'सचिन लेना चाहते थे संन्यास', गैरी कर्स्टन ने बताया, फिर कैसे की मास्टर ब्लास्टर की जोरदार वापसी में मदद

Gary Kirsten, Sachin Tendulkar: टीम इंडिया के पूर्व कोच गैरी कर्स्टन ने खुलासा किया है कि कैसे उन्होंने सचिन तेंदुलकर को संन्यास के ख्यालों से निकालकर वापसी में मदद की थी

By अभिषेक पाण्डेय | Published: June 17, 2020 3:21 PM

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ठळक मुद्देगैरी कर्स्टन के 2008 में भारतीय टीम का कोच बनने से पहले सचिन तेंदुलकर लेना चाहते थे संन्यासकर्स्टन के कोच बनने के बाद सचिन ने की थी जोरदार वापसी, तीन सालों में लगा दिया था रनों का अंबार

भारतीय टीम के पूर्व कोच गैरी कर्स्टन ने टीम इंडिया के साथ अपने कोचिंग कार्यकाल से जुड़ी यादें साझा करते हुए बताया कि कैसे सचिन तेंदुलकर ने करियर के आखिरी चरण में उनके दिमाग में चल रहे रिटायरमेंट के विचारों को खत्म करने में मदद की थी।

अपनी आत्मकथा 'प्लेइंग इट माई वे' में सचिन ने जिक्र किया है कि कैसे 2007 वर्ल्ड कप से टीम इंडिया की दर्दनाक विदाई के बाद वह संन्यास लेना चाहते थे। हालांकि वेस्टइंडीज के दिग्गज विव रिचर्ड्स ने तब सचिन से इस पर बात करते हुए उन्हें इससे बाहर निकाला था, साथ ही इसमें कर्स्टन की भी अहम भूमिका थी, जिन्होंने ऐसा वातावरण बनाया जिससे सचिन को अपने करियर को पुनर्जीवित करने का अवसर मिला।

कर्स्टन ने कहा, 'जब मैं आया तो सचिन बैटिंग का लुत्फ खो चुके थे' 

हिंदुस्तान टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक कर्स्टन ने टॉकस्पोर्ट के पॉडकास्ट में कहा, 'मैंने उस समय सचिन के बारे में सोचा। वह कहां थे जब मैं भारत पहुंचा...वह खेल को छोड़ना चाहते थे। उनके मुताबिक वह बिना जुनून के बैटिंग कर रहे थे, वह अपने क्रिकेट का लुत्फ बिल्कुल नहीं उठा रहे थे। तीन साल बाद, तीन सालों में उन्होंने 18 इंटरनेशनल शतक बनाए, उस जगह बैटिंग की जहां वह करना चाहते थे, और हमने वर्ल्ड कप जीता।'

2008 में भारत का कोच बनने वाले गैरी कर्स्टन की कोचिंग में सच में सचिन की बैटिंग में जबर्दस्त निखार आया, उन्होंने 2008 से 2011 के बीच सात शतकों की मदद से 2149 वनडे रन बनाए। 2010 में वह वनडे में दोहरा शतक लगाने वाले दुनिया के पहले बल्लेबाज बने थे और विजडन क्रिकेटर ऑफ द ईयर चुना गया था, क्योंकि उन्होंने इस दौरान 78 की औसत से सात शतकों की मदद से 1500 से ज्यादा टेस्ट रन भी बनाए।

कर्स्टन ने कहा, 'मैंने सचिन को केवल उनका मनचाहा माहौल देने की कोशिश की'

कर्स्टन ने कहा कि उन्होंने बड़े बदलाव लाने पर काम नहीं किया, बल्कि इसके बजाय उन्होंने वह माहौल बनाने की कोशिश की जिससे सचिन को अपना सर्वश्रेष्ठ बाहर लाने में मदद मिले। और इसलिए, सचिन जितने उम्रदराज होते हुए, उनका कौशल उतना ही निखरता गया।

कर्स्टन ने कहा, 'मैंने केवल इतना किया कि मैंने उन्हें वह माहौल देने की कोशिश जिससे वह कामयाब हो सकें। मैंने उन्हें कुछ नहीं बताया। वह खेल जानते थे, लेकिन उन्हें माहौल की जरूरत थी-न केवल उन्हें, बल्कि उन सभी को-एक ऐसा माहौल बनाना जहां वे अपना सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन करें।' 

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