पूर्व कप्तान एमएस धोनी दो साल के बाद एक बार फिर से चेन्नई सुपरकिंग्स के लिए खेलते नजर आएंगे। 4 जनवरी को आईपीएल रिटेंशन में चेन्नई सुपरकिंग्स ने धोनी को 15 करोड़ रुपये में रिटेन किया है। धोनी 2008 से 2015 तक लगातार आठ सीजन तक चेन्नई की कप्तानी कर चुके हैं। चेन्नई ने 2008 में पहली आईपीएल नीलामी में ही धोनी को तब की सबसे ज्यादा की कीमत 15 लाख लाख डॉलर में खरीदा था। चेन्नई की टीम पिछले दो सीजन से स्पॉट फिक्सिंग बैन की वजह से बाहर रहने के बाद इस सीजन में वापसी करने जा रही है और उसने एक बार फिर से अपना भरोसा धोनी पर ही जताया है।
इस बात की बड़ी चर्चा है कि आखिर क्यों चेन्नई ने 36 साल के हो चुके एमएस धोनी पर ही भरोसा जताया। वहीं दूसरी ओर कोलकाता नाइटराइडर्स ने इसी उम्र के एक और स्टार खिलाड़ी गौतम गंभीर को रिटेन नहीं किया है, जबकि गंभीर की कप्तानी में कोलकाता ने दो बार आईपीएल का खिताब भी जीता। तो आखिर क्या वजह कि चेन्नई ने धोनी पर भरोसा बरकरार रखा जबकि कोलकाता ने गंभीर का साथ छोड़ दिया?
आखिर क्यों चेन्नई ने धोनी पर ही भरोसा बरकरार रखा
चेन्नई ने 10 साल बाद भी धोनी पर उतना ही भरोसा जताया है जितना कि उसने 2008 में जताया था। इन 10 सालों में बहुत कुछ बदल चुका है और खुद धोनी के क्रिकेट करियर में काफी बदलाव आ चुके हैं। वह तीनों फॉर्मेट की कप्तानी छोड़ चुके हैं और टेस्ट क्रिकेट से संन्यास ले चुके हैं। लेकिन इसके बावजूद चेन्नई का धोनी पर भरोसा ज्यों का त्यों बरकरार है।
चेन्नई का धोनी पर जताया गया ये भरोसा गलत नहीं है। धोनी ने अपनी कप्तानी में चेन्नई को दो आईपीएल खिताब (2010, 2011) में जिताया है जबकि दो चैंपियंस लीग (2010, 2014) में भी चैंपियन बनाया है। न सिर्फ ये कामयाबी बल्कि धोनी का स्टारडम भी एक बड़ी वजह है कि चेन्नई ने धोनी को फिर से अपने साथ जोड़ा है। धोनी पिछले एक दशक के दौरान भारतीय क्रिकेट के सबसे बड़े सुपरस्टार रहे हैं और उनकी कप्तानी में भारत ने दो वर्ल्ड कप (एक वनडे, एक टी20) जीता है। चेन्नई को धोनी की लोकप्रियता का फायदा फैंस के बीच अपनी इमेज मजबूत करने में मिलता है।
![]()
यही वजह है कि इतने सालों बाद भी उसका धोनी पर भरोसा बरकरार है। टेस्ट क्रिकेट से संन्यास के बावजूद धोनी वनडे और टी20 खेलते हैं और उन्हें 2019 वर्ल्ड कप खेलने का प्रमुख दावेदार माना जा रहा है। ऐसे में चेन्नई को पता है कि अभी धोनी के स्टारडम का जादू अगले कुछ सालों तक फैंस के सिर से उतरने वाला नहीं है और इसका फायदा उसे भी मिलेगा।
चेन्नई के लिए धोनी का कमाल का रिकॉर्ड
धोनी ने चेन्नई सुपरकिंग्स के लिए गजब की कप्तानी की है जिसकी गवाही आंकड़ें भी देते हैं। धोनी ने चेन्नई के लिए जिन 129 आईपीएल मैचों में कप्तानी की उनमें से 78 में उसे जीत मिली। वहीं धोनी ने एक सीजन के लिए पुणे की कप्तानी की और 14 मैचों में से महज 5 ही जीत सके। यानी न सिर्फ चेन्नई को धोनी का साथ भाता है बल्कि धोनी के लिए भी चेन्नई बहुत लकी साबित हुआ है। चेन्नई के लिए धोनी ने 129 मैचों में 2987 रन बनाए जिनमें 15 अर्धशतक शामिल हैं। वहीं पुणे के लिए दो सीजन में धोनी 30 मैचों में सिर्फ 574 रन ही बना सके, जिसमें दो ही अर्धशतक शामिल हैं। यानी कप्तानी हो या बल्लेबाजी धोनी जब चमके सिर्फ चेन्नई के लिए ही चमके। किसी और टीम से खेलने पर उनका जादू फीका सा पड़ गया।
![]()
श्रीनिवासन का धोनी से रहा है पुराना नाता
चेन्नई सुपरकिंग्स के धोनी से कनेक्शन की एक और वजह हैं एन श्रीनिवासन। पूर्व बीसीसीआई अध्यक्ष श्रीनिवासन चेन्नई का मालिकाना हक रखने वाली टीम इंडिया सीमेंट्स के मालिक हैं। श्रीनिवासन और धोनी के अच्छे संबंधों की चर्चा तब भी होती रही जब वह बीसीसीआई अध्यक्ष थे और धोनी भारतीय टीम के कप्तान थे।
एक रोचक किस्सा तो ये भी है कि 2011-12 में धोनी की कप्तानी में इंग्लैंड और ऑस्ट्रेलिया के दौरे पर लगातार 8 टेस्ट मैच हारने के बाद जब चयन समिति धोनी को कप्तानी से हटाना चाहती थी। लेकिन तब के बीसीसीआई अध्यक्ष एन श्रीनिवासन धोनी के साथ खड़े हुए और धोनी की कप्तानी तो नहीं गई बल्कि चयन समिति के अध्यक्ष मोहिंदर अमरनाथ को इस्तीफा देना पड़ा। चेन्नई सुपरकिंग्स के धोनी पर भरोसे की एक बड़ी वजह श्रीनिवासन के साथ धोनी के अच्छे रिश्ते भी हैं।
चेन्नई की टीम का धोनी पर 15 करोड़ का दांव लगाना कितना सही है ये तो आने वाला आईपीएल का अगला सीजन ही तय करेगा, लेकिन धोनी ने चेन्नई के लिए सफलता की जो इबारत लिखी है उसे दोहरा पाना किसी भी कप्तान के लिए आसान नहीं होगा!