नई दिल्ली: साउथ जोन और नॉर्थ जोन के बीच दलीप ट्रॉफी सेमीफाइनल के अंतिम दिन मैदान पर खिलाड़ियों द्वारा समय बर्बाद करने का अजब उदाहरण सामने आया। इसके बाद से खेल भावना को लेकर एक बार फिर बहस शुरू हो गई है। जयंत यादव के नेतृत्व में नॉर्थ जोन को अंतिम सत्र में 5.5 ओवर फेंकने में 53 मिनट का समय लगा, जिससे साउथ जोन के बल्लेबाज हतप्रभ रह गए और क्रिकेट प्रेमियों को भारी निराशा हुई।
आखिरकार, साउथ जोन ने जीत हासिल की और मैच को जीत लिया, लेकिन जिस तरह से नॉर्थ जोन टीम ने मैच में देरी की, उससे सोशल मीडिया पर कई लोगों ने 'क्रिकेट की भावना' पर सवाल उठाए।
बारिश के कारण लगभग 100 मिनट का खेल बर्बाद हो गया था। जब खेल शुरू हुआ तो साउथ जोन को पता था कि उन्हें तेजी से रन बनाने होंगे। नॉर्थ जोन ने अपने अधिकांश क्षेत्ररक्षकों को सीमा रेखा पर लगाने और अंतिम सत्र में फेंकी जाने वाली लगभग हर गेंद पर फील्ड बदलने का काम किया। साउथ जोन को जरूरी 32 रन बनाने के लिए सिर्फ 5.5 ओवर की जरूरत थी लेकिन ये रन 53 मिनट में आए।
5.5 ओवरों में से तीन को पूरा करने में 10-10 मिनट लगे जबकि अन्य को 12 और 7 मिनट में पूरा किया गया। इस दौरान अक्सर फील्डर्स को डीप से दौड़ते हुए 30-यार्ड सर्कल में बुलाया जाता और फिर तुरंत वापस भेज दिया जाता। ऐसा कई बार किया गया।
मैच के बाद बोलते हुए साउथ जोन के कप्तान हनुमा विहारी ने भी स्वीकार किया कि अगर वह जयंत यादव की जगह होते तो भी ऐसा ही करते।
उन्होंने पत्रकारों से कहा, "मैंने बहुत सारे खेल देखे हैं जहां एक टीम अंतिम कुछ ओवरों में देरी करने की कोशिश कर रही है क्योंकि इससे फायदा मिलता है, जो स्पष्ट रूप से उनकी ओर से गलत नहीं है। कुछ लोग कहेंगे कि यह खेल की भावना के अनुरूप नहीं है, लेकिन अगर मैं कप्तान होता तो भी मैं यही करता।''
फाइनल में अब साउथ जोन का मुकाबला वेस्ट जोन से होगा।