Yashasvi Jaiswal: 10 साल की उम्र में घर छोड़ा, 3 साल टेंट में रहे, किया डेयरी की दुकान पर काम, जानिए यशस्वी के संघर्ष की कहानी

Yashasvi Jaiswal: लगभग 10 की उम्र में 12 साल पहले यशस्वी जायसवाल क्रिकेटर बनने की कोशिश करने के लिए ग्रामीण उत्तर प्रदेश में स्थित अपने घर से 1,000 मील दूर मुंबई चले आए।

By शिवेन्द्र कुमार राय | Published: February 3, 2024 01:02 PM2024-02-03T13:02:30+5:302024-02-03T13:03:54+5:30

Yashasvi Jaiswal Struggle Story Left home at the age of 10 lived in a tent | Yashasvi Jaiswal: 10 साल की उम्र में घर छोड़ा, 3 साल टेंट में रहे, किया डेयरी की दुकान पर काम, जानिए यशस्वी के संघर्ष की कहानी

यशस्वी जायसवाल ने सबको अपना मुरीद बना लिया है

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Highlightsलगभग 10 की उम्र में अपने घर से 1,000 मील दूर मुंबई चले आएरहने की जगह के बदले में उन्होंने एक डेयरी की दुकान में काम करना शुरू कर दिया11 से 14 वर्ष की आयु तक वह एक तंबू में रहे

Struggle Story of Yashasvi Jaiswal: इंग्लैंड के खिलाफ विशाखातपत्तनम में खेले जा रहे दूसरे टेस्ट मैच में दोहरा शतक लगाकर भारत के सलामी बल्लेबाज यशस्वी जायसवाल ने सबको अपना मुरीद बना लिया है।  यशस्वी जायसवाल ने 277 गेंद में अपना दोहरा शतक पूरा किया। वह 290 गेंदों में 209 रन बनाकर एंडरसन की गेंद पर आउट हुए। उनकी इस पारी के बाद एक बार फिर इस 22 साल के खिलाड़ी की संघर्ष मुश्किलों से भरी क्रिकेट यात्रा की चर्चा की जा रही है।

यशस्वी के संघर्ष की कहानी

लगभग 10 की उम्र में 12 साल पहले यशस्वी जायसवाल क्रिकेटर बनने की कोशिश करने के लिए ग्रामीण उत्तर प्रदेश में स्थित अपने घर से 1,000 मील दूर मुंबई चले आए। सबसे पहले वह अपने चाचा के साथ रहते थे। लेकिन यह ज्यादा समय तक नहीं चला। उनके चाचा उत्तरी उपनगर दादर में रहते थे। यहां से अभ्यास के लिए मैदान पहुंचने में यशस्वी को बहुत दूर तक सफर करना पड़ता था। 

इसलिए रहने की जगह के बदले में उन्होंने  एक डेयरी की दुकान में काम करना शुरू कर दिया। क्रिकेट के जुनून के कारण वह दुकान में पूरा समय नहीं दे पाते थे इसलिए  दुकान के मालिक ने उन्हें काम से बाहर निकाल दिया। इस समय वह सिर्फ 11 साल के थे। यहां से निकलने के बाद यशस्वी आज़ाद मैदान में, मुस्लिम यूनाइटेड क्लब के ग्राउंडस्टाफ़ के तंबू में रहने लगे। उनके माता-पिता ने उनसे वापस आने के लिए भी कहा लेकिन यशस्वी किसी भी कीमत पर अपने सपने को पूरा करने की जिद ठाने हुए थे। 

11 से 14 वर्ष की आयु तक यानी कि अगले 3 साल वह एक तंबू में रहे। अंततः जयसवाल ने कोच ज्वाला सिंह को अपनी प्रतिभा से प्रभावित किया। ज्वाला खुद उत्तर प्रदेश से मुंबई आए थे। 
उन्होंने जयसवाल की प्रतिभा को पहचाना और उन्हें और निखारा। वह यशस्वी के कानूनी अभिभावक भी बने। उनके खेल और उनके करियर का मार्गदर्शन किया।

थोड़ी सी स्थिरता और समर्थन मिलते ही यशस्वी जायसवाल की प्रतिभा निखर कर सामने आ गई। पहले उन्हें  मुंबई U19 टीम में और अंततः भारत की U19 टीम में जगह मिली। उन्होंने 17 साल की उम्र में सीनियर घरेलू क्रिकेट में पदार्पण किया।

अब वह एक आईपीएल सुपरस्टार हैं, भारतीय घरेलू क्रिकेट में सबसे प्रमुख खिलाड़ियों में से एक हैं, और छह टेस्ट मैचों में दो टेस्ट शतक बना चुके हैं जिनमें एक दोहरा शतक है। इतना ही नहीं वह टेस्ट में भारत के लिए दोहरा शतक लगाने वाले तीसरे सबसे युवा भारतीय बल्लेबाज बन गए हैं। उनसे पहले विनोद कांबली 21 साल की उम्र में दो दोहरे शतक लगा चुके हैं। सुनील गावस्कर ने 21 की उम्र में ये कारनामा किया था। अब यशस्वी ने 22 की उम्र में ऐसा किया है। यशस्वी जायसवाल इस खास उपलब्धि के साथ उस लिस्ट में भी शामिल में हो गए हैं जिन खिलाड़ियों ने अपना पहला दोहरा शतक लगाने के लिए सबसे कम पारियां खेलीं। यशस्वी ने अपनी 10वीं पारी में दोहरा शतक लगाया।

सिर्फ 22 साल के यशस्वी ने प्रथम श्रेणी में दोहरा शतक लगाया है। लिस्ट ए में दोहरा शतक लगाया है। U-19 WC में शतक जड़ा है। रणजी में शतक लगाया है। ईरानी कप, दलीप ट्रॉफी, विजय हजारे, आईपीएल जैसे बड़े टूर्नामेंट्स में शतक लगाया है। उन्होंने इंडिया ए के लिए भी शतक जड़ा है और टेस्ट डेब्यू पर शतक जड़ने वाले खिलाड़ी भी हैं।

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