ODI World Cup 2023: वनडे विश्व कप राहुल ने धमाल किया, कमाल के कैच लपके, ‘धोनी’ रिव्यू सिस्टम’’ नहीं जनाब डिसीजन ‘राहुल’ सिस्टम’’ कहिए...

ODI World Cup 2023: तेज गेंदबाजी की तिकड़ी के साथ-साथ विराट कोहली और रोहित शर्मा ने टूर्नामेंट में कमाल का प्रदर्शन किया। 

By सतीश कुमार सिंह | Published: November 17, 2023 06:27 PM2023-11-17T18:27:52+5:302023-11-17T18:28:44+5:30

ODI World Cup 2023 KL Rahul packs a punch with his all-round heroics Rahul blast took amazing catches, call it 'Rahul' system', not 'Dhoni's review system' | ODI World Cup 2023: वनडे विश्व कप राहुल ने धमाल किया, कमाल के कैच लपके, ‘धोनी’ रिव्यू सिस्टम’’ नहीं जनाब डिसीजन ‘राहुल’ सिस्टम’’ कहिए...

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Highlightsसराहनीय ढंग से निर्वहन करते हुए टीम के लिए कई उपलब्धियां हासिल की हैं। भारत ने ऑस्ट्रेलिया को 199 रन पर आउट कर गेम अपने नाम कर लिया।विश्व कप के अतीत की यादें ताजा हो गईं।

ODI World Cup 2023:आईसीसी 2023 एकदिवसीय विश्व कप में टीम इंडिया का दबदबा लगातार जारी है। 19 नवंबर को ऑस्ट्रेलिया और भारत के बीच फाइनल मुकाबला खेला जाएगा। मुंबई में न्यूजीलैंड पर 70 रन की जीत के बाद फाइनल के लिए टिकट कटाया। तेज गेंदबाजी की तिकड़ी के साथ-साथ विराट कोहली और रोहित शर्मा ने टूर्नामेंट में कमाल का प्रदर्शन किया। 

इन मूक योद्धाओं में से एक केएल राहुल हैं, जिन्होंने अपने कर्तव्यों का सराहनीय ढंग से निर्वहन करते हुए टीम के लिए कई उपलब्धियां हासिल की हैं। पहले मैच में भारत ने ऑस्ट्रेलिया को 199 रन पर आउट कर गेम अपने नाम कर लिया। लक्ष्य का पीछा करते हुए तीसरे ओवर में राहुल क्रीज पर आ गए, क्योंकि भारत 3 विकेट पर 2 रन बना चुका था, जिससे विश्व कप के अतीत की यादें ताजा हो गईं।

कोहली और राहुल ने मुश्किल स्थिति से उबरते हुए कुछ विशेषज्ञ स्ट्राइक रोटेशन की मदद से 165 रन की साझेदारी की, जिससे भारत को टूर्नामेंट में पहली जीत मिली। वह 91 रन पर नाबाद थे और भारत को जीत के लिए पांच की जरूरत थी। अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट परिषद (आईसीसी)  विश्व कप में भारतीय टीम की सफलता में विकेट से पीछे लोकेश राहुल का शानदार योगदान रहा है।

राहुल ने बल्ले से कई बार टीम के लिए बेहतरीन पारी खेलने के साथ विकेट के पीछे कुछ कमाल के कैच लपके हैं और डीआरएस (डिसीजन रिव्यू सिस्टम यानी मैदानी अंपायर के फैसले की समीक्षा) से जुड़े फैसलों में वह कप्तान रोहित शर्मा के सच्चे सिपहसालार साबित हुए है।

पूर्व कप्तान महेंद्र सिंह धोनी के समय डीआरएस पर उनके सही फैसलों के कारण भारतीय क्रिकेट में इसे ‘‘ ‘धोनी’ रिव्यू सिस्टम’’ कहा जाता था तो वही अब राहुल की काबिलियत से इसे ‘‘ डिसीजन ‘राहुल’ सिस्टम’’ कहा जाने लगा है। रोहित की विस्फोटक बल्लेबाजी, विराट कोहली का संयमित खेल और मोहम्मद शमी की कातिलाना गेंदबाजी के सामने भले ही राहुल की बल्लेबाजी की चर्चा अधिक ना हो लेकिन मौजूदा विश्व कप में जब भी टीम को उनके बल्ले से योगदान की जरूरत थी उन्होंने ने अपनी इस भूमिका को पूरी तरह से निभाया।

