भारत और चीन के बीच बढ़ते राजनयिक तनाव के बीच चीनी मोबाइल फोन कंपनी वीवो इस साल इंडियन प्रीमियर लीग के ‘टाइटल प्रायोजन’ से पीछे हट सकती है और आपसी सहमति से अलग होने के लिये भारतीय क्रिकेट बोर्ड से बातचीत चल रही है।
इस एक साल को स्थगन अवधि के रूप में देखा जा सकता है और संबंध बेहतर होने पर बीसीसीआई 2021 से 2023 के बीच कंपनी के साथ तीन साल का नया अनुबंध कर सकता है। आईपीएल इस साल 19 सितंबर से 10 नवंबर के बीच यूएई में होगा।
बीसीसीआई के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया, ‘‘बीसीसीआई के पदाधिकारियों (अध्यक्ष सौरव गांगुली और सचिव जय शाह) और कंपनी के प्रतिनिधियों के बीच बातचीत चल रही है। ऐसी पूरी संभावना है कि इस साल टाइटल प्रायोजक वीवो नहीं होगा।’’
आईपीएल की संचालन परिषद ने रविवार को कहा था कि वीवो समेत उसके सभी प्रायोजक बरकरार रहेंगे। वीवो 2022 तक पांच साल के करार के लिये 440 करोड़ रूपये सालाना देता है। बोर्ड के अधिकारी ने बताया कि फैसला जब भी होगा, आपसी सहमति से होगा और बोर्ड बैंक गारंटी को भुनाने पर विचार नहीं कर रहा है।
अधिकारी ने कहा, ‘‘अलग अलग हालात में अगर प्रायोजक वादा पूरा नहीं कर पाता है तो बोर्ड बैंक गारंटी भुनाता है जो पहले भी किया गया है। लेकिन यहां दोनों पक्ष आपसी सहमति से समाधान तलाश रहे हैं।’’
केंद्र सरकार के 60 चीनी एप और सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर प्रतिबंध लगाने के बाद चीनी प्रायोजकों को बरकरार रखने के बीसीसीआई के फैसले पर सवाल उठ रहे थे। अधिकारी ने कहा, ‘‘यह संवेदनशील समय है और हमें एहतियात बरतनी होगी। एक बार हम कह दें कि प्रायोजन की समीक्षा करेंगे और फिर कुछ नहीं करें तो इससे चीनी कंपनियों के साथ संबंधों को लेकर सवाल उठेंगे।’’
बीसीसीआई एक साल के प्रायोजन करार के लिये कई भारतीय कंपनियों से भी बात कर रहा है। अधिकारी ने कहा ,‘‘ इतने कम समय में इतनी बड़ी रकम (440 करोड़ रूपये) मिलना तो मुश्किल है और टूर्नामेंट भी विदेश में हो रहा है। खाली स्टेडियम में मैच होंगे। हम उस पर तब बात करेंगे जब वीवो आधिकारिक रूप से अलग हो जायेगा।’’