‘बाल मित्र थाना’.. यहां ना पुलिस की हनक है, ना ही डरा देने वाला डंडा, प्यार बांटकर सुधारा जाता है बिगड़ैलों को
By भाषा | Published: May 10, 2020 02:31 PM2020-05-10T14:31:27+5:302020-05-10T14:31:27+5:30
उत्तर प्रदेश के बहराइच जिले में भारत-नेपाल सीमावर्ती रूपईडीहा थाने के भीतर एक नया और अलग तरह का ‘बाल मित्र थाना’ बनाया गया है। यहां ना तो वर्दीधारी पुलिस कर्मी हैं, ना डंडा, न आर्टिलरी! यहां प्रवेश करते ही सामने दिखते हैं चेहरे पर सहज मुस्कान लिए सादी वर्दी में एक स्मार्ट अधिकारी और सहज स्वभाव की उनकी एक महिला सहायक।
बहराइच। उत्तर प्रदेश के बहराइच जिले में भारत-नेपाल सीमावर्ती रूपईडीहा थाने के भीतर एक नया और अलग तरह का ‘बाल मित्र थाना’ बनाया गया है। यहां ना तो वर्दीधारी पुलिस कर्मी हैं, ना डंडा, न आर्टिलरी! यहां प्रवेश करते ही सामने दिखते हैं चेहरे पर सहज मुस्कान लिए सादी वर्दी में एक स्मार्ट अधिकारी और सहज स्वभाव की उनकी एक महिला सहायक। यह यूनिसेफ द्वारा स्वैच्छिक संगठनों और पुलिस के सहयोग से थाना परिसर के एक हिस्से में बनाया गया "बाल मित्र थाना" है। यहां पहुंचने पर कैरम बोर्ड, लूडो, सांप सीढ़ी, चेस और कामिक्स, दीवारों पर आंखों को सुकून देने वाले बाल सुलभ बहुरंगी चित्र देखकर पहली नजर में तो यही एहसास होता है कि हम किसी क्रच, किड्स बोर्डिंग, समर कैम्प या प्ले ग्रुप स्कूल में पहुंच गये हैं।
पुलिस अधीक्षक विपिन कुमार मिश्र ने रविवार को बताया कि नेपाल सीमा बीते कई वर्षों से बाल तस्करी का मार्ग रही है। कोरोना लाकडाउन में बढ़ी गरीबी और बेरोजगारी के कारण नेपाल से बाल तस्करी की आशंका के मद्देनजर भारत नेपाल सीमावर्ती रूपईडीहा थाना परिसर में पुलिस ने यूनीसेफ तथा स्वैच्छिक संगठनों के साथ मिलकर नेपाल सीमा पर पहला "बाल मित्र थाना" शुरू किया है। यूनीसेफ के मुताबिक प्रदेश में ऐसे 19 थाने बनाने की योजना तैयार की गई है।
रूपईडीहा थाना परिसर में तैयार किए गए इस बाल मित्र थाने की परियोजना को स्वैच्छिक संस्था डेवलपमेंट एसोसिएशन फार ह्ययूमन एडवांसमेंट "देहात" और कैरीटास इंडिया के सहयोग से चलाया जा रहा है। पुलिस अधीक्षक मिश्र ने बताया कि "वर्तमान में बड़े अपराधी गिरोह बच्चों के जरिए वारदातों को अंजाम दे रहे हैं। बाल मित्र थाने में अपराध करने वाले अथवा तस्करी या अपहरण के बाद छुड़ाए गए बच्चों की काउंसिलिंग अथवा पूछताछ के लिए पुलिस के परंपरागत तौर तरीकों से अलग एक सब इंस्पेक्टर स्तर के बाल कल्याण अधिकारी तथा एक अलग महिला कांस्टेबल की नियुक्ति की गयी है। मिश्र ने बताया कि यहां लाए गए बच्चों को कम्यूनिटी पुलिसिंग की तर्ज पर टॉफी, बिस्कुट और जूस आदि खिला-पिलाकर उनका दिल जीतने के बाद ही उनसे स्नेहपूर्ण तरीके से पूछताछ की जाएगी। बाल मित्र थाने और बाल मित्र कक्ष में पुलिस अधिकारी तथा किसी अन्य पुलिस कर्मी को वर्दी में जाने की इजाजत नहीं होगी।"
उन्होंने कहा कि "अभी तो शुरूआत है। इस थाने को हम यहाँ आने वाले बच्चों के भविष्य निर्माण करने वाले एक माडल के रूप में विकसित करना चाहते हैं।" देहात संस्था के मुख्य कार्यकारी जितेन्द्र चतुर्वेदी ने बताया कि यहां इस बात का खास ख्याल रखा गया है कि यहां लाया गया बच्चा चाहे अपराधी ही क्यों न हो वह किसी भी परिस्थिति में घुटन ना महसूस करे। यूनीसेफ लखनऊ के मंडलीय कंसल्टेंट अनिल कुमार ने कहा "पूरे उत्तर प्रदेश में इस तरह के 19 बाल मित्र थाने बन रहे हैं लेकिन भारत नेपाल बार्डर पर यह प्रदेश का पहला थाना है।"