जब आतंकियों ने चलाई कार पर गोलियां, बाल-बाल बचे थे अंपायर साइमन टॉफेल

इस हमले में श्रीलंकाई टीम के कुमार संगकारा, अजंता मेंडिस, तिलन समरवीरा, थरंगा परनविताना, सुरंगा लकमल और तिलिना तुषारा घायल हो गये थे।

By भाषा | Published: November 24, 2019 04:37 PM2019-11-24T16:37:17+5:302019-11-24T16:38:19+5:30

Former umpire Simon Taufel recalls how he survived 2009 Lahore attack in new book, says incident changed his life | जब आतंकियों ने चलाई कार पर गोलियां, बाल-बाल बचे थे अंपायर साइमन टॉफेल

जब आतंकियों ने चलाई कार पर गोलियां, बाल-बाल बचे थे अंपायर साइमन टॉफेल

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संन्यास ले चुके आस्ट्रेलिया के अंपायर साइमन टॉफेल ने 2009 में श्रीलंकाई क्रिकेट टीम पर हुए आतंकवादी हमले को याद करते हुए कहा कि उस घटना ने कई जिंदगियों को प्रभावित करने के साथ क्रिकेट पर भी असर डाला। उन्होंने कहा कि लाहौर, कराची, फैसलाबाद, इस्लामाबाद और पेशावर जैसे शहरों में मैच अधिकारी की भूमिका निभाने की अपनी चुनौतियां थीं लेकिन हर शहर में ऐसे पल मिले जिसका उन्होंने लुत्फ उठाया और ये हमेशा याद रहेगा।

साइमन टॉफेल ने हाल में जारी हुई अपनी किताब ‘फाइंडिंग द गैप्स’ में लिखा, ‘‘लेकिन लाहौर के उनके आखिरी दौरे में कुछ ऐसा हुआ जिसे वह फिर से याद नहीं करना चाहेंगे।’’ श्रृंखला के दूसरे टेस्ट मैच के तीसरे दिन (तीन मार्च 2009) के खेल के लिए जब श्रीलंकाई टीम मैदान पर जा रही थी तभी गद्दाफी स्टेडियम के सामने आतंकवादियों ने टीम के काफिले पर हमला कर दिया था, जिसमें आठ लोग मारे गये जबकि श्रीलंकाई खिलाड़ियों सहित कई लोग घायल हुए थे।

इस हमले में श्रीलंकाई टीम के कुमार संगकारा, अजंता मेंडिस, तिलन समरवीरा, थरंगा परनविताना, सुरंगा लकमल और तिलिना तुषारा घायल हो गये थे। टॉफेल इस मैच में स्टीव डेविस के साथ मैदानी अंपायर की भूमिका निभा रहे थे, जबकि नदीम गौरी तीसरे और एहसान रजा चौथे अंपायर थे। क्रिस ब्रॉड आईसीसी मैच रेफरी थे।

टॉफेल ने कहा कि श्रृंखला से पहले वह, डेविस और ब्रॉड की बदौलत पाकिस्तान की स्थिति से वाकिफ थे और इस मुद्दे पर आईसीसी से बात करना चाहते थे लेकिन बार-बार भरोसा दिया गया था कि कुछ नहीं होगा। उन्होंने अपनी किताब में लिखा, ‘‘श्रृंखला का पहला टेस्ट कराची में खेला गया जो बिना किसी रुकावट के संपन्न हो गया। इसके बाद लाहौर में स्थिति सही नहीं होने की बात चल रही थी। ऐसी भी खबरें थी कि दूसरा टेस्ट भी कराची में ही खेला जाएगा।’’

उन्होंने कहा कि लेकिन फिर अगला मैच लाहौर में खेले जाने का फैसला किया गया। इसके बाद मैच शुरू हुआ और पहले दो दिन के खेल में श्रीलंकाई बल्लेबाजों ने रनों का अंबार लगा दिया। उन्होंने 600 से ज्यादा रन बनाये। ऑस्ट्रेलिया के पूर्व अंपायर ने बताया कि तीसरे दिन कुछ ऐसा हुआ जिससे क्रिकेट की पूरी दुनिया बदल गयी। किसी के लिए यह जिंदगी बदलने वाला था तो वहीं किसी के लिए यह त्रासदी की तरह था।

उन्होंने कहा, ‘‘हर दिन की तरह मैं उस दिन भी सामान्य दिनचर्या के मुताबिक होटल लॉबी में आया। हालांकि मैं समय से थोड़ा पहले सवा आठ बजे लॉबी में आ गया था। मैं मैच अधिकारियों की कार में आमतौर पर पूरे मैच के दौरान आते-जाते समय एक ही जगह बैठता हूं लेकिन उस दिन पता नहीं किन वजहों से मैं आईसीसी क्षेत्रीय अंपायर मैनेजर पीटर मैनुएल के साथ पीछे वाली सीट पर बैठ गया।’’

उन्होंने बताया, ‘‘श्रीलंकाई खिलाड़ियों और मैच अधिकारियों की गाड़ियों का काफिला जब स्टेडियम से एक किलोमीटर दूर था तब भी मैंने पटाखे की तरह की आवाज सुनी। लेकिन फिर हर तरफ से गोलियों और धमाके की आवाज आने लगी। हमारी कार में भी आगे और मैं आमतौर पर जहां बैठता था वहां गोलियां लगीं। इस हमले में चौथे अंपायर बुरी तरह घायल हुए थे।’’

टॉफेल को फिर अहसास हुआ कि उनकी जगह पर चौथे अंपायर बैठे थे। आईसीसी साल के सर्वश्रेष्ठ अंपायर का खिताब पांच बार जीतने वाले टॉफेल ने कहा, ‘‘रजा अगर मुझ से पहले पहुंच गए होते तो मेरे साथ कुछ और हो सकता था। मैं गोली का शिकार होने के बाद जिंदगी बचाने की जंग लड़ रहा होता।’’

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