बांग्लादेश में साल-1998 के फरवरी की एक सुबह। तब क्रिकेट की दुनिया में बांग्लादेश की चर्चा तक नहीं होती थी। लेकिन ढाका का बंगबंधु स्टेडियम 20 फरवरी को अचानक सुर्खियों में आ गया। भारत के रमन लांबा को ढाका के एक क्लब मैच के दौरान फिल्डिंग करते हुए बुरी तरह से चोट लगी और तीन दिन बाद अस्पताल में उनकी मौत हो गई। लांबा के साथ क्रिकेट फील्ड पर जो हुआ वह ऐसी घटना थी जिससे क्रिकेट के मैदानों पर होने वाले हादसों पर नए सिरे से बहस शुरू हुई। रमन लांबा का जन्म दो जनवरी 1960 को उत्तर प्रदेश के मेरठ में हुआ।
क्रिकेट के मैदान पर शानदार आगाज
क्रिकेट के जुनूनी इस खिलाड़ी का आगाज घरेलू और इंटरनेशनल क्रिकेट में शानदार रहा। वह आक्रामक खिलाड़ी थे लेकिन उस ऊंचाई पर नहीं पहुंच सके जिसकी उम्मीद थी। 1986-87 के दौर में उन्होंने इंटरनेशनल क्रिकेट में धमाकेदार एंट्री ली और ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ छह वनडे मैचों की पहली ही सीरीज में एक शतक और दो अर्धशतक जमाए। इसके बाद अगले पांच वनडे में उनके बल्ले से केवल 8 रन निकले। बाद में कुछ और मौके मिलने के बाद वह भारतीय टीम से बाहर हो गए। उन्हें चार टेस्ट मैचों में भी मौका मिला लेकिन वह कुछ खास कर नहीं सके। उन्होंने भारत के लिए कुल 32 एकदिवसीय मैच खेले और 27 की औसत से 783 रन बनाए, जिसमें एक शतक और छह अर्धशतक शामिल हैं। लांबा ने अपनी पहली सीरीज में जो प्रदर्शन किया उसे वह आगे कायम नहीं रख पाए।
बांग्लादेश से खास रिश्ता
लांबा उन चुनिंदा खिलाड़ियों में हैं जिन्होंने उस दौर में बांग्लादेश में क्रिकेट को लोकप्रिय बनाने में अहम भूमिका निभाई, जब इस देश की पहचान इंटरनेशनल क्रिकेट में कही नहीं थी। वह बांग्लादेश में इतने लोकप्रिय थे कि खुद को अपने दोस्तों के सामने मजाक के तौर 'डॉन ऑफ ढाका' कहते थे।
आयरिश लड़की से हुआ था प्यार
लांबा ने आयरलैंड में भी काफी क्लब क्रिकेट खेला। आयरलैंड में ही खेलने के दौरान वह किम से मिले, जो बाद में उनकी जीवनसंगिनी बनीं। इन दोनों ने सितंबर 1990 में शादी की।
जब फिल्डिंग के दौरान लांबा को लगी जानलेवा चोट
यह मैच ढाका में खेला जा रहा था और रमन लांबा मोहम्मेदान स्पोर्टिंग के खिलाफ अबाहानी क्रिरा चक्र टीम की ओर से फिल्डिंग कर रहे थे। स्पिन गेंदबाजी हो रही थी और इसी बीच अबाहानी के कप्तान खालिद मसूद ने फिल्डिंग में बदलाव करना चाहा। उन्होंने
लांबा को बुलाया और शॉर्ट लेग पर फिल्डिंग के लिए लगाया। चूकी ओवर की तीन गेंदे ही बाकी थी इसलिए लांबा ने हेल्मट पहनने की नहीं सोची।
गेंदबाज सैफुल्लाह खान ने गेंद डाली बल्लेबाज मेहराब हुसैन ने उस पर जोरदार शॉट लगाया। शॉट इतना तेज था कि गेंद सीधे लांबा के सिर पर लगी और फिर विकेटकीपर मसूद के पास चली गई। मसूद ने कैच लिया और मेहराब अपना विकेट गंवा बैठे। मसूद के मुताबिक सभी खिलाड़ी जश्न मना ही रहे थे कि उनकी नजर जमीन पर गिरे लांबा पर पड़ी। लांबा थोड़ी देर बाद उठे और फिर उन्हें ड्रेसिग रूम भेजा गया।
तीन दिनों तक मौत से लड़े लांबा
ड्रेसिंग रूम पहुंचने के कुछ देर बाद ही लांबा ने बताया कि उन्हें अच्छा महसूस नहीं हो रहा है। इसके बाद उन्हें तत्काल अस्पताल ले जाया गया। उनके दिमाग के बाएं हिस्से में खून जम गया था। दिल्ली से डॉक्टर बुलाए गए, लेकिन लांबा को नहीं बचाया जा सका। चोट लगने के तीन दिन बाद 23 फरवरी को ढाका के पोस्ट ग्रेजुएट अस्पताल में उनकी मौत हो गई।