धोनी और विराट कोहली क्यों कभी नहीं बनेंगे सट्टेबाजों के शिकार, बीसीसीआई एंटी-करप्शन यूनिट चीफ ने बताई वजह

MS Dhoni and Virat Kohli: बीसीसीआई एंटी-करप्शन यूनिट के प्रमुख ने कहा है कि धोनी और कोहली जैसे स्टार खिलाड़ी कभी भी सट्टेबाजों के झांसे में नहीं आएंगे

By अभिषेक पाण्डेय | Published: September 18, 2019 10:13 AM

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ठळक मुद्देतमिलनाडु प्रीमियर लीग (टीएनपीएल) में लगा है मैच फिक्सिंग का आरोपबीसीसीआई एसीयू प्रमुख ने कहा कि युवा खिलाड़ी आसानी से बन जाते है बुकीज के शिकारएसीयू चीफ ने कहा कि कोहली और धोनी जैसे स्टार खिलाड़ी कभी नहीं बनेंगे इनके शिकार

तमिलनाडु प्रीमियर लीग (टीएनपीएल) में हालिया मैच फिक्सिंग के आरोपों ने एक बार फिर से ये बहस छेड़ दी है कि क्या क्रिकेट पर फिक्सिंग को लेकर सबसे ज्यादा खतरा है। लेकिन बीसीसीआई एंटी-करप्शन यूनिट (एसीयू) प्रमुख अजीत सिंह का मानना है कि सट्टेबाज कभी भी विराट कोहली या एमएस धोनी जैसे स्टार खिलाड़ी से संपर्क साधने का प्रयास भी करेंगे। 

आईएएनएस की रिपोर्ट के मुताबिक, एसीयू चीफ ने कहा कि फिक्सिंग की तरफ आकर्षित होने वालों में असफल खिलाड़ियों की तुलना में ज्यादातर युवा खिलाड़ी होते हैं, जो या तो इन बातों से अनजान होते हैं कि क्या हो रहा है-या फिर पैसे की पेशकश इतनी बड़ी होती है, जिसे वह नजरअंदाज नहीं कर पाते हैं।

धोनी, कोहली जैसे स्टार खिलाड़ी क्यों कभी फिक्सिंग में नहीं फंसेंगे

उन्होंने कहा, आज क्रिकेट में एक स्टार के पास इसमें (फिक्सिंग) शामिल होने पर पाने से ज्यादा खोने के लिए बहुत कुछ है। कल्पना कीजिए अगर विराट कोहली या धोनी इसमें शामिल होते हैं। चीजें सिर्फ पैसे से नहीं चलती है, बल्कि प्रतिष्ठा भी मायने रखती है। वे अपनी प्रतिष्ठा को ऐसी चीजों के लिए कुर्बान नहीं कर सकते हैं। ये उससे कहीं बड़ी हैं।

'अगर आप आर्थिक रूप से भी बात कर रहे हैं, तभी आपको लगता है कि वे इसमें शामिल होंगे-दोनों को अपने स्टार पावर और प्रतिष्ठा के कारण जो विज्ञापन मिलते हैं, साथ ही जो अन्य सुविधाएं भी मिलती हैं।' उन्होंने कहा, 'सट्टेबाजी से उन्हें उस पैसे का एक छोटा हिस्सा भी नहीं मिलेगा।'

सट्टेबाज विदेशों में आयोजित कर रहे हैं टूर्नामेंट

उन्होंने कहा, 'ये लोग (फिक्सर और बुकीज) देख रहे हैं कि उन्हें कौन से अवसर मिल सकते हैं। अगर वह किसी टूर्नामेंट में सेंध नहीं लगा पाते, तो वे अपनी खुद की लीग शुरू कर लेते हैं। अब वे खेलों के प्रमोशन के नाम पर नए देशों में जा रहे हैं, वे टूर्नामेंट का आयोजन करते हैं और टीमें बनाते हैं। वे खेलों के लिए काम करने का दिखावा करते हैं।'

उन्होंने कहा, 'आप किसी को टूर्नामेंट आयोजित करने से नहीं रोक सकते हैं, क्योंकि ये एक स्वतंत्र देश है। लेकिन जो बीसीसीआई कर सकती है वे ये कि वह बता दे कि ये अधिकृत टूर्नामेंट नहीं है, इसलिए अधिकृत खिलाड़ी इसमें न खेंले। फिर भी कुछ युवा खिलाड़ी इसका शिकार बनते हैं। कभी-कभी, वे खेलों के प्रचार के नाम पर बाहर से खिलाड़ी ले आते हैं और उन्हें उसका ऐम्बैसडर बना देते हैं।' 

लेकिन एसीयू प्रमुख ने कहा कि इन लोगों के बाहर जाने का मतलब है कि बीसीसीआई खेलों में भ्रष्टाचार की रोकथाम के अपने प्रयासों में सफल हुई है। उन्होंने मुस्कुराते हुए कहा, 'हमारे सामने चुनौती ये है कि ज्यादातर भ्रष्टाचारी भारतीय मूल के हैं और उन्होंने बाहर जाना शुरू कर दिया है, जो ये दिखाता है कि उन्हें भारत में दबाव महसूस हो रहा है और वे बाहर जा रहे हैं, जो बीसीसीआई के लिए एक कामयाबी है।'

उन्होंने कहा कि सट्टेबाजी को कानूनी रूप से वैध करने के साथ ही खेलों में भ्रष्टाचार को कानूनी अपराध घोषित किए जाने की जरूरत है।

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