Union Budget 2024: सोने, कटे और पॉलिश हीरे पर आयात शुल्क कम हो, जीजेईपीसी ने सरकार से की मांग, 15 प्रतिशत से घटाकर चार प्रतिशत हो
By लोकमत न्यूज़ डेस्क | Published: January 21, 2024 09:35 PM2024-01-21T21:35:36+5:302024-01-21T21:37:04+5:30
Union Budget 2024: भारत का रत्न और आभूषण उद्योग सोने, हीरे, चांदी और रंगीन रत्नों सहित कच्चे माल के लिए आयात पर निर्भर है।
Union Budget 2024: आम बजट से पहले रत्न एवं आभूषण निर्यात संवर्द्धन परिषद (जीजेईपीसी) ने सरकार से सोने और कटे व पॉलिश हीरे (सीपीडी) पर आयात शुल्क कम करने का आग्रह किया है ताकि क्षेत्र को वैश्विक स्तर पर प्रतिस्पर्धी बने रहने में मदद मिल सके। भारत का रत्न और आभूषण उद्योग सोने, हीरे, चांदी और रंगीन रत्नों सहित कच्चे माल के लिए आयात पर निर्भर है।
जीजेईपीसी कीमती धातुओं पर आयात शुल्क को मौजूदा 15 प्रतिशत से घटाकर चार प्रतिशत करने की मांग कर रही है। इसमें सीपीडी पर सीमा शुल्क को मौजूदा पांच प्रतिशत से घटाकर 2.5 प्रतिशत करने की मांग की गई है। निकाय ने सरकार से ‘डायमंड इंप्रेस्ट लाइसेंस’ को फिर से शुरू करने और आयात शुल्क में कटौती करने का आग्रह किया।
जीजेईपीसी ने कहा कि यह भारतीय सूक्ष्म, लघु एवं मझोले उद्यमों (एमएसएमई) से जुड़े हीरा निर्यातकों को उनके बड़े समकक्षों के साथ समान अवसर प्रदान करेगा, हीरा कारोबारियों को हीरा खनन गंतव्यों में निवेश से रोकेगा और कारखानों में हीरे के वर्गीकरण और बिना तराशे हीरे के प्रसंस्करण के मामले में अधिक रोजगार प्रदान करेगा।
परिषद ने सरकार से सेफ हार्बर नियम के माध्यम से विशेष अधिसूचित क्षेत्रों (एसएनजेड) में कच्चे हीरों की बिक्री की लंबे समय से लंबित मांग पर विचार करने और एसएनजेड के माध्यम से संचालन के लिए पात्र संस्थाओं के दायरे का विस्तार करने का आग्रह किया है। वर्तमान में, एसएनजेड में खनन देशों द्वारा केवल प्रदर्शन सत्र आयोजित किए जाते हैं।
परिषद ने यह भी आग्रह किया कि एसएनजेड को उस समय मुक्त व्यापार भंडारण क्षेत्र (एफटीडब्ल्यूजेड) के रूप में भी कार्य करने की अनुमति दी जानी चाहिए, जब इसका उपयोग विदेशी खनन कंपनियों और इकाइयों द्वारा नहीं किया जाता है।