बिहारः राजगीर में पुलिस का अमानवीय चेहरा, पांच गेस्ट हाउस कर्मचारियों को बर्बरता से पीटा
By एस पी सिन्हा | Published: November 12, 2018 03:14 PM2018-11-12T15:14:10+5:302018-11-12T15:14:10+5:30
सबसे दिलचस्प बात तो यह है कि पीड़ित कर्मियों में से एक मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के उक्त गेस्ट हाउस में ठहरने पर उनके लिए खाना बनाने का काम करता था.
पटना, 12 नवंबरःबिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के गृह जिला नालंदा के राजगीर में पुलिस का अमानवीय चेहरा सामने आया है. यहां पुलिस ने गेस्ट हाउस में काम करने वाले पांच कर्मियों की बर्बरतापूर्ण पिटाई की है. पिटाई से पीडितों का शरीर काला पड गया है और पीडितों पर बैठा नहीं जा रहा है. सबसे दिलचस्प बात तो यह है कि पीडित कर्मियों में से एक मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के उक्त गेस्ट हाउस में ठहरने पर उनके लिए खाना बनाने का काम करता था.
इधर, इस घटना के बाद सभी पुलिस अधिकारियों ने चुप्पी साध रखी है. मामले को लेकर अधिकारी कुछ भी बोलने से परहेज कर रहे हैं. हालांकि, पटना प्रक्षेत्र के उपमहानिरीक्षक राजेश कुमार के निर्देश पर नालंदा जिले के पुलिस अधीक्षक सुधीर कुमार पोरिका ने राजगीर थानाध्यक्ष विजेंद्र कुमार को निलंबित कर दिया है. प्राप्त जानकारी के अनुसार, राजगीर स्थित वन विभाग के गेस्ट हाउस में चोरी हुए टीवी का आरोप अपने ऊपर लेने का दबाव बनाते हुए वन विभाग के पांच दैनिक वेतनभोगी कर्मियों की पुलिस ने बुरी तरह पिटाई की.
मामला तब लोगों के सामने आया जब पिटाई करने के बाद आरोपियों को स्थानीय अस्पताल में भर्ती कराया गया. पीडित कर्मी मिथलेश कुमार का कहना है कि हमलोगों के द्वारा मुख्यमंत्री व उनके अधिकारियों का खाना बनाने की काम किया जाता था. लेकिन दो-तीन दिन से टीवी चोरी के आरोप में हम लोगों की मारपीट की जा रही थी. इतना ही नहीं पीडित कामता राजवंशी ने आरोप लगाया कि पुलिस ने हम सभी को पहले बुलाया और फिर पांचों को जंगल में ले जाकर पेड से लटका कर जमकर पिटाई की. जिससे हमलोगों का शरीर काला पड गया है, पिटाई की वजह से हम लोगों पर बैठा भी नहीं जा रहा है.
घटना को लेकर जब पुलिस अधिकारी से बात करने की कोशिश की तो उन्होंने चुप्पी साध ली. मामले को लेकर कोई भी अधिकारी कुछ भी बोलने को तैयार नहीं है. वहीं, पीडित उचित का आरोप है कि पुलिस ने हम सभी की पिटाई करते हुए कहा कि हम तुम्हें एक लाख रुपये देंगे तुम टीवी चोरी करने की बात स्वीकार कर लो. इस मामले को लेकर मीडिया में जारी एक वीडियो में जिला वन पदाधिकारी नेसमणि ने घटना पर नाराजगी जताते हुए पुलिस अधीक्षक से कह रहे हैं कि अगर इनपर चोरी का आरोप सही पाया जाता है तो उनके खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जाती ना कि उनकी इतनी बेहरमी से पुलिस पिटाई करती.'
नेसमणि ने पुलिस अधीक्षक से कहा कि या तो थानेदार (राजगीर) आपके नियंत्रण में नहीं हैं या फिर आपने स्वयं इस मामले को अपने स्तर पर नहीं देखा. इनका जख्म देख कर लगता है कि एक-एक को सौ-सौ डंडे से अधिक मारा गया है.' बुरी तरह से पिटाई किये जानेवाले उक्त, जो कि जमीन पर लेटे हुए दर्द से कराह थे, में से एक की ओर इशारा करते हुए नेसमणि ने पुलिस अधीक्षक से कहा कि बताइए वह मुख्यमंत्री को खाना खिलाता था. जो रिपोर्ट करने जाये उसी के साथ ऐसा व्यवहार किया जाये. यह तो डबल क्राइम है. सभी का मेडिकल करायेंगे और अब कोर्ट में सीधा रिपोर्ट करेंगे. ये लोग ही पिटाई करनेवाले पुलिसकर्मियों की पहचान करेंगे.'
वन विभाग के गेस्ट हाउस जिन दैनिक वेतनभोगी कर्मियों की पुलिस द्वारा पिटाई की गई है, उनमें राजगीर के ठाकुर स्थान निवासी कामता राजवंशी, फल्गु के राजेश कुमार एवं मिथिलेश कुमार, चेतनालय के सत्येंद्र यादव और भोजपुर के उचित प्रसाद शामिल हैं.