पृथ्वी शॉ ने ऐतिहासिक शतक को पिता को किया समर्पित, कहा, 'जब भी रन बनाता हूं, उनके लिए ही बनाता हूं'

Prithvi Shaw: विंडीज के खिलाफ राजकोट टेस्ट में अपना डेब्यू शतक ठोकने वाले पृथ्वी शॉ ने पहले शतक को पिता को किया समर्पित

By भाषा | Published: October 4, 2018 09:34 PM2018-10-04T21:34:03+5:302018-10-04T21:34:03+5:30

Prithvi Shaw dedicates his debut Test century to his father | पृथ्वी शॉ ने ऐतिहासिक शतक को पिता को किया समर्पित, कहा, 'जब भी रन बनाता हूं, उनके लिए ही बनाता हूं'

पृथ्वी शॉ ने डेब्यू शतक को किया पिता को समर्पित

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राजकोट, 04 अक्टूबर: अपने पदार्पण टेस्ट मैच में एक परिपक्व बल्लेबाज की तरह खेलकर शतक जड़ने वाले पृथ्वी शॉ ने गुरुवार को कहा कि वह इंग्लैंड में कड़ी परिस्थितियों में भी बेहतर आक्रमण के सामने अपना पहला अंतरराष्ट्रीय मैच खेलने के लिए अच्छी तरह से तैयार थे। शॉ ने अपना पहला टेस्ट शतक अपने पिता को समर्पित करते हुए कहा कि मैं जब भी रन बनाता हूं उनके लिए ही बनाता हूं।

किशोर बल्लेबाज शॉ को इंग्लैंड के खिलाफ अंतिम दो टेस्ट मैचों के लिए टीम में शामिल किया गया था लेकिन उन्हें पदार्पण का मौका नहीं मिला। भारत ने यह सीरीज 1-4 से गंवाई। शॉ ने वेस्टइंडीज के खिलाफ दो टेस्ट मैचों की सीरीज के पहले मैच में 134 रन बनाकर स्वर्णिम शुरुआत की। वह अभी 18 साल 329 दिन के हैं और अपने पदार्पण टेस्ट मैच में शतक जड़ने वाले सबसे युवा भारतीय हैं। 

उन्होंने पहले दिन का खेल समाप्त होने के बाद पत्रकारों से कहा, 'यह कप्तान और कोच का फैसला था। मैं इंग्लैंड में भी तैयार था लेकिन आखिर में मुझे यहां मौका मिला।' शॉ ने कहा, 'लेकिन इंग्लैंड में अनुभव शानदार रहा। टीम में मैं सहज महसूस कर रहा था। विराट भाई ने कहा कि टीम में कोई सीनियर या जूनियर नहीं होता है। पांच साल से भी अधिक समय से अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट खेल रहे खिलाड़ियों के साथ ड्रेसिंग रूम में साथ में रहना बहुत अच्छा अहसास है। अब सभी दोस्त हैं।' 

'इंग्लैंड में वक्त बिताने से डेब्यू में मदद मिली'

वह मैच से पहले थोड़ा नर्वस थे लेकिन इंग्लैंड में सीनियर साथियों के साथ समय बिताने से उन्हें अपने पदार्पण मैच को एक अन्य मैच की तरह लेने में मदद मिली। शॉ ने कहा, 'मैं शुरू में थोड़ा नर्वस था लेकिन कुछ शॉट अच्छी टाइमिंग से खेलने के बाद मैं सहज हो गया। इसके बाद मैंने किसी तरह का दबाव महसूस नहीं किया जैसा कि मैं पारी के शुरू में महसूस कर रहा था। मुझे गेंदबाजों पर दबदबा बनाना पसंद है और यही मैं कोशिश कर रहा था। मैंने ढीली गेंदों का इंतजार किया।' 

रणजी और दलीप ट्रॉफी में पदार्पण पर शतक जड़ने वाले शॉ ने उच्च स्तर पर भी यही कारनामा किया। शॉ ने जब इस बारे में पूछा गया तो उन्होंने कहा, 'मैं जब भी क्रीज पर उतरता हूं तो गेंद के हिसाब से उसे खेलने की कोशिश करता हूं और इस मैच में भी मैं इसी मानसिकता के साथ खेलने के लिए उतरा। मैंने यह सोचकर कि यह मेरा पहला टेस्ट मैच है कुछ भी नया करने की कोशिश नहीं की। मैंने उसी तरह का खेल खेला जैसे मैं भारत ए और घरेलू क्रिकेट में खेलता रहा हूं।' 

उन्होंने कहा, 'हां, अगर आप अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट और अंडर-19 या घरेलू क्रिकेट की तुलना करो तो इसमें काफी अंतर है। अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में काफी रणनीतियां बनानी होती है। आपको अधिक तेज गेंदबाजी करने वाले गेंदबाजों का सामना करना होता है। कई बार घरेलू क्रिकेट में भी काफी तेज गेंदों का सामना करना पड़ता है लेकिन यहां अनुभव और विविधता होती है।' 

ऐतिहासिक टेस्ट शतक को किया पिता को समर्पित 

शॉ ने अपना शतक अपने पिता को समर्पित किया जिन्होंने अकेले ही उन्हें पाला पोसा। शॉ जब केवल चार साल के थे तब उनकी मां का निधन हो गया था। उन्होंने कहा, 'मैंने कभी नहीं सोचा था मुझे अंडर-19 विश्व कप में जीत के बाद भारत से पदार्पण का मौका मिल जाएगा। मैं मैच दर मैच आगे बढ़ा और आखिर में आज मैंने पदार्पण किया। मैं इस पारी को अपने पिताजी को समर्पित करता हूं। उन्होंने मेरे लिए काफी बलिदान किए।' 

शॉ ने कहा, 'मैं अपने डैड के बारे में सोच रहा था और उन्होंने मेरे लिए काफी बलिदान किए। जब मैं शतक बनाता हूं तो उनके बारे में सोचता हूं और यह मेरा पहला टेस्ट शतक है और यह पूरी तरह से उन्हें समर्पित है।' शॉ से पूछा गया कि मैच से पहले उनके पिता ने उनसे क्या कहा था, उन्होंने कहा, 'वह क्रिकेट के बारे में बहुत अधिक नहीं जानते। उन्होंने यही कहा कि जाओ और अपने पदार्पण का लुत्फ उठाओ। इसे एक अन्य मैच की तरह खेलो।' 

 

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