बुराड़ी कांड को नया मोड़ देने वाली कौन हैं तांत्रिक ‘गीता’, पुलिस ने की पूछताछ
By लोकमत समाचार हिंदी ब्यूरो | Published: July 7, 2018 05:58 PM2018-07-07T17:58:41+5:302018-07-07T17:58:41+5:30
पुलिस के द्वारा लिए गए कॉल रिकॉर्ड के आधार पर घटना से ठीक कुछ देर पहले छोटे बेटे ललित (45) की बात उस घर बनाने वाले ठेकेदार से हुई थी।
नई दिल्ली, 7 जुलाईः बुराड़ी में हुई 11 लोगों की मौत की घटना की तस्वीर अभी तक पूरी तरह साफ़ नहीं हो पाई है। इतना भले तय है कि मौत के पीछे की मूल वजह कहीं ना कहीं अंधविश्वास है। पुलिस को रोज़ जांच के दौरान कोई नई पहेली मिल ही जाती है। जिसकी वजह से केस सुलझना मुश्किल होता जा रहा है।
इस घटना में कुछ दिनों पहले एक नया चेहरा सामने आया, उज्जैन की तांत्रिक ‘गीता’। यह मृतक भाटिया परिवार का घर बनाने वाले ठेकेदार कुंवरपाल सिंह की बेटी है। पुलिस के द्वारा लिए गए कॉल रिकॉर्ड के आधार पर घटना से ठीक कुछ देर पहले छोटे बेटे ललित (45) की बात उस घर बनाने वाले ठेकेदार से हुई थी। हालांकि पुलिस ने गीता से पूछताछ के बाद बताया कि इनका केस से सम्बंध नहीं लग रहा है।
अब सवाल उठता है कि ये गीता कौन हैं? उज्जैन की इस तांत्रिक ने एक समाचार समूह को दिए गए साक्षात्कार में कहा कि वह बचपन से ही तंत्र विद्या के माध्यम से आम लोगों की समस्याएं सुलझाती हैं। लेकिन वह भाटिया परिवार को ना तो जानती थी और ना ही उनसे कभी मिली थी। लेकिन उसके पिता जी ने घटना की खबर मिलने के बाद बताया कि परिवार बेहद धार्मिक था।
यह भी पढ़ेंः- बुराड़ी केस: कभी आसाराम का भक्त हुआ करता था ललित भाटिया का पूरा परिवार
इसके अलावा अपने बारे में पूछे जाने पर गीता ने बताया कि वह ईश्वर की भक्त है और ईश्वर की सेवा करती है। बचपन से ही उसके अन्दर कुछ ऐसी शक्तियां हैं जिनके माध्यम से वह आम लोगों की सेवा भी करती है। साथ ही आम लोगों की रोज़मर्रा में होने वाली समस्याओं को तंत्र विद्या के ज़रिये हल करती है।
हमारे देश में धर्म और पाखंड के बीच अंतर की लकीर बेहद पतली है। लोगों की आस्था कब अंधविश्वास में तब्दील हो जाती है इसका पता ही नहीं लगता। बुराड़ी जैसे मसलों के बाद ऐसा लगने लगता है कि देश के धार्मिक लोगों में जागरूकता की ज़रूरत कहीं अधिक है। भले गीता बुराड़ी काण्ड के लिए ज़िम्मेदार ना हो लेकिन इसका मुख्य कारण है तो अंधविश्वास ही।
* इस खबर को LokmatNews.in के साथ इंटर्न कर रहे वैभव शुक्ला ने लिखा है।