RTI में आने के फैसले को चुनौती देना चाहते हैं बीसीसीआई पदाधिकारी, सीओए की भूमिका पर भी उठाए सवाल

बीसीसीआई आरटीआई कानून के दायरे में आने का विरोध करता रहा है और खुद को स्वायत्त संस्था बताता है।

By भाषा | Published: October 02, 2018 1:43 PM

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नई दिल्ली, 2 अक्टूबर:बीसीसीआई के केंद्रीय सूचना आयोग (सीआईसी) के आदेश को चुनौती देने की संभावना है जिसमें क्रिकेट बोर्ड को सूचना का अधिकार कानून दायरे में लाने को कहा गया है। बोर्ड के एक शीर्ष अधिकारी ने साथ ही इस मामले से निपटने में प्रशासकों की समिति (सीओए) पर ‘जानबूझकर लापरवाही’ बरतने का आरोप लगाया।

सीआईसी के इस फैसले का मतलब है कि बीसीसीआई को राष्ट्रीय खेल महासंघ (एनएसएफ) माना जाएगा। बीसीसीआई आरटीआई कानून के दायरे में आने का विरोध करता है और खुद को स्वायत्त संस्था बताता है। बोर्ड का मानना है कि इस झटके के लिए सीओए जिम्मेदार है।

सीआईसी के आदेश के विधिक असर के बारे में बात करते हुए बीसीसीआई के एक वरिष्ठ अधिकारी ने मंगलवार को पीटीआई से कहा, 'मेरा मानना है कि बीसीसीआई के कानूनी प्रतिनिधित्व के अधिकार पर सीओए की ओर से जानबूझकर लापरवाही भरा रवैया अपनाया गया।' 

उन्होंने कहा, 'सीआईसी की 10 जुलाई की सुनवाई में पूछा गया था बीसीसीआई को आरटीआई कानून के दायरे में क्यों नहीं आना चाहिए। बीसीसीआई ने इस मामले में जवाब तक दायर नहीं किया और कारण बताओ नोटिस पर भी जवाब नहीं दिया। अब एकमात्र तरीका इसे उच्च न्यायालय में चुनौती देना और फिर आगे बढ़ना है।' 

एक अन्य बीसीसीआई अधिकारी ने कहा कि विनोद राय और डायना इडुल्जी की मौजूदगी वाले सीओए ने संभवत: चुनाव की घोषणा करने से पहले बोर्ड को आरटीआई के दायरे में लाने की कोशिश की।

अधिकारी ने कहा, 'हमने सुना है कि बीसीसीआई आंशिक तौर पर आरटीआई के दायरे में आना चाहता है और टीम चयन जैस मुद्दों का खुलासा नहीं करना चाहता। क्या यह मजाक है। अगर बीसीसीआई चुनौती देता है तो कोई बीच का कोई रास्ता नहीं होगा। या तो सब कुछ मिलेगा या कुछ नहीं।' 

अधिकारी ने कहा कि आरटीआई के दायरे में आने पर टीम चयन की प्रक्रिया या आईपीएल फ्रेंचाइजियों की इसमें भूमिका थी या नहीं जैसे सवाल पूछे जा सकते हैं। शेयरधारकों के पैटर्न और निवेश के बारे में पूछा जा सकता है। अधिकारी ने कहा कि इसके अलावा अधिकारी के निजी आचरण और कार्यस्थल प महिला उत्पीड़न जैसे सवाल पूछे जा सकते हैं।

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