मरने के 9 साल बाद बैंक से लिया कर्ज! बैंक ने जारी किया वसूली नोटिस, जानें क्या है माजरा
By गुणातीत ओझा | Published: May 22, 2020 03:42 PM2020-05-22T15:42:09+5:302020-05-22T15:42:09+5:30
उत्तर प्रदेश के मथुरा जनपद की क्षेत्रीय सहकारी समितियों में घपलेबाजी के मामले सामने आए हैं जिनकी जिला सहकारी बैंक की ओर से जांच कराई जा रही है और वसूली नोटिस भी जारी किए गए हैं। मामले से जुड़े सूत्रों ने बताया कि वसूली के नोटिसों में कई ऐसे नाम भी शामिल हैं जिन लोगों की लंबे समय पूर्व मृत्यु हो चुकी है।
मथुरा।उत्तर प्रदेश के मथुरा जनपद की क्षेत्रीय सहकारी समितियों में अजीब घोटाले सामने आ रहे हैं। घपलेबाजी के मामलों की जिला सहकारी बैंक जांच कर रहा है। कई मामलों में वसूली नोटिस भी जारी किए गए हैं। सूत्रों ने बताया कि वसूली के नोटिसों में कई ऐसे नाम भी शामिल हैं जिन लोगों की लंबे समय पूर्व मृत्यु हो चुकी है। या फिर बहुत से ऐसे लोग हैं जिनका दावा है कि उन्होंने किसी भी सहकारी समिति से कभी भी कोई ऋण नहीं लिया है और फर्जी तरीके से उनके नाम पर ऋण दर्शाकर बकाया राशि के नोटिस जारी कर दिए गए हैं।
जिला सहकारी बैंक के चेयरमैन मेघश्याम सिंह ने बताया, ‘‘यह कड़वी सच्चाई है कि विगत वर्षों में सहकारी समितियों में बड़े पैमाने पर घपले होते रहे हैं। इसीलिए हम नवीन कार्यकारिणी के गठन के बाद से ही दो साल से लगातार जांच करा रहे हैं। जिनके फलस्वरूप दो दर्जन से अधिक बैंककर्मियों को निलंबित अथवा बर्खास्त तक किया जा चुका है। कईयों के खिलाफ पुलिस में अमानत में खयानत, धोखाधड़ी व गड़बड़ी जैसे मामले दर्ज कराए जा चुके हैं।’’ हालिया घटनाक्रम राया स्थित सहकारी बैंक शाखा के प्रबंधक द्वारा ब्लॉक के आधा दर्जन गांवों के किसानों के खिलाफ लाखों रूपये बकाया की वापसी के लिए नोटिस जारी किए जाने से प्रारम्भ हुआ है। इस संबंध में सहकारी बैंक राया के मैनेजर अर्जुन सिंह का कहना है कि उन्होंने मामले की जानकारी अपने उच्चाधिकारियों को दे दी है।
कुछ ऐसा ही सोनई क्षेत्र की आत्मनिर्भर सहकारी समिति सरूपा में भी हुआ है, जहां आसपास के कई गांवों के हजारों किसानों के खाते खुले हुए हैं। गांव वालों का कहना है कि जब से खुले बाजार में खाद-बीज की उपलब्धता सुनिश्चित होने लगी है उन्होंने सहकारी समिति से खाद-बीज अथवा उसके लिए कर्ज लेना बंद कर दिया है परंतु समिति फिर भी उनके खिलाफ बकाया दिखा रही है, जो गलत है। गांव के बसंत लाल बताते हैं कि उनके और पिता के नाम पर एक लाख रुपए से अधिक का ऋण दिखा दिया है जबकि उन्होंने तो कभी कोई ऋण लिया ही नहीं है। इसी प्रकार कर्जदाता किसानों में नौ साल पहले मर चुके चिमला गांव के चंद्रभान शर्मा भी बकाएदारों की सूची में शामिल हैं। आनंद प्रकाश नाम के किसान की मौत चार साल पहले हो गई, उन्हें भी कर्जदार बताया गया है।
किसानों का आरोप है कि आत्मनिर्भर सहकारी समिति के सचिव ने यह घोटाला किया है और किसानों के रिकॉर्ड पर फर्जी तौर-तरीके से धन निकासी की गई है। ग्रामीणों ने इस मामले की शिकायत मुख्यमंत्री और डीएम पोर्टल के साथ एआर कोऑपरेटिव से भी की है। जिला सहकारी बैंक के चेयरमैन मेघश्याम सिंह ने कहा, ‘‘सभी मामले फर्जी नहीं हैं। परंतु, कुछ किसान एक-दो मामलों की आड़ में खुद को भी पाक-साफ सिद्ध करने की कोशिश कर रहे हैं। सभी संदिग्ध मामलों की जांच कराई जा रही है।’’