Highlightsविराट कोहली ने कहा है एक समय उनके विपक्षियों के मन में सम्मान या खौफ दोनों नहीं थाकोहली ने कहा है कि 2012 के ऑस्ट्रेलिया दौरे से वापसी के बाद उन्होंने की कड़ी मेहनतविराट कोहली अब तक इंटरनेशनल क्रिकेट में 68 शतक लगा चुके हैं
विराट कोहली ने कहा है कि उनके विपक्षियों की आंखों में उनके लिए डर और सम्मान की कमी ने उन्हें अपने काम के अंदाज को बदलने और एक आज का 'प्रभावशाली खिलाड़ी' बनने की वजह बना।
एमी अवॉर्ड विजेता पत्रकार ग्राहम बेनसिंगर ने दुनिया भर के दर्शकों को भारत के सबसे लोकप्रिय और सक्रिय खिलाड़ी के जीवन से जुड़े कुछ अनछुए पहलुओं से अवगत कराया है।
वर्तमान में दुनिया के सर्वश्रेष्ठ बल्लेबाज माने जाने वाले कोहली ने इस इंटरव्यू में बताया है कि 2012 में ऑस्ट्रेलिया दौरे से वापस आने के बाद उन्होंने अपनी फिटनेस पर काम किया था, जिससे उनके खेल में सुधार आया।
कोहली ने खोला, अपनी बैटिंग को बदलने वाले अंदाज का राज
स्पोर्ट्स वेब शो, 'इन डेफ्थ विद ग्राहम बेनसिंगर को दिए इंटरव्यू में कोहली ने कहा, '(एक समय ऐसा था) जब मैं बैटिंग के लिए आता था तो विपक्षी खेमे में कोई डर या सम्मान नहीं होता था।'
उन्होंने कहा, 'मैं ये सोचते हुए मैदान में नहीं जा सकता था कि विपक्षी सोचें कि ये खिलाड़ी हल्का है, जो कोई नुकसान नहीं पहुंचाएगा। मैं ऐसा खिलाड़ी नहीं बनना चाहता था और अपना प्रभाव छोड़ना चाहता था।'
भारतीय कप्तान ने कहा, 'मैं चाहता था कि जब मैं मैदान में उतरूं, तो टीमें सोचें कि अगर हमने इसे आउट नहीं किया तो हम मैच हार जाएंगे। और अगर मैं वह खिलाड़ी नहीं बनना चाहता तो मेरे दिमाग में कुछ खराबी है।'
विराट कोहली न सिर्फ दुनिया के सबसे बेहतरीन बल्कि सबसे फिट क्रिकेटर भी हैं, 'उन्होंने इसकी वजह बताते हुए कहा, जब हम 2012 में ऑस्ट्रेलिया से वापस आए, तो मैंने (हमारे और ऑस्ट्रेलिया के बीच) गैप देखा। मैंने महसूस किया, अगर हम जिस तरह खेलते हैं, ट्रेनिंग करते हैं या खाते हैं, उसका तरीका नहीं बदलते हैं, तो हम दुनिया के सर्वश्रेष्ठ से प्रतिस्पर्धा नहीं कर सकते हैं।'
कोहली ने कहा, 'अगर आप सर्वश्रेष्ठ नहीं बनना चाहते हैं तो प्रतिस्पर्धा का कोई मतलब नहीं है। मैं खुद का बेस्ट वर्जन बनना चाहता था और उसके फिर सबकुछ उस विजन के आसपास आधारित था। खेल के प्रति मेरा रवैया बदल गया।'