मां की मौत के बाद भी पिता ने नहीं टूटने दिया बेटे का सपना, साइकिल पर घर-घर दूध बेचकर बनाया क्रिकेटर, संघर्ष भरी है प्रियम गर्ग की कहानी

प्रियम गर्ग की पारी भारतीय टीम के पूर्व कप्तान एमएस धोनी की पारी पर हावी रही। टीम को जीत दिलाने वाले प्रियम गर्ग के लिए यहां तक का सफर तय करना कतई आसान नहीं था।

By अमित कुमार | Published: October 03, 2020 11:50 AM

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ठळक मुद्देमहज 11 साल की उम्र में प्रियम ने अपनी मां को खो दिया था। प्रियम की मां हमेशा से अपने बेटे को क्रिकेट खेलते हुए देखना चाहती थी।प्रियम की मेहनत रंग लाई और साल 2018 में उत्तर प्रदेश की रणजी टीम में उनका चयन हो गया।

आईपीएल युवा क्रिकेटर्स के सपने को सच में बदलने का काम करती रही है। पिछले कुछ सालों में आईपीएल से कई खिलाड़ियों ने अपनी किस्मत को बदलने का काम किया है। जसप्रीत बुमराह से लेकर प्रियम गर्ग तक न जाने से ऐसे कई खिलाड़ी हैं जिनको पहचान आईपीएल ने दी है। चेन्नई के खिलाफ शुक्रवार को अपनी बल्लेबाजी से सभी का दिल जीतने वाले प्रियम गर्ग का नाम भी उन्हीं खिलाड़ियों में शुमार हो गया है। 

हैदराबाद की जीत के हीरो रहे प्रियम गर्ग की कहानी संघर्षों से भरी हुई है। उत्तर प्रदेश के मेरठ से 25 किलोमीटर दूर क़िला परिक्षितगढ़ के रहने वाले प्रियम ने शुक्रवार को ताबड़तोड़ पारी खेलकर टीम को चेन्नई के खिलाफ जीत दिलाने में अहम भूमिका निभाई। लेकिन क्या आप जानते हैं प्रियम के लिए आईपीएल में पहुंचने का सफर कतई आसान नहीं था। 

11 साल की उम्र में हो गई थी मां की मृत्यु

महज 11 साल की उम्र में प्रियम ने अपनी मां को खो दिया था। प्रियम की मां हमेशा से अपने बेटे को क्रिकेट खेलते हुए देखना चाहती थी, लेकिन जब प्रियम बल्ला लेकर मैदान में उतरे तब उन्हें देखने के लिए उनकी मां इस दुनिया में नहीं रही। साल 2011 में मां की मौत के बाद प्रियम ने अपने सपनों को साकार करने के लिए जमकर मेहनत की। हर दिन वो पढ़ाई के साथ-साथ क्रिकेट के मैदान पर 7-8 घंटे कि प्रैक्टिस करते थे। 

प्रियम के सपनों को पूरा करने के लिए पिता करते थे मेहनत

प्रियम की मेहनत रंग लाई और साल 2018 में उत्तर प्रदेश की रणजी टीम में उनका चयन हो गया। प्रियम के पिता नरेश गर्ग उन दिनों घर का खर्चा चलाने के लिए स्कूल वैन चलाते थे। परिवार में पांच भाई-बहन होने के कारण उनके पिता के लिए घर का खर्चा चलाना काफी मुश्किल था। इसके अलावा वह साइकिल से घर-घर जाकर दूध बेचा करते थे। उन्होंने क्रिकेट खेलने से प्रियम को कभी नहीं रोका। प्रियम की हर जरूरत वह पूरी करते थे, इसके लिए उन्होंने कई बार अपने दोस्तों तक से उधार भी लिया।  

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