रवि शास्त्री की विदाई पर बन रहे मीम्स, पर जानिए इनकी कोचिंग में कैसा रहा है टीम इंडिया का प्रदर्शन

टी20 वर्ल्ड कप में भारतीय टीम के अभियान के समापन के साथ ही रवि शास्त्री बतौर कोच कार्यकाल भी खत्म हो गया है।

By विनीत कुमार | Published: November 09, 2021 3:51 PM

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नई दिल्ली: टीम इंडिया के टी20 वर्ल्ड कप का अभियान खत्म होने के साथ ही रवि शास्त्री का कार्यकाल भी बतौर कोच खत्म हो रहा है। रवि शास्त्री पिछले करीब सात सालों से भारतीय टीम के साथ जुड़े रहे। इस दौरान कई बार वे चर्चा का केंद्र भी रहे। खासकर, जब भी भारतीय टीम का प्रदर्शन खराब हुआ, रवि शास्त्री आलोचकों के निशाने पर आ गए।

रवि शास्त्री की 'पार्टी ब्वॉय' वाली छवि को लेकर भी कई बार उन पर निशाना साधा गया। आखिर रवि शास्त्री अपने पीछे क्या छोड़कर जा रहे हैं। उनमके कार्यकाल में भारतीय टीम का प्रदर्शन कैसा रहा है, इस पर एक नजर डालते हैं।

रवि शास्त्री का टीम इंडिया के साथ सफर

पिछले पांच साल में भारत ने रवि शास्त्री की कोचिंग में 42 में से 24 टेस्ट जीते हैं। यहां जीत का प्रतिशत 57 प्रतिशत है। वहीं 79 वनडे मैच में भारत को 53 में जीत मिली है। यहां जीत का प्रतिशत 67 प्रतिशत है। इसी तरह 67 टी20 मैचों में भारत को 43 में जीत मिली है। यहां भी जीत का प्रतिशत 65 फीसदी है। अगर सभी फॉर्मेट को मिला लें तो पिछले 5 साल में भारत का जीत प्रतिशत 65 प्रतिशत का रहा है।

हार के बाद जब टीम के साथ अंताक्षरी खेलने लगे शास्त्री 

इंडियन एक्सप्रेस के अनुसार कुछ वर्षों तक टीम के मैनेजर रहे सुनील सुब्रमण्यम एक वाकया बताते हैं। धर्मशाला में श्रीलंका से बड़ी हार के बाद रात को शास्त्री ने एक टीम मीटिंग बुलाई। रात का 8 बजे का समय तय था। 

सुब्रमण्यम बताते हैं कि उन्हें अंदेशा था कि कुछ खिलाड़ियों की हार को लेकर जमकर खींचाई हो सकती है। हालांकि सभी उस समय हैरान रह गए जब शास्त्री ने कहा कि उन्होंने बस बॉनफायर के सामने अंताक्षरी खेलने के लिए सभी को बुलाया है।

सुब्रमण्यम के अनुसार, 'धोनी उस रात पुराने हिंदी गाने रात 2 बजे तक गाते रहे। सभी का मूड हल्का हो गया था और अंदाजा भी था कि आगे भविष्य में क्या करना है।' सुब्रमण्यम के मुताबिक शास्त्री को पता होता था कि किस खिलाड़ी के साथ कब क्या बोलना है।

शमी की मदद करते रहे शास्त्री

शास्त्री के कार्यकाल में बतौर चयनकर्ता काफी समय व्यतीत करने वाले जतीन प्रांजपे भी एक वाकया बताते हैं। उनके अनुसार ये वो दौर था जब मोहम्मद शमी अपने घरेलू मसलों के कारण परेशानी से घिरे थे। उस समय शास्त्री उनसे लगातार बात करते थे और शमी को क्रिकेट पर ध्यान देने के लिए प्रेरित करते थे। प्रांजपे के अनुसार शास्त्री जानते थे कि शमी को केवल क्रिकेट ही निराशाओं से बाहर निकाल सकता है।

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