Shikhar Dhawan-Sachin Tendulkar Test Cap 2013: हम आपकी प्रतिभा के बारे में जानते हैं, अब इसका नजारा दिखाओ, धवन को टेस्ट कैप देते समय तेंदुलकर ने...

Shikhar Dhawan-Sachin Tendulkar Test Cap 2013: महान क्रिकेटर सचिन तेंदुलकर ने शिखर धवन को टेस्ट कैप दी थी तो कहा था, ‘हम आपकी प्रतिभा के बारे में जानते हैं। अब हमें इसका नजारा दिखाओ’।

By लोकमत न्यूज़ डेस्क | Updated: August 24, 2024 14:41 IST2024-08-24T14:34:11+5:302024-08-24T14:41:12+5:30

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HighlightsShikhar Dhawan-Sachin Tendulkar Test Cap 2013: गेंदबाजों को असहाय साबित करते हुए अपनी बल्लेबाजी से हैरान किया।Shikhar Dhawan-Sachin Tendulkar Test Cap 2013: कोई तीखा कटाक्ष नहीं, कोई व्यंग्य से भरी पोस्ट नहीं, कोई तामझाम नहीं।Shikhar Dhawan-Sachin Tendulkar Test Cap 2013: शिखर धवन की व्यक्तिगत जिंदगी में जब उथल पुथल मची हुई थी

Shikhar Dhawan-Sachin Tendulkar Test Cap 2013: कहा जाता है कि एलीट एथलीट बनने के लिए थोड़ा स्वार्थी होना जरूरी होता है लेकिन शिखर धवन कई शानदार उपलब्धियों से भरे अपने करियर के दौरान हमेशा परोपकारी खिलाड़ी बने रहे। उनका सकारात्मक दृष्टिकोण कभी कभी झुंझलाहट भरा लगता। पिछले कुछ समय से वह भारतीय टीम से बाहर चल रहे थे। इस 38 वर्षीय खिलाड़ी ने अपने भाग्य के साथ समझौता करते हुए क्रिकेट के सभी प्रारूपों से संन्यास ले लिया। अपने करियर के शानदार दिनों में उन्होंने बेहतरीन गेंदबाजों को असहाय साबित करते हुए अपनी बल्लेबाजी से उन्हें हैरान किया। जब महान क्रिकेटर सचिन तेंदुलकर ने धवन को टेस्ट कैप दी थी तो उन्होंने उनसे कहा था, ‘हम आपकी प्रतिभा के बारे में जानते हैं। अब हमें इसका नजारा दिखाओ’।

उन्होंने ऐसा ही किया, उन्होंने अपनी प्रतिभा के अलावा इतनी शानदार पारियों का नजारा पेश किया। धवन का अंतरराष्ट्रीय करियर, इंडियन प्रीमियर लीग का समय और घरेलू सर्किट में प्रदर्शन उनकी दृढ़ता, निस्वार्थता और टीम के लिए बलिदान देने की तत्परता दिखाता है। उन्होंने यह सब हमेशा मुस्कुराते हुए किया।

अगर आप उनके सोशल मीडिया पन्नों को खंगाले तो भारतीय चयनकर्ताओं द्वारा उनकी अनदेखी किए जाने के बाद कहीं भी उनके खिलाफ कोई भी ट्वीट नहीं मिलेगी। कोई तीखा कटाक्ष नहीं, कोई व्यंग्य से भरी पोस्ट नहीं, कोई तामझाम नहीं। धवन की व्यक्तिगत जिंदगी में जब उथल पुथल मची हुई थी, तब भी उन्होंने ऐसा नहीं किया।

उन्होंने हमेशा खुद को शालीनता और गरिमा के साथ पेश किया और उनके मुरीद भी हमेशा उनके साथ खड़े रहे। वह अपने साथी खिलाड़ियों को शुभकामनाएं देते और टीम की सफलता के लिए प्रार्थना करते थे। इससे कोई फर्क नहीं पड़ता था कि वह टीम का हिस्सा थे या नहीं। इसका जिक्र किया जाये तो आप पिछले साल घरेलू वनडे विश्व कप के लिए भारतीय टीम की घोषणा के बाद उनके द्वारा लिखे गए नोट को देख सकते हैं। धवन ने अमेरिका में इस साल के टी20 विश्व कप से पहले भी ऐसा ही किया था जिसे जीतकर भारत ने 11 साल के आईसीसी टूर्नामेंट खिताब के सूखे को खत्म किया था।

