ हजार करोड़ के पार, हर दिन टपाया जाता है करीब एक हजार हाईवा कोयला
By एस पी सिन्हा | Updated: June 15, 2025 15:31 IST2025-06-15T15:31:32+5:302025-06-15T15:31:32+5:30
जानकारों की मानें तो कोयलांचल में यह एक संगठित अपराध है, जिसमें अवैध रूप से कोयले का खनन, परिवहन और बिक्री शामिल है। जिले के निरसा कोयलांचल में संचालित हो रहे कोयले के इस अवैध धंधे पर रमेश गोप, आरएस सिंह और एम खान के सिंडिकेट का पूरी तरह से कब्जा है।

झारखंड में ‘काला हीरा’ के ‘काला कारोबार’ हजार करोड़ के पार, हर दिन टपाया जाता है करीब एक हजार हाईवा कोयला
रांची: झारखंड में काला हिरा के नाम से चर्चित कोयला की तस्करी का धंधा एक हजार करोड से ज्यादा का बन चुका है। झारखंड के कोयलांचल में इसे "कार्बन का धंधा" भी कहा जाता है। जानकार कहते हैं कि ‘काला हीरा’ के ‘काला कारोबार’ ने इस बार कोयलांचल में तस्करी के सारे रिकॉर्ड तोड़ दिये हैं। एक अनुमान के मुताबिक केवल धनबाद जिले के विभिन्न हिस्सा से प्रतिमाह करीब 600 करोड़ रुपये के कोयले का अवैध कारोबार हो रहा है। तस्करों द्वारा बीसीसीएल-ईसीएल की विभिन्न कोलियरियों से हर दिन करीब एक हजार हाईवा कोयला टपाया जाता है।
जानकारों की मानें तो कोयलांचल में यह एक संगठित अपराध है, जिसमें अवैध रूप से कोयले का खनन, परिवहन और बिक्री शामिल है। जिले के निरसा कोयलांचल में संचालित हो रहे कोयले के इस अवैध धंधे पर रमेश गोप, आरएस सिंह और एम खान के सिंडिकेट का पूरी तरह से कब्जा है। कोयला तस्करी में शामिल धंधेबाजों का मनोबल काफी बढ़ा हुआ है। यही कारण है कि कोयला चोरी का विरोध करने पर कोयला तस्कर फायरिंग और मारपीट करने से भी गुरेज नहीं करते हैं। हालांकि झारखंड में कोयला तस्करी के खिलाफ समय-समय पर छापेमारी और कार्रवाई होती रहती है।
अभी पिछले ही दिनों धनबाद में पुलिस, सीआईएसएफ और बीसीसीएल की संयुक्त कार्रवाई में 400 से 500 टन अवैध कोयला बरामद किया गया। एक अनुमान के मुताबिक राज्य में रोजाना 530 ट्रक कोयले की चोरी हो रही है। एक ट्रक में करीब 20 टन कोयला लोड होता है। एक टन कोयले की कीमत बाजार में कोयला के ग्रेड के अनुसार 6,000 से लेकर करीब 11 हजार रुपये तक है। न्यूनतम सात हजार प्रति टन भी मान लें, तो इस हिसाब से प्रति ट्रक कोयला का बाजार मूल्य करीब 1.40 लाख होता है। इस तरह 530 ट्रक के हिसाब से रोजाना 7,42,00,000 रुपये कीमत की कोयला चोरी हो रही है।
बताया जाता है इ कोयले का अवैध कारोबार महीने में 20 दिन से अधिक नहीं चलता। इस तरह एक माह में 1,48,40,00,000 रुपये कीमत की कोयला चोरी होती है। हालांकि, पुलिस और प्रशासन ने मिल कर पिछले वर्ष में 823 छापेमारी की थी, जिसमें महज 5,25,14,000 रुपये का कोयला ही बरामद किया जा सका है। नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल यानी एनजीटी ने पिछले दिनों निरसा इलाके का निरीक्षण किया था। एनजीटी को अनुमान है कि सिर्फ निरसा इलाके से ही रोज 10 हजार टन कोयले का अवैध कारोबार हो रहा है।
जांच में यह भी बात सामने आई है कि कोयला तस्करी के इस खेल में कुछ अधिकारी भी संलिप्त हैं। कोयला उत्खनन एवं अवैध व्यापार पर धनबाद सीआइडी टीम ने पुलिस मुख्यालय को कई बार इस तरह की रिपोर्ट दी है। प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) की नजर भी धनबाद के अवैध कोयला खनन माफियाओं पर है। ईडी के सहायक निदेशक विनोद कुमार ने इससे संबंधित शिकायतों पर पुलिस मुख्यालय से रिपोर्ट मांगी है। इसपर ईडी के संयुक्त निदेशक की भी सहमति का भी हवाला दिया गया है।
पुलिस महानिरीक्षक (एचआर) को भेजे गए पत्र में ईडी के सहायक निदेशक ने उल्लेख किया है कि शिकायत के अनुसार धनबाद के ईसीएल, मुगमा में लंबे समय से कोयले का अवैध खनन हो रहा है। अवैध कोयला खनन को संरक्षण देने का आरोप धनबाद के वरीय पुलिस अधीक्षक (एसएसपी) संजीव कुमार पर लगाया गया है।
