सुनील गावस्कर और दिलीप वेंगसरकर जैसे धुरंधर निकले, सचिन तेंदुलकर, रोहित शर्मा का करियर बनाने वाले नहीं रहे द्रोणाचार्य वासु परांजपे

मुंबई क्रिकेट के द्रोणाचार्य माने जाने वाले अनुभवी कोच वासु परांजपे ने 29 प्रथम श्रेणी मैचों में 785 रन बनाए, लेकिन इन आंकड़ों से उनकी महानता बयां नहीं होती।

By लोकमत न्यूज़ डेस्क | Published: August 30, 2021 09:37 PM2021-08-30T21:37:46+5:302021-08-30T21:38:39+5:30

Sunil Gavaskar Dilip Vengsarkar Sachin Tendulkar Rohit Sharma's career Dronacharya Vasoo Paranjape no more  | सुनील गावस्कर और दिलीप वेंगसरकर जैसे धुरंधर निकले, सचिन तेंदुलकर, रोहित शर्मा का करियर बनाने वाले नहीं रहे द्रोणाचार्य वासु परांजपे

सुनील गावस्कर को ‘सनी’ उपनाम उन्होंने ही दिया था।

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Highlightsवासु परांजपे का 82 वर्ष की उम्र में सोमवार को निधन हो गया।भारत का पूर्व क्रिकेटर और राष्ट्रीय चयनकर्ता रह चुका है।मुंबई क्रिकेट की नब्ज को उनके जैसा कोई नहीं पढ़ पाता था।

मुंबईः मुंबई क्रिकेट के द्रोणाचार्य माने जाने वाले अनुभवी कोच वासु परांजपे का 82 वर्ष की उम्र में सोमवार को निधन हो गया। उनके परिवार में पत्नी ललिता , दो बेटियां और बेटा जतिन है जो भारत का पूर्व क्रिकेटर और राष्ट्रीय चयनकर्ता रह चुका है।

 

मुंबई क्रिकेट संघ के सचिव संजय नाईक और संयुक्त सचिव शाहआलम शेख ने एक बयान में कहा ,‘‘ मुंबई क्रिकेट संघ श्री वासु परांजपे के दुखद निधन पर शोक व्यक्त करता है जिन्होंने 30 अगस्त 2021 को आखिरी सांस ली। एमसीए की शीर्ष परिषद के सदस्यों, सदस्य क्लबों और क्रिकेट जगत की ओर से हम उनके निधन पर शोक व्यक्त करते हैं।’’

भारत के पूर्व कप्तान सुनील गावस्कर और महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना के नेता राज ठाकरे ने भी परांजपे के निधन पर शोक जताया। भारतीय क्रिकेट खासकर मुंबई क्रिकेट के साथ छह दशक तक परांजपे विभिन्न भूमिकाओं में जुड़े रहे । वह कोच, चयनकर्ता, मेंटर और सलाहकार रहे। मुंबई क्रिकेट की नब्ज को उनके जैसा कोई नहीं पढ़ पाता था।

सुनील गावस्कर को ‘सनी’ उपनाम उन्होंने ही दिया था। उन्होंने 29 प्रथम श्रेणी मैचों में 785 रन बनाये लेकिन इन आंकड़ों से उनकी महानता बयां नहीं होती। खेल का उनका ज्ञान और खिलाड़ियों की मानसिकता पर काम करने की खूबी उन्हें खास बनाती थी। वह हिन्दी, अंग्रेजी, मराठी और गुजराती धाराप्रवाह बोलते थे।

वह दादर यूनियन टीम के कप्तान रहे जहां से सुनील गावस्कर और दिलीप वेंगसरकर जैसे धुरंधर निकले । 1987 विश्व कप से पहले मुंबई में भारतीय टीम की तैयारी के लिये लगाये गए शिविर की देखरेख की जिम्मेदारी उन्हें सौंपी गई थी। उनके बेटे जतिन ने हाल ही में पत्रकार आनंद वासु के साथ किताब ‘क्रिकेट द्रोण’ लिखी जिसमें भारत के कई अंतरराष्ट्रीय क्रिकेटरों ने अपने कैरियर में वासु सर की भूमिका का जिक्र किया। 

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