अहमदाबाद विस्फोट: फैसले पर जमीयत उलमा-ए-हिंद के अध्यक्ष मौलाना अरशद ने जताई आपत्ति, कहा हम हाईकोर्ट जाएंगे, दोषियों के वकीलों ने भी कही ये बात
By अनिल शर्मा | Published: February 19, 2022 01:41 PM2022-02-19T13:41:26+5:302022-02-19T13:49:00+5:30
बचाव पक्ष के एक वकील एच एम शेख ने कहा, ‘‘मेरा मानना है कि अदालत को इस तरह के साक्ष्यों को स्वीकार नहीं करना चाहिए था। लेकिन चूंकि फैसला सुना दिया गया है, ऐसे में यह स्वाभाविक है कि दोषी करार दिये गये लोग फैसले के खिलाफ उच्च न्यायालय का रुख करेंगे। ’’
अहमदाबादः अहमदाबाद में 2008 में हुए सिलसिलेवार विस्फोटों के मामले में 49 दोषियों को यहां की एक विशेष अदालत ने फैसला सुनाया। 49 में से 38 दोषियों को मौत की सजा दी गई वहीं 11 को उम्र कैद की सजा सुनाई। इस बीच विशेष अदालत के फैसले के खिलाफ जमीयत उलमा-ए-हिंद के अध्यक्ष मौलाना अरशद मदानी ने हाईकोर्ट का रुख करने की बात कही है। मौलाना अरशद ने कहा कि हम हाईकोर्ट जाएंगे। हमें उम्मीद है कि उनकी सजा को शायद उच्च न्यायालय द्वारा ही कम कठोर किया जाएगा। मौलाना ने यह भी कहा कि अगर हाईकोर्ट द्वारा भी सजा कम नहीं की गई तो वे सुप्रीम कोर्ट का रुख करेंगे। बकौल मौलाना अरशद, अगर हमें सफलता नहीं मिली, तो हम सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाएंगे।
वहीं दोषियों के वकीलों ने शुक्रवार को कहा कि वे विशेष अदालत के फैसले के खिलाफ गुजरात उच्च न्यायालय का रुख करेंगे। विशेष अदालत ने शुक्रवार को 49 दोषियों में 38 को मौत की सजा और 11 अन्य को उम्र कैद की सजा सुनाई। बचाव पक्ष के वकीलों ने कहा कि विशेष अदालत को फैसला सुनाते समय सिर्फ परिस्थितिजन्य साक्ष्य और कुछ दोषियों के बयानों पर ही निर्भर नहीं रहना चाहिए था। उन्होंने कहा, ‘‘फैसला परिस्थितिजन्य साक्ष्य, आरोपियों द्वारा सीआरपीसी की धारा 164 के तहत दिये गये बयान और एक सरकारी गवाह के बयान पर मुख्य रूप से आधारित है।
बचाव पक्ष के एक वकील एच एम शेख ने कहा, ‘‘मेरा मानना है कि अदालत को इस तरह के साक्ष्यों को स्वीकार नहीं करना चाहिए था। लेकिन चूंकि फैसला सुना दिया गया है, ऐसे में यह स्वाभाविक है कि दोषी करार दिये गये लोग फैसले के खिलाफ उच्च न्यायालय का रुख करेंगे। ’’ इन विस्फोटों में 56 लोगों की मौत हो गयी थी और 200 से अधिक लोग घायल हो गए थे।