बताया गया है कि अवैध कोयले के धंधे में सैकड़ों की आबादी फलफूल रही है। ईट भट्ठों पर चोरी के कोयले खपाए जा रहे हैं। ऐसी बात नहीं है कि कोयला तस्करी पर पुलिस चुप है। वहीं, रामगढ़-रांची हाईवे पर कई ऐसे गरीब आदिवासी मिल जाएंगे जो साइकिल पर अवैध, चोरी का कोयला बोरों में भरकर उसकी बिक्री करते हैं। गरीब आदिवासी एक-एक साइकिल पर करीब 5-6 बोरों में भरकर कोयला लाते हैं। जिनमें करीब 200-300 किलो कोयला होता है। यह लोग झारखंड के अलग-अलग कोने से अवैध, चोरी का कोयला साइकिल पर लादकर रामगढ़-रांची हाईवे होते हुए रांची व उसके आसपास के इलाके में जाते हैं। वहां ये आदिवासी कोयला बेचकर उससे मिलने वाले पैसों से अपने पेट की आग बुझाते हैं।
जानकारी के मुताबिक वर्तमान में बीसीसीएल हर दिन औसतन 85-90 हजार टन कोयले का उत्पादन कर रहा है। एक अनुमान के मुताबिक कंपनी के उत्पादन का करीब 15-20 फीसदी कोयला चोरी हो जा रहा है। खास कर झरिया, निरसा व बाघमारा कोयलांचल में अवस्थित बीसीसीएल-ईसीएल की विभिन्न कोलियरियों में तो मानो, कोयला लूट की पूरी छूट मिल चुकी है।
झरिया के एनटी-एसटी, ऐना, बस्ताकोला, कुइयां, भौंरा, पाथरडीह, टासरा व बाघमारा क्षेत्र के गजलीटांड़, मुराईडीह, सोनारडीह, चैतुडीह, तेतुलमारी, एकेडब्ल्यूएम, शताब्दी परियोजना क्षेत्रों समेत आस-पास के सभी इलाकों में बड़े पैमाने पर कोयले का अवैध कारोबार चल रहा है। यह कारोबार न सिर्फ रात में, बल्कि दिन के उजाले में भी धड़ल्ले से संचालित हो रहा है। खास बात यह कि सिर्फ झरिया व बाघमारा कोयलांचल में अवस्थित बीसीसीएल की खदानों से हर दिन औसतन 650 से 700 हाईवा कोयला लोड हो कर निकलता है, जबकि निरसा से भी करीब 300 हाईवा कोयला प्रतिदिन टपाया जा रहा है।
इन हाइवा पर लोड कोकिंग कोल बरवाअड्डा, गोविंदपुर, बलियापुर सहित अन्य स्थानीय हार्डकोक भट्ठों में खपाया जा रहा है, जबकि नन कोकिंग कोयले की खपत पश्चिम बंगाल, बिहार व यूपी की मंडियों में हो रही है। जाननेवालों का कहना है कि ऐसी कोयला चोरी पहले कभी नहीं देखने को मिली। एक अनुमान के मुताबिक धनबाद से प्रतिदिन 20 करोड़ और महीने में 600 करोड़ से अधिक के अवैध कोयले का कारोबार हो रहा है।
इसके साथ ही अवैध खनन के नेटवर्क से प्रति महीने 300 करोड़ की वसूली होती है। वसूली का जिम्मा कई निजी व्यक्तियों को है, जिसमें चंदन राय उर्फ शर्माजी, कोयला चोर रमेश गोप और रामाशंकर सिंह का उल्लेख है। इसमें निरसा के थाना प्रभारी और एसडीओ की भी सहभागिता बताई गई है। ईडी का निर्देश है कि इन शिकायतों से संबंधित पूर्व में की गई प्राथमिकी और आरोपपत्र है तो उससे निदेशालय को अवगत कराएं।
वहीं, पूरे मामले पर धनबाद के उपायुक्त रितेश रंजन ने कहा कि धनबाद माइनिंग जिला है। यहां कोई भी अवैध, चोरी का कोयला बेचने का काम करेगा तो सख्त कार्रवाई होगी। उसके खिलाफ मामला दर्ज किया जाएगा। प्रशासन ने कई लोगों पर नकेल कसी है। कोयले की अवैध तस्करी के लिए हर जगह चेक पोस्ट बनाया गया है। उपायुक्त ने कहा कि जो कोई कोयले की अवैध तस्करी करते हुए पकड़ा जायेगा उसके खिलाफ कार्रवाई की जाएगी।
वहीं झारखंड से भाजपा के राज्यसभा सांसद महेश पोद्दार ने झारखंड में कोयले के अवैध कारोबार के लिए राज्य सरकार पर निशाना साधा। उन्होंने कहा कि कोयले के अवैध खनन मामले में एक वर्ग ऐसा है जो सत्ता के संरक्षण में लाखों करोड़ों रुपये की चोरी करता है। वहीं दूसरी तरफ ऐसे हजारों गरीब लोग हैं जो खतरा उठाकर कोयला निकालकर बाजारों तक पहुंचाते हैं। यह आर्थिक सामाजिक समस्या है। जिसका निदान सरकार को करना चाहिये। समाज दोनों को अलग नजर से देखता है। यद्यपि दोनों अपराध हैं।