राहुल ने इस दौरान 99 की स्ट्राइक रेट और 77 के औसत से 386 रन बनाये। भारतीय टीम के लिए पदार्पण के बाद से ही कौशल के मामले में राहुल को कोहली और रोहित जैसा प्रतिभाशाली खिलाड़ी माना जाता है लेकिन लचर शॉट खेलकर आउट हो जाने के कारण वह अतीत में उस रुतबे को हासिल नहीं कर पाये।

यही कारण है कि सिडनी, लॉर्ड्स और सेंचुरियन जैसे मैदान पर शतक लगाने वाले इस खिलाड़ी को भारतीय क्रिकेट में ‘अंडर-अचीवर (उम्मीद से कम सफलता पाने वाला)’ माना जाता है। राहुल के करियर में शानदार बल्लेबाजी के बीच कुछ ऐसे भी क्षण आये जब उन्हें खुद भी अपनी बल्लेबाजी की काबिलियत पर शक होने लगा।

ऐसी स्थिति में विकेटकीपर की भूमिका निभाने से उनके मन का संदेह दूर हुआ और बल्ले से भी उनके प्रदर्शन में काफी सुधार आया। सेमीफाइनल में राहुल ने जिस तरह से डेवोन कॉनवे का कैच पकड़ा उसे देख कर महेंद्र सिंह धोनी भी निश्चित रूप से खुश हुए होंगे। मौजूदा टूर्नामेंट में 10 मैचों में उन्होंने 16 (15 कैच और एक स्टंपिंग) शिकार किये है।

वह विकेट के पीछे सबसे ज्यादा शिकार के मामले में सिर्फ दक्षिण अफ्रीका के दिग्गज क्विंटन डिकॉक से ही पीछे है। ऐसे खिलाड़ी जो कुछ समय पहले तक कीपिंग नहीं करता था उसके लिए यह बड़ी उपलब्धि है।  डीआरएस से जुड़े फैसले के बारे में राहुल के निर्णय शानदार रहे हैं।

भारत के पूर्व कीपर दीप दासगुप्ता का कहना है कि इसका कारण स्टंप के पीछे उनका ‘परफेक्ट फुटवर्क’ है क्योंकि उन्हें इस बात का सटीक अंदाजा है कि गेंद कहां खत्म होगी। गुप्ता ने कहा, ‘‘डीआरएस केवल विकेटकीपर का निर्णय नहीं है। विकेटकीपर न तो ‘इंपैक्ट’ और न ही ऊंचाई का अनुमान लगा सकता है।

‘इंपैक्ट (गेंद का स्टंप के सामने या बाहर होना)’ आम तौर पर गेंदबाज का निर्णय होता है या मिड-ऑन या मिड-ऑफ पर खड़े कप्तान का निर्णय होता है।’’ दासगुप्ता ने पूरी प्रक्रिया समझाते हुए कहा, ‘‘स्क्वायर लेग अंपायर के बगल में खड़ा खिलाड़ी गेंद की उंचाई पर नजर रखता है जबकि कीपर को उसके मूवमेंट से पता चल जाएगा कि गेंद कहां खत्म होगी।’’

डीआरएस से जुड़े सही फैसलों के मामले में धोनी माहिर थे। दासगुप्ता ने कहा कि धोनी के समय डीआरएस से जुड़े फैसले बेकार नहीं जाते थे। उन्होंने कहा, ‘‘ अगर आप संख्या देखें तो धोनी के अधिकांश डीआरएस की मांग ‘अंपायर्स कॉल’ के साथ गए हैं। इसलिए जब भारत के पक्ष में कोई निर्णय नहीं मिला, तो भी वह कम से कम डीआरएस को बचाये रखने में सफल रहे।

गलती की गुंजाइश काफी कम रहती थी। राहुल के साथ भी ऐसा ही है। वह ऐसे खिलाड़ी है जो इस मामले में अधिक उत्साह दिखाने वाले गेंदबाज पर काबू कर सकते है।’’ विश्व कप में प्रसारक के रूप में काम कर रहे दासगुप्ता को राहुल के साथ बातचीत करने का मौका मिला और उन्होंने महसूस किया कि मानसिक रूप से उनकी सोच एक विकेटकीपर की है। दासगुप्ता ने कहा, ‘‘उन्होंने एक बातचीत के दौरान मुझसे कहा कि वह खुद को ‘पार्टटाइम’ कीपर के रूप में नहीं देखते हैं और खुद को कीपर-बल्लेबाज के रूप में देखते हैं।’’

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