13 अक्टूबर 1993 को आंध्र प्रदेश में जन्मे हनुमा विहारी आज बड़े मुकाम पर पहुंच चुके हैं। हनुमा विहारी ने टीम इंडिया के लिए साल 2018 में अपना डेब्यू किया था। यहां तक पहुंचने के लिए उन्हें संघर्ष के दौर से गुजरना पड़ा।
हनुमा विहारी जब 12 साल के थे, तो सिर से पिता का साया उठ गया। परिवार में एक बेटे और एक बेटी की जिम्मेदारी अब मां विजयलक्ष्मी ने संभाल ली थी। ये दौर हनुमा विहारी के परिवार के लिए बेहद कष्टदायक था, जिसे वह आज भी नहीं भूले हैं।
मां ने पेंशन से चलाया घर: हनुमा विहारी ने एक इंटरव्यू में बचपन को याद करते हुए बताया था, 'मैं 12 बरस का ही था और मेरी बहन 14 बरस की जब मेरे पिता का देहांत हो गया। मेरी मां ने पिता की पेंशन पर मेरा घर चलाया। उन्होंने मुझे अपने सपने पूरे करने की सहूलियत दी और कभी हमें महसूस नहीं होने दिया कि हम अभाव में हैं। मुझे आज भी समझ में नहीं आता कि उन्होंने यह सब कैसे किया। अब मैंने हैदराबाद में घर बना लिया है। मैं अपनी मां को आराम देना चाहता हूं।’
पिता को समर्पित किया था पहले शतक: सितंबर 2019 में वेस्टइंडीज दौरे पर हनुमा विहारी ने अपने अंतर्राष्ट्रीय करियर का पहला शतक जड़ा था। उस दौरान उन्हें इस सेंचुरी को अपने पिता के नाम किया था। अवॉर्ड सेरेमनी विहारी ने पिता को याद करते हुए कहा था कि आज वो जहां भी होंगे, उन्हें मुझ पर गर्व होगा।
प्रदर्शन पर एक नजर: हनुमा विहारी ने टीम इंडिया की ओर से अब तक 7 टेस्ट मैचों की 12 पारियों में 466 रन बनाए हैं। इस दौरान उन्होंने 3 अर्धशतक और 1 शतक जड़ा है। विहारी 24 आईपीएल मैचों में 3 बार नाबाद रहते हुए 284 रन बना चुके हैं।