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अप्रैल में बढ़कर 15.08 प्रतिशत के रिकॉर्ड उच्चस्तर पर पहुंचा थोक मुद्रास्फीति

By भाषा | Updated: May 17, 2022 16:57 IST

रेटिंग एजेंसी इक्रा की मुख्य अर्थशास्त्री अदिति नायर ने कहा कि चीन में कमजोर मांग के परिणामस्वरूप जिंस कीमतों में कुछ नरमी से रुपये में गिरावट की भरपाई हो सकती है। उन्होंने कहा कि मई में डब्ल्यूपीआई मुद्रास्फीति 15 प्रतिशत से कम रह सकती है, हालांकि यह उच्चस्तर पर बनी रहेगी।

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ठळक मुद्देमहंगाई पर काबू पाने के लिए आरबीआई ने इस महीने की शुरुआत में रेपो दर में 0.40 प्रतिशत और नकद आरक्षित अनुपात में 0.50 प्रतिशत की वृद्धि की थी। पिछले सप्ताह जारी आंकड़ों के मुताबिक खुदरा मुद्रास्फीति अप्रैल में बढ़कर आठ साल के उच्च स्तर 7.79 प्रतिशत पर पहुंच गई है।

नई दिल्ली: थोक कीमतों पर आधारित मुद्रास्फीति अप्रैल में बढ़कर 15.08 प्रतिशत के रिकॉर्ड उच्चस्तर पर पहुंच गई। यह तेजी खाद्य वस्तुओं से लेकर जिंसों तक के महंगा होने की वजह से हुई। थोक मूल्य सूचकांक आधारित मुद्रास्फीति मार्च में 14.55 प्रतिशत और पिछले साल अप्रैल में 10.74 फीसदी थी। माना जा रहा है कि मुद्रास्फीति बढ़ने के कारण रिजर्व बैंक अगले महीने नीति समीक्षा बैठक में ब्याज दरों को बढ़ाने का फैसला कर सकता है। 

वाणिज्य और उद्योग मंत्रालय ने एक बयान में कहा, ‘‘अप्रैल, 2022 में मुद्रास्फीति की ऊंची दर मुख्य रूप से खनिज तेलों, मूल धातुओं, कच्चे तेल और प्राकृतिक गैस, खाद्य वस्तुओं, गैर-खाद्य वस्तुओं, खाद्य उत्पादों, रसायनों और रासायनिक उत्पादों आदि की कीमतों में बढ़ोतरी के कारण हुई।’’ डब्ल्यूपीआई मुद्रास्फीति पिछले साल अप्रैल से लगातार 13वें महीने दो अंक में बनी हुई है। समीक्षाधीन माह में खाद्य वस्तुओं की मुद्रास्फीति 8.35 प्रतिशत थी। इस दौरान सब्जियों, गेहूं, फल और आलू की कीमतों में तेज वृद्धि देखी गई थी। 

ईंधन और बिजली खंड में मुद्रास्फीति 38.66 प्रतिशत थी, जबकि विनिर्मित उत्पादों और तिलहन में यह क्रमशः 10.85 प्रतिशत और 16.10 प्रतिशत थी। कच्चे तेल और प्राकृतिक गैस की मुद्रास्फीति अप्रैल में 69.07 प्रतिशत थी। पिछले सप्ताह जारी आंकड़ों के मुताबिक खुदरा मुद्रास्फीति अप्रैल में बढ़कर आठ साल के उच्च स्तर 7.79 प्रतिशत पर पहुंच गई है। महंगाई पर काबू पाने के लिए आरबीआई ने इस महीने की शुरुआत में रेपो दर में 0.40 प्रतिशत और नकद आरक्षित अनुपात में 0.50 प्रतिशत की वृद्धि की थी। 

रेटिंग एजेंसी इक्रा की मुख्य अर्थशास्त्री अदिति नायर ने कहा कि चीन में कमजोर मांग के परिणामस्वरूप जिंस कीमतों में कुछ नरमी से रुपये में गिरावट की भरपाई हो सकती है। उन्होंने कहा कि मई में डब्ल्यूपीआई मुद्रास्फीति 15 प्रतिशत से कम रह सकती है, हालांकि यह उच्चस्तर पर बनी रहेगी। उन्होंने कहा कि डब्ल्यूपीआई मुद्रास्फीति लगातार दो अंक में बनी हुई है, इसलिए जून, 2022 में मौद्रिक नीति की समीक्षा में रेपो दर में बढ़ोतरी की संभावना बढ़ गई है। नायर ने कहा कि जून, 2022 में 0.40 प्रतिशत और अगस्त में 0.35 प्रतिशत वृद्धि का अनुमान है।

टॅग्स :मुद्रास्फीतिसकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी)
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