संन्यास के लिए सोशल मीडिया पर लिखे गये उनके पोस्ट का अंश उनके व्यक्तित्व को सटीक रूप से परिभाषित करता है। शनिवार की सुबह सोशल मीडिया पोस्ट में उन्होंने लिखा, ‘‘इसलिये मैं खुद से कहता हूं, इस बात से दुखी मत हो कि तुम भारत के लिए दोबारा नहीं खेल पाओगे, बल्कि इस बात से खुश हो कि तुम अपने देश के लिए खेले। मेरे लिए यही सबसे बड़ी बात है कि मैं देश के लिए खेला।’’

संयोग से पिछली बार जब भारत ने आईसीसी खिताब जीता था (इंग्लैंड में 2013 चैंपियंस ट्रॉफी) तब धवन ने अहम भूमिका निभाई थी और अपने प्रदर्शन के लिए टूर्नामेंट के सर्वश्रेष्ठ खिलाड़ी का पुरस्कार जीता था। भारतीय क्रिकेट के ‘गब्बर’ ने जांघ पर ताली बजाकर जश्न मनाने को अपना ‘ट्रेडमार्क’ बना लिया था।

वह हालांकि अपने अंतरराष्ट्रीय करियर को यादगार शुरुआत नहीं दे पाये और विशाखापत्तनम में वनडे मैच में आस्ट्रेलिया के खिलाफ दो गेंद खेलकर शून्य पर आउट हो गए थे। लेकिन शुरुआती संघर्ष के बाद धवन ने 2013 में भारतीय टीम में वापसी की और कुछ शानदार प्रदर्शनों के साथ तीनों प्रारूपों की टीम में अपनी जगह पक्की की।

उनके करियर का सबसे शानदार प्रदर्शन मोहाली में आस्ट्रेलिया के खिलाफ टेस्ट पदार्पण में बनाए शानदार 185 रन थे जिसमें उन्होंने सिर्फ 85 गेंद में अपना शतक पूरा कर लिया था। वह हालांकि अपने टेस्ट पदार्पण में एक भी गेंद का सामना करने से पहले ही आउट हो सकते थे क्योंकि भारतीय पारी की पहली गेंद मिचेल स्टार्क के हाथ से फिसलकर स्टंप पर जा गिरी।

जबकि पर्दापण करने वाला खिलाड़ी नॉन-स्ट्राइकर छोर पर अपनी जगह से बाहर था। आस्ट्रेलियाई खिलाड़ियों ने अपील नहीं की और तेजतर्रार धवन इसका पूरा फायदा उठाया तथा टेस्ट पदार्पण में सबसे तेज शतक का रिकॉर्ड बनाने वाले खिलाड़ी बन गए। टेस्ट पदार्पण के दौरान उनका प्रदर्शन यादगार रहा लेकिन धवन ने वनडे अंतरराष्ट्रीय में भी अपनी पहचान बनाई।

जिसमें उन्होंने 44.11 के औसत से 6793 रन बनाए। इसमें 17 शतक और 39 अर्द्धशतक शामिल हैं। उन्होंने टेस्ट में 40.61 के औसत से 2315 रन बनाए जिसमें सात शतक शामिल हैं। उनके टेस्ट करियर की धमाकेदार शुरुआत के बाद भारतीय क्रिकेट जगत और प्रशंसकों को उनसे और अधिक की उम्मीद थी।

लेकिन धवन ने अपने 14 साल के करियर के दौरान जो कुछ भी हासिल किया है उससे कभी कोई शिकायत नहीं की। जब वह अपने करियर को पीछे मुड़कर देखेंगे तो निश्चित रूप से वे अपनी यादों को संजो कर रखेंगे जिसमें 2015 वनडे विश्व कप में मेलबर्न क्रिकेट ग्राउंड पर डेल स्टेन और मोर्ने मोर्कल की मौजूदगी वाले दक्षिण अफ्रीकी तेज गेंदबाजी आक्रमण के खिलाफ खेली गई 137 रन की शानदार पारी शामिल है।

आस्ट्रेलिया के खिलाफ ओवल में 2019 विश्व कप में उनकी 109 गेंद में 117 रन की पारी शायद भारत के लिए उनकी अंतिम महत्वपूर्ण पारी थी। रोहित शर्मा और विराट कोहली के साथ 2013 से 2019 तक अंतरराष्ट्रीय सफेद गेंद के प्रारूपों में उनकी तिकड़ी बेजोड़ रही।

इन तीन खिलाड़ियों ने एक ही समय में अपने करियर की शुरुआत की लेकिन धवन सबसे कम चर्चित रहे। इसका एक कारण यह हो सकता है कि उनकी सभी अच्छी पारियों के बीच लंबे समय तक खराब फॉर्म भी शामिल रही। घरेलू क्रिकेट में धवन का प्रदर्शन शानदार रहा था और 2004 अंडर-19 विश्व कप में वह स्टार रहे थे। हालांकि 2013 तक वह भारतीय दर्शकों का ध्यान आकर्षित नहीं कर पाये थे।

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